By अंकित सिंह | Oct 10, 2023
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। चार सांसदों द्वारा संसद में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद चड्ढा को 11 अगस्त को "विशेषाधिकार के उल्लंघन" के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया था। इससे पहले शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट सौंपे जाने तक निलंबित कर दिया था। शिकायतकर्ताओं ने आप सांसद पर नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना मामले की जांच करने के लिए विशेषाधिकार समिति को चयन समिति के गठन के लिए उनका नाम प्रस्तावित करने का आरोप लगाया।
चड्ढा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार करने के लिए एक चयन समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था और इसमें चार सांसदों के नाम शामिल थे। इस बीच, आप के एक अन्य सांसद संजय सिंह का निलंबन भी विशेषाधिकार समिति द्वारा राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने तक बढ़ा दिया गया। निलंबन की घोषणा करते हुए, धनखड़ ने कहा, "...मुझे इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजना समीचीन लगता है... 24 जुलाई 2023 का निलंबन आदेश वर्तमान सत्र के बाद भी तब तक जारी रह सकता है जब तक कि परिषद को विशेषाधिकार समिति की सिफारिश का लाभ नहीं मिल जाता।"
अपने निलंबन के बाद राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपना परिचय (बायो) शनिवार को बदलकर ‘निलंबित संसद सदस्य’ कर दिया था। इससे एक दिन पहले चड्ढा को नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, अपमानजनक रवैये और अवमाननापूर्ण आचरण के लिए राज्यसभा से विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया। सदन के नेता पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा द्वारा नियमों का उल्लंघन किए जाने तथा सदन की एक समिति के लिए चार सदस्यों का नाम उनकी सहमति लिए बिना प्रस्तावित करने का मुद्दा उठाया। चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था और इस समिति के लिए चार सांसदों.. सस्मित पात्रा (बीजू जनता दल), एस फान्गनॉन कोन्याक (भारतीय जनता पार्टी), एम थंबीदुरई (ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कषगम) और नरहरि अमीन (भाजपा) के नाम उनकी अनुमति के बिना शामिल किए थे।