By नीरज कुमार दुबे | Aug 08, 2024
वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक के विरोध में विपक्ष ने अपनी आवाज बुलंद कर दी है। मोदी सरकार के ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024’ का विरोध करते हुए कांग्रेस ने इसे ‘‘असंवैधानिक'' बताया है। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारुढ़ भाजपा पर प्रस्तावित वक्फ अधिनियम में संशोधन की आड़ में वक्फ की जमीन बेचने की योजना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह रियल एस्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी को अपना नाम बदलकर ‘भारतीय जमीन पार्टी’ रख लेना चाहिए।
वैसे विपक्ष चाहे जो कहे, लेकिन विधेयक के उद्देश्य और कारणों के विवरण कहते हैं कि इसमें यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। यह विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
बहरहाल, इस मुद्दे पर हो रही राजनीति के बीच उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि भारत सेक्युलर देश है और सभी भारतीय समान हैं। उन्होंने सवाल किया है कि फिर मजहब के आधार पर वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल क्यों है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल खत्म होना चाहिए। अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता तो सेक्युलर शब्द हटाकर हिंदू जैन बौद्ध सिख यहूदी पारसी ईसाई बहाई के लिए भी अलग बोर्ड और ट्रिब्यूनल बनाना चाहिए।