दिल्ली में निर्णायक स्थिति में हैं पूर्वांचली मतदाता, इसीलिए हर पार्टी इन्हें रिझाने में लगी है

By गौतम मोरारका | Nov 27, 2022

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस समय नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। सभी राजनीतिक दल समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँच रहे हैं। दिल्ली में आबादी के हिसाब से देखा जाये तो पंजाबी के बाद पूर्वांचली समाज के लोग सर्वाधिक तादाद में हैं इसलिए हर दल पूर्वांचल के लोगों को रिझाने में लगा हुआ है। भाजपा ने तो उत्तर प्रदेश और बिहार से अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की टीम को दिल्ली में पूर्वांचल बहुल इलाकों में चुनाव प्रचार में लगाया हुआ है वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से भी पूर्वांचली मतदाताओं से बड़े-बड़े वादे कर उनका समर्थन हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।


दिल्ली की दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टियों- भाजपा और आम आदमी पार्टी ने तो 50-50 पूर्वांचली लोगों को चुनाव में टिकट भी दिया है। पिछले सप्ताह भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद दिल्ली के पूर्वांचली मतदाताओं के बीच पहुँचे और बिहार से अपना नाता बताते हुए वोट मांगे। नड्डा ने कहा कि उनके प्रारंभिक जीवन का बहुत बड़ा भाग पटना में बीता था। नड्डा ने बिहार से अपना रिश्ता बताते हुए कहा कि मैं छठ में ठेकुआ का प्रसाद खाता था अब चार दिसंबर को छठ का प्रसाद फिर मांग रहा हूं। देखा जाये तो दिल्ली नगर निगम चुनाव नड्डा के लिए बड़ी परीक्षा भी हैं। इससे पहले जब नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे उसके कुछ समय बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमें भाजपा की हार हो गयी थी। अब एक बार फिर दिल्ली में चुनाव हैं इसलिए नड्डा हर प्रयास कर रहे हैं ताकि लगातार चौथी बार दिल्ली नगर निगम की सत्ता में लौट कर भाजपा नया रिकॉर्ड बना सके।

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जहां तक पूर्वांचली मतदाताओं की बात है तो आपको बता दें कि माना जाता है कि दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों में इस क्षेत्र के लोगों की अच्छी खासी उपस्थिति है। भाजपा और आप, दोनों का ही दावा है कि पूर्वांचली मतदाता उनके साथ हैं। लेकिन पूर्वांचली मतदाताओं के अपने मुद्दे हैं जो वर्षों से हल नहीं हुए हैं इसलिए वह कह रहे हैं कि हम सभी के वादों पर गौर कर रहे हैं और जब मतदान का समय निकट आयेगा तब उचित फैसला करेंगे। पूर्वांचल के मतदाताओं के अहम मुद्दों की बात करें तो सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह लोग ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं और वहां अक्सर गंदगी का आलम रहता है। इसलिए सफाई और बुनियादी सुविधाएं इनके लिए बड़े मुद्दे हैं। इसके अलावा अपने घर के ढांचे में बदलाव करने पर निगम के अधिकारियों को जो रिश्वत देनी पड़ती है वह बात भी इन्हें परेशान करती है। 


हम आपको बता दें कि मूल रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के भोजपुरी भाषी वे लोग जो दिल्ली में बस गए हैं, उन्हें पूर्वांचली कहा जाता है। दिल्ली में रहने वाले ज्यादातार पूर्वांचली मतदाता शहर की अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। दिल्ली नगर निगम के 250 वार्डों की स्थिति के हिसाब से देखें तो पूर्वांचली मतदाता 75-80 सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं। एक अनुमान के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुल 1.46 करोड़ मतदाताओं में से पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या करीब एक तिहाई है। दिल्ली में हर निर्वाचन क्षेत्र में पूर्वांचली मतदाता हैं और माना जाता है कि हर निर्वाचन क्षेत्र में उनके 10,000 वोट हैं।


भाजपा की ओर से पूर्वांचली पृष्ठभूमि के स्टार प्रचारकों में दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद रवि किशन और आजमगढ़ के सांसद दिनेश यादव निरहुआ शामिल हैं। आने वाले दिनों में इन तीनों नेताओं की ओर सभाएं दिल्ली में आयोजित की जाने वाली हैं। आम आदमी पार्टी के पूर्वांचली स्टार प्रचारकों की बात करें तो दुर्गेश पाठक ने मोर्चा संभाल रखा है। दुर्गेश पाठक का दावा है कि पूर्वांचली मतदाता इस बार झाड़ू लगा देंगे। दुर्गेश पाठक का दावा है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्वांचल के मतदाताओं को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार का दावा है कि उनकी पार्टी शहर में पूर्वांचली लोगों के मुद्दों को उठाने में सबसे आगे रही है। हालांकि उनके दावे पर बड़ा सवाल तब लग गया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बड़े पूर्वांचली नेता महाबल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।


बहरहाल, पूर्वांचल के लोगों के लिए छठ घाटों की साफ सफाई और सुविधा भी बड़ा मुद्दा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से छठ व्रतियों को मैली यमुना में खड़े होकर पूजा करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। भाजपा ने इस बात को बड़ा मुद्दा भी बनाया था लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि जब हमारी सरकार आई थी, तब सरकार द्वारा स्थापित केवल 50-60 छठ घाट थे और अब लगभग 1,200 ऐसे घाट हैं। अब देखना होगा कि पूर्वांचल के मतदाता भाजपा के वचन पत्र पर विश्वास करते हैं या केजरीवाल गारंटी पत्र पर।


-गौतम मोरारका

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