भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में हाल के वर्षों में अद्वितीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसरो की अंतरिक्ष यात्रा में अब निजी क्षेत्र भी हमसफर बनने जा रहा है। भारत सरकार की ओर से जारी एक ताजा बयान में कहा गया है कि इसरो अपनी सुविधाओं को निजी क्षेत्र के लिए खोलने को पूरी तरह तैयार है।
परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि “संभवत: स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ग्रहों से संबंधित अनुसंधान से संबंधित भावी परियोजनाएं, अंतरिक्ष यात्राएं आदि निजी क्षेत्र के लिए खोली जा रही हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष विभाग में हुए महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सुधारों का जिक्र करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह पहल देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार की "आत्मनिर्भर भारत" योजना का हिस्सा है। इस पहल के अंतर्गत अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत निजी कंपनियों को भी उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष आधारित गतिविधियों में समान अवसर मिल सकेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि नए सुधारों से भारत में अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों में उल्लेखनीय रूप से बदलाव होंगे। निजी क्षेत्र के शामिल होने के बाद अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र के "आपूर्ति आधारित मॉडल" को "मांग आधारित मॉडल" के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के निर्माण के साथ हमारे पास इसके लिए एक निश्चित तंत्र होगा।
निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार करने के लिए इसरो की सुविधाओं तथा अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति होगी। निजी उद्योगों को इस संबंध में अपना आवेदन भेजने के लिए एक ऑनलाइन लिंक प्रदान किया गया है। उद्योगों और स्टार्टअप कंपनियों की ओर से प्राप्त आवेदनों की जांच एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी। इसके बाद उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया जाएगा।
इंडिया साइंस वायर