भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को हिन्दू मुस्लिम एकता की बात कभी हजम नहीं हुई। महात्मा गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की बात से उन्हें चिढ़ होती थी। बाबा साहब मानते थे कि हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रयास भ्रामक है। इसी बात को लेकर उनके गांधी से मतभेद थे। महात्मा गांधी आजादी के आन्दोलन के दौरान मुस्लिमों का साथ लेने के लिए हर प्रकार का यत्न कर रहे थे लेकिन दलितों की दुर्दशा की उन्हें फिक्र नहीं थी। गांधी जी मुस्लिमों की तो खूब वकालत करते थे लेकिन दलितों के प्रश्न पर वह चुप्पी साध जाते थे।
जब पूरे देश में भारत को स्वाधीन कराने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में आजादी का आन्दोलन चल रहा था उसी समय डा. अम्बेडकर एक बहुत बड़ा समाज जो अपने ही समाज द्वारा उपेक्षित था उसके उत्थान में लगे थे। अम्बेडकर छुआछूत को गुलामी से भी बदतर मानते थे। अम्बेडकर जी कहते थे कि आजादी तो मिल जायेगी लेकिन क्या गारंटी है कि समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जिसे दलित कहते हैं उसके जीवन में कोई परिवर्तन आयेगा।
बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर प्रखर पत्रकार वरिष्ठ स्तम्भकार व लेखक, महान अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, बैरिस्टर, दलितों के मसीहा और जननेता थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इसके अलावा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किया था। इसलिए विश्व के अन्य देशों की राजनीति और समस्याओं से वह भलीभांति परिचित थे। हिन्दू मुस्लिम समस्या पर उनका बहुत ही सूक्ष्म और सटीक विश्लेषण था। बहुत सारे विषयों पर पर उन्होंने अपने अनुभव और अध्ययन के आधार पर बेबाकी से लिखा। आधी अधूरी जानकारी के आधार पर उन्होंने कोई धारणा नहीं बनाई।
बाबा साहब पार्टीशन आफ इण्डिया पुस्तक में लिखते हैं मुसलमान की दृष्टि में हिन्दू काफिर हैं और काफिर सम्मान के योग्य नहीं होता। मुसलमानों को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है। मुसलमानों की मुख्य रूचि मजहब में है। उनकी राजनीति मूल रूप से मौलवियों पर निर्भर है। इसी पुस्तक में आगे वह लिखते हैं महमूद ने न केवल मंदिर तोड़े बल्कि उसने जीते गए हिन्दुओं को गुलाम बनाने की नीति ही बना रखी थी। मुस्लिम कानून के अनुसार दुनिया दो पक्षों में बंटी है। दारूल इस्लाम और दारूल हरब। इस्लामी कानून के अनुसार भारत देश हिन्दुओं और मुसलमानों की साझी मातृभूमि नहीं हो सकता।
बाबा साहब ने स्वयं लिखा है भारत में मुस्लिम समस्या है एक बड़ी समस्या है। सन 711 से लेकर इस्लाम का जो इतिहास है वह युद्ध का आक्रमण का और क्रूरतम घटनाओं का है। मुस्लिम आक्रमणकारियों का भारत पर आक्रमण का उद्देश्य हिन्दू धर्म का विनाश था। कुतुबुद्दीन एवक ने लगभग एक हजार मंदिर गिराए और उनके स्थान पर मस्जिदें बनवाई। अंबेडकर लिखते हैं कि क्या सच्चा मुसलमान भारत को अपनी मातृभूमि मानेगा।
बाबा साहब ने आशंका व्यक्त की थी कि भारत के मुसलमान जिहाद केवल छेड़ ही नहीं सकते बल्कि जिहाद की सफलता के लिए विदेशी मुस्लिम शक्ति को सहायता के लिए बुला भी सकते हैं। पहले अफगानिस्तान के आक्रमण के समय यहां के मुसलमानों का व्यवहार कैसा रहा क्या हम उसे भूल जाएं।
आज अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में कुछ लोग दलित मुस्लिम एकता की बात कर दलितों को बरगलाने की कोशिश करते हैं वह अम्बेडकर के सच्चे अनुयायी नहीं हो सकते।
जब देश का राष्ट्रीय नेतृत्व हिन्दू मुस्लिम एकता की आड़ में मुस्लिम तुष्टीकरण में लगा था उस समय 18 जनवरी 1929 को बहिष्कृत भारत के संपादकीय में बाबा साहब निर्भीकता से लिखते हैं कि मुस्लिम लोगों का झुकाव मुस्लिम संस्कृति के राष्ट्रों की तरफ झुकाव हद से ज्यादा ही बढ़ गया है।
मुसलमानों की किसी भी गलती को माफ कर देने की गांधी की इसी प्रवृत्ति के अम्बेडकर कटु आलोचक थे।
1930 से 1940 के दशक में सावरकर,डा.हेडगेवार और अम्बेडकर ये तीन ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने इस्लाम,ईसाइयत,हिन्दू धर्म और हिन्दू मुस्लिम एकता पर बड़ी बेबाकी और निर्भीकता से अपना मत सार्वजनिक किया था। बाबा साहब ने इस्लाम और ईसाइयत में ढ़ेरों खामियों गिनाई तो उन्होंने हिन्दू धर्म को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवन भर कार्य किया। आम्बेडकर जी ने कहा कि छुआछूत भेदभाव आदि समस्याएं हमारे अपने घर की हैं। उन्हें हम आपस में निपट लेंगे। किन्तु यदि कोई बाहरी अनुचित लाभ उठाकर हमारे अन्दर फूट डालने का प्रयत्न करेगी तो इसे कदापि सहन नहीं किया जायेगा। अम्बेडकर ने समाज के कटु विरोध आलोचना एवं उपेक्षाओं को सहन करते हुए भी अपने निर्धारित मार्ग से हटे नहीं और दलितों को हटने भी नहीं दिया। मुस्लिम समाज द्वारा दिखाए गये प्रलोभनों को ठुकराकर उन्होंने अपने अनुयायियों को बौद्धमत का अंगीकार करने की प्रेरणा दी।
राष्ट्र के लिए अम्बेडकर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लोग उन्हें यह मानकर पूजते हैं कि उन्होंने संविधान लिखा। यह तो उनके जीवन का एक छोटा हिस्सा है। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने ईसाइयत और इस्लाम के प्रस्ताव को अस्वीकार कर बौद्ध धर्म अपनाकर उपकार किया। यह सच्चाई तो है लेकिन अम्बेडकर का सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने भारत का एक और विभाजन होने से बचा लिया। अंग्रेजों को जब लगा कि अब भारत पर लम्बे समय तक शासन नहीं किया जा सकता तो उन्होंने दलितों और मुस्लिमों को अलग राष्ट्र की मांग के लिए उकसाया।
उस समय के हमारे देश के नेताओं को अंग्रेजों की यह चाल समझ में नहीं आयी। कांग्रेस के सत्ता के लालची नेताओं ने हड़बड़ी में स्वाधीनता से पहले विभाजन स्वीकार कर लिया। अंग्रेज भारत का एक और विभाजन कराना चाहते थे। दलितों को इसके लिए उकसाया गया। परिणामस्वरूप देश के कुछ हिस्सों में दलितों के लिए अलग देश की मांग भी उठने लगी। लेकिन अम्बेडकर पर अंग्रेजों का जादू नहीं चला। वह अंग्रेजों की चाल समझ चुके थे। बाबा साहब ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि हम कोई भी ऐसा कदम नहीं उठायेंगे जिससे इस राष्ट्र की अस्मिता खतरे में पड़े। भारत का एक और विभाजन होने से बचा लिया।
अम्बेडकर का जीवन बड़ा व्यापक विस्तृत और बहुआयामी था। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि उनका समग्रता में अध्ययन नहीं किया। सभी लोगों ने उनका कोई न कोई एक पक्ष ही देखा। जबकि उन्होंने हिन्दूधर्म पर सबसे बड़ा उपकार किया है। उनका जीवन समग्र समाज के लिए प्रेरणादायी है।
इस्लामी कट्टरता का सही व सटीक विश्लेषण अम्बेडकर ने 90 वर्ष पूर्व कर दिया था। आज इतने वर्षों बाद भी बाबा साहब का एक—एक शब्द सत्य प्रतीत हो रहा है। मुसलमान लोकतंत्र पर विश्वास नहीं करते हैं। वह देश से पहले मजहब को महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के सपनों को साकार करने का काम कर रहे हैं। मोदी सरकार में बाबा साहब के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थलों को पंचतीर्थ का रूप दिया गया है। अनुसूचित जाति व जनजाति के बंधुओं को को सशक्त व स्वावलम्बी बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गयीं। आज सरकारी योजनाओं में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। बाबा साहब के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टियों ने कभी काम नहीं किया। मोदी सरकार गरीब, दलित, शोषित, वंचित, पिछड़े समेत समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मंत्र को साकार किया है। बाबा साहब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के पक्षधर थे। मोदी सरकार ने 370 को समाप्त किया है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत दलित बाहुल्य गांवों में दलित परिवारों के लिए आवास, सड़कें, बिजली, रोजगार उपलब्ध कराये गये। दलित युवाओं को स्वालंबी बनाने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई गयी। प्रधानमंत्री मोदी ने दलित युवाओं को स्टार्ट अप शुरू करने के लिए देश में पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत की। देश में पहले से चले आ रहे दलित उत्पीड़न कानून 1989 को प्रधानमंत्री मोदी ने संशोधित करके और अधिक सख्त बनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन के माध्यम से देश के दलितों में पुर्नजागरण की चेतना को जगाने का भरपूर काम किया और इसके तहत कई काम किये गये। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के 125वीं जयन्ती वर्ष समारोह पर 125 रूपए और 10 रूपए के स्मारक सिक्के जारी किए।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर 14 अप्रैल 2016 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई। नोटबंदी के बाद देश बदलने की शुरुआत भीम ऐप से की गयी। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का लंदन स्थित वह तीन मंजिला बंगला खरीद गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर से प्रेरणा लेते हुए उनके बताए हुए मार्ग का अनुसरण करते हुए काम कर रहे हैं। यही कारण है कि बाबा साहब के अनुयायी आज नरेन्द्र मोदी के साथ हैं।
- बृजनन्दन राजू
(लेखक सामाजिक समरसता मंच से जुड़े हैं)