21 मई 1991 का वो धमाका जिसने देश को हिला कर रख दिया था, उसे आज भी भारत के लोग भूले नहीं हैं, इस धमाके ने भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान ले ली थी। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर यह एक आत्मघाती हमला था जो मानव बम द्वारा एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया था।
उस समय राजीव गांधी आम चुनाव के अंतिम चरण में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनाव प्रचार को गए थे जब श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज श्रीलंका के एक अलगाववादी समूह लिट्टे के आत्मघाती हमले में उन्हें मार दिया गया। इस आत्मघाती हमले में राजीव गांधी सहित और भी कई लोगों की जान गईं थी। उनकी पुण्यतिथि के दिन 21 मई को देश में आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। जब वह महज तीन साल के थे उनके दादा पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी की माता स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री रहीं तथा पिता फिरोज गांधी सांसद थे।
राजीव गाँधी की इच्छा पायलट बनने की थी, ब्रिटेन में उन्होंने पायलट बनने की ट्रेनिंग ली और वर्ष 1966 में वे वहां से प्रोफेशनल पायलट बनकर भारत लौटे। कैम्ब्रिज में पढाई के दौरान उनकी मुलाकात सोनिया गाँधी से हुई थी। 1968 में सोनिया गांधी से उनकी शादी हुई। उनके एक पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र राहुल गांधी वर्तमान में लोकसभा के सदस्य हैं तथा पुत्री प्रियंका गांधी भी राजनीति में सक्रिय हैं।
स्वर्गीय राजीव गांधी की इच्छा हालांकि राजनीति में आने की नहीं थी, हवाई जहांज उड़ाने के साथ ही उन्हें संगीत और फोटोग्राफी का बहुत शौक था। राजनीति में आने से पहले वे एक फ्लाइंग क्लब के मेंबर थे जहां से उन्होंने सिविल एविएशन की ट्रेनिंग ली थी। 1970 में उन्होंने एक पायलट के तौर पर एयर इंडिया ज्वाइन की और राजनीति में आने से पहले तक वे एयर इंडिया के लिए काम कर रहे थे किन्तु आपातकाल के पश्चात उनकी माता इंदिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। वहीं साल 1980 में छोटे भाई संजय गांधी की हवाई जहाज दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद मां इंदिरा गांधी का सहयोग देने के लिए उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। राजीव गांधी संजय गांधी की लोकसभा सीट से सांसद बने। 1981 में उन्हें कांग्रेस पार्टी के यूथ विंग का प्रेसिडेंट चुना गया था। उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई थी।
1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 24 घंटे के भीतर राजीव गांधी को देश के प्रधानमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। वे देश के सातवें प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी 40 साल की उम्र के थे जब प्रधानमंत्री बने, वे भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे। सुरक्षाकर्मियों के घेरे में रहना राजीव गांधी को बिलकुल पसंद नहीं था।
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राजीव गांधी एक आधुनिक सोच वाले व्यक्ति थे, उन्होंने 21 वीं सदी के भारत का सपना देखा था और इसी तर्ज पर भारत को एक तकनीकी समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य किया। राजीव गांधी के निर्णय लेने की क्षमता अद्भुत थी। यह उनके शासन काल में ही हुआ था जब उन्होंने युवा मताधिकार की उम्र जो 21 साल हुआ करती थी को घटाकर 18 साल कर दी थी। इस फैसले से उस समय करीब 5 करोड़ युवाओं को वोट देने का अधिकार मिला था।
देश में डिजिटाइजेशन और कंप्यूटराइजेशन पर राजीव गांधी ने विशेष ध्यान दिया था। कंप्यूटर तकनीक में उनका योगदान अमूल्य था। उनका मानना था कि देश की युवा पीढ़ी को आगे ले जाना है तो उसके लिए कंप्यूटर और विज्ञान की शिक्षा जरूरी है। प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्होने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के लिए सरकारी बजट को बढ़ाया। कंप्यूटर की कीमतें घटाने के लिए अहम फैसला लेकर इसे सरकारी नियंत्रण से अलग किया और असेंबल कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया।
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राजीव गांधी 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। शुरूआत में ही उन्होंने माइक्रो कंप्यूटर्स पॉलिसी की नींव रखी। इसके तहत प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को 32 बिट कंप्यूटर्स बनाने का अधिकार मिला। देश में एमटीएनएल, बीएसएनएल, और पीसीओ की शुरुआत राजीव गांधी जी के कार्यकाल में ही हुई।
गांवों को सशक्त बनाने और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए भी राजीव गांधी जी का योगदान अभूतपूर्व था। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की शुरूआत की ताकि ग्रामीण विद्यार्थी अच्छी शिक्षा से वंचित न रहें। इसके साथ ही गांवो में पंचायती राज का फैसला भी उन्होंने लिया।
अमृता गोस्वामी