डिस्काउंट की बरसात (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Sep 15, 2023

डिस्काउंट का मौसम बरसात की तरह आता है। इस बार भी डिस्काउंट तो खूब रहा और बरसात ने कई जगह तो इंसानों की खूब खबर ली। अनेक तरह के लालच में गिरफ्तार हमने सोचा, पत्नी के लिए ड्रेस ऑनलाइन मंगवाई जाए। ऑनलाइन बाज़ार में खरीदते समय कई बार सहीफहमी होने लगती है कि विक्रेता घाटे में बह जाने को तैयार है। सत्तर से अस्सी प्रतिशत की ऑफर्स मानो मिनी स्कर्ट पहनकर खड़ी होती हैं। ऐसी ऑफर्स से पत्नी और पति दोनों प्रभावित हो जाते हैं।  


हमने पत्नी को समझाना बंद कर दिया है कि दुनिया में कोई व्यापारी घाटा नहीं उठाता। इतना सस्ता इसलिए बेचता है क्यूंकि वह सामान उससे ज़्यादा कीमत का नहीं होता है। ज़्यादा बेचकर लाभ कमाना बाज़ार की नीति रहती है। इन बातों से पत्नी को कोई मतलब नहीं। खैर! हमने सत्तर प्रतिशत ऑफर वाली बढ़िया ड्रेस पसंद करवाकर आर्डर कर दी। बस फिर क्या था, सूचनाओं की बाढ़ आनी शुरू। जहां से ड्रेस मंगवाई उनका धन्यवाद आया, आर्डर कन्फर्म हुआ। ट्रैक करते रहें, बाकी काम छोड़ दें।

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पत्नी पूछने लगी कब आ रही है ड्रेस। इस बीच जूतों की पचास प्रतिशत डिस्काउंट की ऑफर आ गई, कुछ देर बाद पैंसठ प्रतिशत ऑफर आ गया अगले दिन दस प्रतिशत और बढ़ गया। घर में जूतों की बाढ़ पहले से है। अगला मैसेज फाटा स्काई का आ गया, कई दिन बाद पैसे खत्म हो जाएंगे। पत्नी को बताया तो बोली, ड्रेस आए न आए, डिश अभी रिचार्ज करवाओ। टीवी और बीवी का मामला अत्याधिक संवेदनशील होता है। इसमें तीसरा मामला फोन रिचार्ज करने का भी जुड़ गया है। फाटा का भुगतान किया, उनके संदेश आने लगे। धन्यवाद के बाद बताया यह ऑफर है, वह ऑफर है, यह देखो, मज़ा लो, मनोरंजन करो, ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा।


पत्नी की ड्रेस का आर्डर पिक हुआ, उसमें क्या आ रहा है संदेश आ गया। अगले चौबीस घंटे में शिप हो जाएगी, ट्रैक करते रहें। साथ ही एक ज्वैलर का ऑफर आ गया, बनाई पर पूरी छूट। यह सूचना पत्नी के लायक नहीं थी झट से डिलीट मारा। ड्रैस पैक होने का संदेश आ गया, अब रास्ते में है। तीसरे दिन ड्रेस अपने शहर में आ पहुंची डिलीवरी। एसोसिएट आया, घर के बाहर आकर ड्रेस ली। हमारे द्वारे दो कुरियर कम्पनियों ने ड्रेस फटाफट पहुंचाई। दोनों का डिलीवरी मेसेज आया, इमेल भी आई, व्ह्त्सेप भी आया। हमें बताएं इस खरीद बारे, स्माइली भी भेजी, इतनी अंग्रेजी लिख मारी मगर एक भी जगह प्लीज़ नहीं लिखा।  जिन जिन विक्रेताओं के पास हमारा फोन नम्बर है उनकी डिस्काउंट ऑफर जारी है। दिमाग में दर्द होना शुरू हो गया है। 

 

ड्रैस का पैकेट अभी बंद पड़ा है, पता नहीं वापिस ही भेजनी हो। क्या आफत है, संदेशों की बाढ़ में फंस गए। बाज़ार जाकर, आराम से पसंद कर खरीदने का मज़ा लाजवाब है। संदेशों का कोई झंझट नहीं।  ड्रैस रात तक बंद रही। अगले दिन नाश्ते के बाद पत्नी को देता हूं, पहले मुंह बिचकाती है फिर अ अ करके पहनती है, कहती है आपको अच्छी चीज़ खरीदनी कहां आती है। ऐसी है... चलो रख लेती हूं..... बाद में देखूंगी। पता है वह देख लेने हमें में कोई डिस्काउंट नहीं देगी। उन्हें खरीददारी में डिस्काउंट का फायदा पहुंचाना ही होगा।    


- संतोष उत्सुक

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