कट्टर ईमानदार नेताओं की कलई खुलने से जनता के विश्वास को बड़ा धक्का पहुँचा है

By नीरज कुमार दुबे | Apr 15, 2023

जन लोकपाल के लिए हुए आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी से देश को बड़ी उम्मीदें थीं इसलिए देश की राजनीति को बदलने का वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने पहले चुनावी मुकाबले में ही सत्ता तक पहुँचा दिया। लेकिन सत्ता मिलते ही केजरीवाल राजनीति को बदलने का उद्देश्य भूल गये और खुद को ही बदल डाला। अन्ना हजारे ने जिस लोकपाल की बात कही थी वह लोकपाल नहीं बनाया, केजरीवाल ने कहा था कि सरकारी सुरक्षा, सरकारी बंगला और गाड़ी नहीं लूंगा लेकिन वह सब भी लिया।


केजरीवाल ने कहा था कि हम कट्टर ईमानदारी का परिचय देंगे लेकिन आम आदमी पार्टी ने झाड़ू को किनारे रख कर भ्रष्टाचार रूपी गंदगी को फैलाना शुरू कर दिया। केजरीवाल की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया शराब घोटाला मामले में जेल गये, स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हुए लगभग साल भर होने वाला है। इससे पहले केजरीवाल की सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार का सेक्स स्कैंडल सामने आने पर उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उससे पहले केजरीवाल सरकार में गृह मंत्री रहे जितेंद्र तोमर को फर्जी डिग्री विवाद में मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। इसके अलावा केजरीवाल की सरकार में खाद्य और आपूर्ति मंत्री रहे असीम अहमद खान को रिश्वत मामला सामने आने पर मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हाल ही में केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम को भी हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ विवादित बयान के चलते मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। इस प्रकार यह आम आदमी पार्टी के सिर्फ दिल्ली के कट्टर ईमानदार नेताओं की एक छोटी-सी तस्वीर है। राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्वीर और व्यापक है।

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चूंकि आम आदमी पार्टी के नेता आजकल अपनी शैक्षिक योग्यता बता रहे हैं इसलिए उनसे पूछा जाना चाहिए कि यह कैसी पढ़ाई लिखाई है कि अरविंद केजरीवाल अर्थव्यवस्था के हालात सुधारने के लिए नोटों पर भगवान की तस्वीर छापने की सलाह देते हैं। यह कैसी कट्टर ईमानदारी है कि केजरीवाल घोटालों के आरोपों का सामना कर रहे लालू यादव से हाथ मिलाते हैं और उनके बेटे तेजस्वी यादव के साथ गठबंधन पर बात करते हैं? यह कैसी कट्टर ईमानदारी है कि केजरीवाल आज उन नेताओं का समर्थन मिलने से गद्गद् होते हैं जिन पर कभी वह महाभ्रष्टाचारी होने के आरोप लगाया करते थे? यह कैसी कट्टर ईमानदारी है कि हर चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर टिकट बेचने के आरोप उनके अपने ही कार्यकर्ता लगाते हैं? साथ ही यह कैसी समाजसेवा है कि राजनीति में प्रवेश के समय आप शराब की दुकानों पर प्रतिबंध की बात करते हैं और सत्ता मिलते ही गली गली में शराब की दुकानें खुलवा देते हैं और दारू की एक बोतल पर दूसरी बोतल फ्री देने लगते हैं? 


केजरीवाल और उन जैसे तमाम नेता जो केंद्र सरकार पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं उन्हें समझना चाहिए कि कोई भी एजेंसी सजा तो देती नहीं है। एजेंसी पूछताछ के दौरान हासिल किये गये तथ्यों से न्यायालय को अवगत करायेगी और यदि न्यायालय संतुष्ट हुआ तभी आगे की विधिक कार्रवाई होगी। इसलिए अनर्गल आरोप-प्रत्यरोप से बचना चाहिए और एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहिए। बहरहाल, खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले नेताओं की कलई खुलने से जनता के विश्वास को बड़ा धक्का पहुँचा है क्योंकि जनता ने जिन्हें तन मन धन से समर्थन देकर सत्ता में बैठाया, उन्होंने शायद जनता के विश्वास की लाज नहीं रखी।


-नीरज कुमार दुबे

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