अमेरिका के मिनियापोलिस में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देश में हिंसक प्रदर्शन जारी है। सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों के लिए भारतीय मूल का एक शख्स किसी मसीहा की तरह सामने आया है। 44 वर्षीय भारतीय अमेरिकी मूल के राहुल दुबे ने जब रात में अपने घर का दरवाजा खोला तो देखा कि पुलिस द्वारा मिर्च स्प्रे और आंसू गैस किए जाने के बाद उससे बचने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारी चिल्ला रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रदर्शन कर रहे कम से कम70 लोगों को राहुल दुबे ने अपने घर में ठहराया।
राहुल दुबे के इस कदम की हर तरफ सराहना हो रही है। राहुल दुबे ने इन प्रदर्शनकारियों को बचाने के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए। कहा जा रहा है कि राहुल दुबे ने पहले से ही प्रदर्शनकारियों को अपने घर का वॉशरूम और फोन चार्ज करने की अनुमति दे रखी थी। लेकिन सोमवार को जब पुलिस ने इन पर हमला किया तो उन्होंने अपने घर में इन्हें शरण दी। दुबे में एक स्थानीय चैनल से बातचीत के दौरान बताया कि हमारे इलाके में एक बड़ा धमाका हुआ था और वह स्प्रे था। मेरे खुद की आंखें जलने लगी थी। मैंने ऐसा ना पहले महसूस किया था, ना इसके बारे में कभी सुना था।
जब प्रदर्शनकारी राहुल के घर में घुस रहे थे तो पुलिस सिर्फ दो घर की दूरी पर थी। एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि राहुल ने अपनी चिंता किए बगैर हमें सुरक्षित रखा। वह हमारे अधिकारों के बारे में बताते रहे और हमारा मनोबल बढ़ाते रहें। राहुल दुबे ने कहा कि जब यह प्रदर्शन कर रहे थे तो सभी अपने हाथ खोलकर हमें जाने दीजिए दोहरा रहे थे। जब पुलिस ने यह स्प्रे किया तो उस वक्त ये प्रदर्शनकारी राहुल के घर के अंदर 10 मिनट तक खांसते रहें और अपनी आंखें मसलते रहे। कई बार तो भागने के क्रम में सीढ़ियों पर भी गिर गए और एक-दूसरे के सहारा बने।
राहुल ने पुलिस को भी कहा कि उनके घर में प्रदर्शनकारियों का स्वागत है। जब पुलिस ने मिर्ची स्प्रे किया तब लगभग 1 घंटे 15 मिनट तक तबाही जैसा मंजर था। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि घर में वापस जाओ या हम तुम्हें गिरफ्तार करेंगे। अगले दिन सुबह 6:00 बजे कर्फ्यू खत्म होने पर प्रदर्शनकारियों ने राहुल दुबे का घर छोड़ दिया। इस घटना को लेकर कई तरीके की बातें की जा रही है परंतु एक बात तो सच है किस घटना ने राहुल दुबे को स्थानीय लोगों के बीच नायक बना दिया। सोशल मीडिया पर उनकी हर ओर प्रशंसा हो रही है।