राजस्थान स्थित पुष्कर पशु मेले के लिए मशहूर है। हाल ही में यह मेला संपन्न हुआ। कोरोना काल की वजह से यह मेला दो साल बाद आयोजित किया गया। इस बार मेले का कोई औपचारिक उद्घाटन आदि नहीं किया गया और तमाम तरह की पाबंदियों के चलते मेले की रौनक भी पहले जैसी नजर नहीं आयी। जहां तक इस मेले की बात है तो उल्लेखनीय है कि राजस्थान के ग्रामीण यहां अपने ऊंट, घोड़े, गाय और बैल बेचने के लिए लाते हैं। यहां पर्यटक घुड़सवारी और ऊंटसवारी का खूब लुत्फ उठाते हैं। मेले के दौरान यहां हर चीज बड़ी कौतूहल भरी लगती है।
इस दौरान बाजार में छोटी−छोटी फुटपाथी दुकानों पर ग्रामीण महिलाओं के जमघट सैलानियों को देखने को मिले तो अस्थायी दुकानों में पारम्परिक हस्तशिल्प का सामान, रंग−बिरंगे परिधान, श्रृंगार का सामान, म्यान, तलवार और ढाल आदि खरीदने में विदेशी पर्यटक व्यस्त रहे। पशु मेले के दौरान सर्कस, झूला, नौटंकी, नट, बंदर और कठपुतली का खेल सब कुछ इस मेले में मौजूद था जिसका लोगों ने खूब लुत्फ उठाया।
पुष्कर में एक अर्द्धचंद्राकार झील भी है जिसके 52 घाट हैं। लेकिन सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र जयपुर घाट ही है जहां से सूर्यास्त का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखता है। झील में सूरज का बिंब और लालिमा को कैमरे में कैद करने के लिए सैलानियों का भारी समूह शाम से ही डेरा जमा लेता है।
लगान फिल्म हिट होने के बाद से मेले में लगान क्रिकेट भी खेला जाता है। यह क्रिकेट देशी और विदेशी टीम के बीच होता है। दर्शक इस खेल का आनंद उठाने के लिए भारी संख्या में एकत्रित होते हैं और खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पुष्कर मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रहती है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम इस अवसर पर खास तौर से भवई, तेरहताली, चकरी, चरी, बंजारा आदि नृत्यों के अलावा गुलाबो का कालबेलिया नृत्य और जहूर खां का भपंग वादन आयोजित कराता है जिससे विदेशी सैलानी आकर्षित होते हैं। पुष्कर मेले में स्त्री और पुरुष वर्ग में रस्साकशी का भी आयोजन होता है जोकि विदेशी सैलानियों को खासकर भाता है।
विविधता और रोचकता से भरपूर यह मेला अनूठे सांस्कृतिक मेलजोल की सुखद अनुभूति भी कराता है। तभी तो बेशक से यह पशु मेला हो, लेकिन हर तबके और हर वर्ग के लोगों की इस अवसर पर उपस्थित इिस साधारण से मेले को भी खास बना देती है।
- प्रीटी