By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 21, 2021
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष लॉयड जे. ऑस्टिन के बीच सोमवार को टेलीफोन पर बातचीत हुई जिसमें अफगानिस्तान के घटनाक्रमों के अलावा आतंकवाद से निपटने के तरीकों और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई।
दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत वाशिंगटन में क्वाड नेताओं की प्रत्यक्ष मौजूदगी वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित करने के लिए इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले हुई है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह और ऑस्टिन ने क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के बारे में विचार विमर्श किया और अफगानिस्तान में हालिया निकासी अभियानों में आपसी सहयोग की सराहना की। ऑस्टिन द्वारा शुरू की गई बातचीत के बारे में मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में हालिया निकासी अभियानों में आपसी सहयोग की सराहना की और उभरती स्थिति को देखते हुए नियमित संपर्क में रहने पर सहमति व्यक्त की।’’
सिंह ने बातचीत को ‘गर्मजोशी भरा’ बताते हुए कहा कि ‘सार्थक वार्ता’ जारी रखने और भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति बनी। राजनाथ ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री श्री लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफोन पर गर्मजोशी भरी बातचीत हुई। हमने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और अफगानिस्तान की स्थिति सहित क्षेत्रीय मामलों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सार्थक बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हुए तथा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए तत्पर हैं।’’ 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान संकट को लेकर भारत और अमेरिका एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने आज शाम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को फोन किया। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम सहित द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा की। उन्होंने रक्षा सहयोग पर चर्चा की और नजदीकी तौर पर काम करने की बात की।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन ‘‘समावेशी’’ नहीं हुआ है, लिहाजा नयी व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं और इस परिस्थिति में उसे मान्यता देने के बारे में वैश्विक समुदाय को ‘‘सामूहिक’’ और ‘‘सोच-विचार’’ कर फैसला करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने साथ ही यह चेताया कि अगर अफगानिस्तान में ‘‘अस्थिरता और कट्टरवाद’’ बना रहेगा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के 21वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट करते हुए अपने डिजिटल संबोधन में कहा था कि वहां की भूमि का इस्तेमाल किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए।
24 सितंबर को क्वाड शिखर सम्मेलन में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा द्वारा अन्य मुद्दों के अलावा, अफगानिस्तान की स्थिति पर विचार-विमर्श किये जाने की उम्मीद है।