By निधि अविनाश | Aug 06, 2021
भारत के बजरंग पुनिया ने 65 किग्रा वर्ग के सेमीफ़ाइनल में जगह बना ली है, लेकिन पुनिया के लिए सेमिफाइनल में आना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। वह पहले दौर में पिछड़ गए थे और दूसरे दौर में उन्हें चेतावनी भी मिली थी। हालांकि, एक बदलाव के साथ पुनिया ने अपने प्रतिद्वंद्वी को पटकनी देकर क्वार्टर फाइनल मुकाबला जीतने में सफल रहे। पुनिया के किर्गिस्तान के ई अकमातालिव के खिलाफ हार से बचने के बाद, ईरान के घियासी चेका मुर्तजा को पटकनी दे दी। शुरुआती दौर में ईरान के खिलाड़ी मुर्तजा ने एक प्वाइंट की बढ़त बना ली थी लेकिन बजरंग पूनिया ने शानदार वापसी करते हुए मुर्तजा को चित कर दिया।पहलवान बजरंग पूनिया ने पदक की आस जगाई है। आपको बता दें कि बजरंग पूनिया 65 किग्रावर्ग में भारत की चुनौती पेश कर रहे हैं। बजरंग पूनिया ने ईरान के मुर्तजा को 2-1 से पटकनी दी है। अब सेमीफाइनल में पुनिया का सामना अजरबैजान के अलीयेव हाजी से होगा, जहां पर भारत को उनसे काफी ज्यादा उम्मीदें हैं। बजरंग पूनिया का अभी तक का खेल देखने के बाद कहा तो जा रहा है कि उनका पदक हासिल करना तय है।
बजरंग पुनिया की सेहत कर रही परेशानी?
टोक्यो ओलंपिक में भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीदों में से एक, बजरंग पुनिया को हाल ही में दाहिने घुटने में चोट लग गई थी। बजरंग ने तोक्यो ओलंपिक से पहले रूस में एक टूर्नामेंट में खेला था जहां अबुलमाजिद कुदिव के खिलाफ मैच के दौरान उनको घुटने में चोट लग गई थी। बजरंग ने चोट पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि, दाहिने घुटने में चोट लगने के बाद वह जल्द ही मैट पर वापस आ जाएंगे। बजरंग ने हिंदी में ट्वीट किया था कि, "आपके स्नेह और सहानुभूति के लिए धन्यवाद। आप मुझे जल्द ही मैट पर वापस देखेंगे, सब ठीक है, चिंता की कोई बात नहीं है। धन्यवाद।" पुनिया ने ओलंपिक को लेकर कहा था कि, मैं ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता हूं। पिछले डेढ़ साल से मैंने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की है।" बता दें कि बजरंग नवंबर 2018 से टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना का हिस्सा रहे हैं।
पॉजिटिव रहना है जरूरी- बजरंग पुनिया
कोरोना महामारी के कहर से एथलीट भी अछूते नहीं रहे है। कोविड -19 महामारी ने कई एथलिटों के अभ्यास को बाधित कर दिया। स्थिति को देखते हुए, कई एथलीटों ने चिंता, अकेलेपन की कमी का मुकाबला करने के लिए मानसिक मदद मांगी है। हालांकि, अनुभवी पहलवान बजरंग पुनिया को कभी भी मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता महसूस नहीं हुई क्योंकि उनके आस-पास के पारिस्थितियों ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन बातचीत के दौरान कहा हरियाणा के 65 किग्रा पहलवान ने बताया था कि,“मैं प्रेरित रहने के लिए लॉकडाउन के दौरान किताबें पढ़ता था। मेरे फिजियोथेरेपिस्ट और कोच भी मुझे प्रेरित करते रहे। मेरे साथ रहने वाले सभी लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया है। सौभाग्य से, मुझे कभी मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता नहीं पड़ी। मैं हमेशा सकारात्मक रहा हूं, ”। तोक्यो खेलों को एक साल के लिए स्थगित करना खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। “फिटनेस बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी।