By अभिनय आकाश | Aug 26, 2021
सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की नियुक्ति की गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से इन नियुक्ति पर मुहर लगाई गई है। पहली बार तीन महिला जजों की नियुक्ति की गई है। सूची में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नागरत्ना, तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली और गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के नाम हैं। इसके साथ ही बीवी नागरत्ना के 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है। केंद्र ने शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित सभी नौ नामों को मंजूरी दे दी थी, जिसमें वर्तमान में 34 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 24 न्यायाधीश हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किए जाने वाले अन्य न्यायाधीशों में केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश; न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका (कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी (सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एस नरसिम्हा शामिल हैं।
जस्टिस नागरत्ना बन सकती हैं पहली महिला CJI
कानूनी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि जस्टिस नागरत्ना भारत की प्रधान न्यायाधीश बन सकती हैं। ये मौका उन्हें 2027 में मिल सकता है। हालांकि वो केवल एक महीने के लिए ही इस पद पर काबिज हो पाएंगी। 30 अक्टूबर 1962 को जन्मीं जस्टिस नागरत्ना पूर्व CJI ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। उन्होंने 28 अक्टूबर 1987 को बैंगलोर में एक वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। वो तब बैंगलुरू में प्रैक्टिस करती थी। एक वकील के तौर पर जस्टिस नागरत्ना ने संविधान, वाणिज्य, बीमा और सेवा से संबंधित क्षेत्रों में अभ्यास किया। उन्हें 18 फरवरी, 2008 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और दो साल बाद यानी 17 फरवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
मीडिया को नियंत्रित करने की कही थी बात
इस पद पर काबिज होने के बाद उन्होंने कुछ जरूरी फैसले लिए। साल 2021 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़ा फैसला सुनाते हुए मीडिया को नियंत्रित करने की बात कही। बॉर एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सूचना को सही तरीके से पेश करना किसी ब्रॉडकास्टिंग चैनल का जरूरी काम है। लेकिन ब्रेकिंग न्यूज और फ्लैश न्यूज के रूप में सनसनी फैलाने की कवायद पर रोक लगनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कर्नाटक के मंदिरों में काम करने वाले लोगों को लेकर एक फैसला सुनाया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के मंदिर कोई व्यवसायिक संस्था नहीं है। ऐसे में यहां काम करने वालों को ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जा सकता है। लेकिन कर्नाटक के मंदिर में काम करने वाले कर्नाटक के हिंदू रिलीजियस इंस्टीट्यूशन एंड चेरेटेबल एंडाउमेंट एक्ट के तहत ग्रेच्युटी के हकदार होंगे। ये एक विशेष कानून है जिसे मंदिर में काम करने वाले लोगों के संबंध में बनाया गया है। जस्टिस नागरत्ना महिला और बच्चों से जुड़े मामलों में कड़ी टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं।