चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार को किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि कानून तुरंत रद्द करने की अपील

By विजयेन्दर शर्मा | Sep 29, 2021

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी ने  केंद्र सरकार को तीन काले कृषि कानून तुरंत रद्द करने की अपील की है और ऐसा ना करने की सूरत में उनकी सरकार विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर किसान विरोधी कानूनों को सिरे से ख़ारिज कर देगी, जिससे किसानों और खेत मज़दूरों के हितों की रक्षा की जा सके, जो पहले ही गहरे आर्थिक संकट से गुजऱ रहे हैं।

 

 

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मुख्यमंत्री कार्यालय में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए स. चन्नी ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को यह कानून रद्द करने के लिए कहा था, परन्तु उस मौके पर मंत्रीमंडल ने उनको (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) जो भी कदम चाहें, वह उठाने के लिए अधिकृत कर दिया था। हालाँकि, उन्होंने इन कठोर कृषि कानूनों को रद्द करने की बजाय संशोधित बिल लाने का रास्ता चुना था।

 

 

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केंद्र सरकार को देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए बेमिसाल बलिदानों के लिए सीमावर्ती राज्य को मान्यता देने की अपील करते हुए स. चन्नी ने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर की तरह राज्य में बेचैनी पैदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, बल्कि देश के हित में किसानों के चल रहे संघर्ष का हल जल्द किया जाना चाहिए।

 


संकट की इस घड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा और किसानों के साथ दृढ़ प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने की माँग को तुरंत स्वीकार नहीं करती तो वह इस मुद्दे पर पैदल या साइकिल पर दिल्ली की ओर विशाल मार्च निकालने का नेतृत्व करेंगे।

 


इन कृषि कानूनों के खि़लाफ़ चल रहे संघर्ष में किसानों और खेत मज़दूरों के साथ एकजुटता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह किसानों के सरोकारों का समर्थन करते रहेंगे। उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर किया कि यह कानून राज्य के किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे, क्योंकि हमारे किसान पहले ही एक लाख करोड़ रुपए के बोझ के नीचे दबे हुए हैं, जिस कारण केंद्र सरकार को किसानों को इस वित्तीय संकट में से बाहर निकालने के लिए आगे आना चाहिए।

 


स. चन्नी ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि ‘अन्नदाता’ को केंद्र के अडिय़ल रवैए के कारण ‘भीखारी’ बनने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘ यदि केंद्र सरकार द्वारा बड़े कॉर्पोरेट घरानों के कजऱ्े माफ किए जा सकते हैं तो गरीब और जरूरतमंद किसानों के कजऱ्े माफ करने से इसको कौन रोकता है?’’ परन्तु उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही छोटे और सीमांत किसानों को दो लाख रुपए तक की राहत प्रदान की है और अब खेत मज़दूरों को भी अपने संसाधनों में से 25 हज़ार रुपए तक की राहत दी जा रही है।

 


काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों के पीडि़त परिवारों के ज़ख़्मों पर मरहम लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पीडि़त परिवारों के परिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरियाँ प्रदान करने के अलावा प्रति परिवार 5 लाख रुपए की वित्तीय सहायता भी मुहैया की गई है।

 


भावुक होते हुए मुख्यमंत्री ने जि़क्र किया कि उन्होंने निजी तौर पर ऐसे परिवार को नियुक्ति पत्र सौंपा था जो बेहद गरीबी भरे हालात में रहते हैं और जिनके घर पर छत भी नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि बठिंडा जि़ले के इस पीडि़त परिवार द्वारा सरकार से मिली 5 लाख रुपए की वित्तीय मदद से अपने घर का निर्माण किया जा रहा था।

 


बेघर लोगों को रहने के लिए घर मुहैया करवाने को अपनी सरकार की प्राथमिकता करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 5-5 मरले के प्लॉटों के आवंटन की प्रक्रिया को और आसान बनाया जा रहा है और अब बी.डी.पी.ओज़. को यह अधिकार दिए गए हैं कि सम्बन्धित गाँव की पंचायत द्वारा प्रस्ताव पास किए जाने के बाद वह मामलों का निपटारा कर सकें। प्लॉटों का योग्य लाभार्थियों को आवंटन सम्बन्धी प्रक्रिया की पहचान करके इसको एक महीने में अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

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