By अंकित सिंह | Jul 29, 2020
कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्था में आई संकट के बावजूद यह सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए काफी बड़ा अवसर लेकर सामने आया है। एक ओर जहां विपक्ष देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले और अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर हमलावर है तो वहीं राफेल और राम मंदिर के सहारे सत्ता पक्ष विपक्ष के आरोपों पर भारी पड़ रही है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक के बाद एक ट्वीट सरकार का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। इन सबके बावजूद मोदी सरकार के लिए यह सप्ताह एक ऐसा अवसर लेकर आया है जो देश को शक्तिशाली और गौरवशाली बनाता है। सरकार के मंत्री से लेकर प्रवक्ता तक इसके हुंकार भर रहे हैं।
दूसरी ओर 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन का आयोजन है। माना जा रहा है कि इससे आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी इस अवसर पर शिरकत करेंगे। विपक्ष एक बार फिर से सवाल उठा रहा है। लेकिन कोरोनावायरस के मामलों के बीच भाजपा एक बार फिर भावनात्मक मुद्दे उठाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी भाजपा राम मंदिर के निर्माण के लिए खुद को प्रतिबद्ध बताती थी। आज वह समय आ ही गया है। लेकिन एक बात भी सच है कि भाजपा राम मंदिर के निर्माण के ही सपने दिखाकर 3 से 300 तक पहुंची है। लेकिन लोगों में इस बात की उम्मीद 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही हुई। सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद बीजेपी समर्थक इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने लगे हैं। वो बार-बार नारा लगाते रहे कि 'मोदी है तो मुमकिन है'। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव रखेंगे तो एक बार फिर विश्व भारत के गौरवशाली इतिहास की तस्वीर देखेगा।
वर्तमान में देखें तो मौजूदा मोदी सरकार अर्थव्यवस्था से लेकर चीन तक के मुद्दों से घिरी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार और कई राजनीतिक विशलेषक यह मानते हैं कि पिछले 6 सालों में जब-जब केंद्र की सरकार गिरी है तब तब पीएम मोदी ने भावनात्मक मुद्दों को ढाल बनाकर जबरदस्त वापसी की है। राफेल और भूमि पूजन के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चित तौर पर विपक्ष के आरोपों को बेअसर कर दिया है। हालांकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह तरीका बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है और कभी ना कभी केंद्र को वास्तविक मुद्दों पर आना ही पड़ेगा। एक बात और भी है कि राम मंदिर निर्माण का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ हुआ और उसी के आदेश के तहत आगे का काम भी जारी है। वहीं राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान आज समय की जरूरत हैं। ऐसे में कोई भी सरकार इसे अपने यहां लाने की कोशिश जरूर करती।