Pramod Mahajan Birth Anniversary: भाजपा की दूसरी पीढ़ी के चाणक्य कहे जाते थे प्रमोद महाजन

By अनन्या मिश्रा | Oct 30, 2024

आज ही के दिन यानी की 30 अक्तूबर को भाजपा नेता रहे प्रमोद महाजन का जन्म हुआ था। उनकी गिनती जबरदस्त संभावनाओं वाले नेताओं में होती थी। लेकिन असमय उनका निधन हो गया था। कहा जाता है कि यदि वह जीवित होते तो बीजेपी की राजनीति भी अलग होती। यदि प्रमोद महाजन जिंदा होते तो निश्चित तौर पर वह शिखर मौजूद चेहरों में मौजूद मिलते। 90 के दशक में जब भाजपा की राजनीति चढ़ने लगी तो प्रमोद महाजन इस सियासत के असरदार नेता माने जाते थे। वहीं उनको भाजपा की दूसरी पीढ़ी का चाणक्य भी कहा जाता था। वह हमेशा जनता के सामने खास तरीके से रूबरू होते थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर प्रमोद महाजन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म

तेलंगाना में 30 अक्तूबर 1949 को प्रमोद महाजन का जन्म हुआ था। प्रमोद महाजन ने पुणे के रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता की थी। वहीं वह शुरूआती दिनों में ही संघ से जुड़ गए थे। जल्द ही उनको RSS के मराठी अखबार 'तरुण भारत' संपादक बना दिया गया। साल 1974 में प्रमोद महाजन को संघ का प्रचारक बनाया गया। वहीं इमरजेंसी के दौरान जब उन्होंने देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाया, तो प्रमोद महाजन ने विरोध का मोर्चा संभाला।

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प्रमोद महाजन की सक्रियता और भाषण की कला देखते हुए उनको भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर लिया गया। इस दौरान वह साल 1983 से लेकर 1985 तक पार्टी के अखिल भारतीय सचिव थे। फिर साल 1986 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। इसके बाद प्रमोद महाजन लगातार 3 बार इसके अध्यक्ष रहे।


केंद्र की राजनीति में एंट्री

साल 1990 की शुरूआत में महाजन की काबिलियत को पहचानकर लाल कृष्ण आडवाणी ने महाजन को केंद्र की राजनीति में शामिल किया। वह साल 1996 में अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते और उनको वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री बनाया गया। हालांकि यह सरकार सिर्फ 13 दिन की टिकी थीं। वहीं साल 1998 में भाजपा फिर से सत्ता में आई, लेकिन इस बार महाजन चुनाव हार गए। इस दौरान उनको राज्यसभा भेजा गया और वह सूचना प्रसारण मंत्री बनें।


मृत्यु

बता दें कि 22 अप्रैल 2006 को मुंबई के वर्ली इलाके में अपने आवास 'पूर्णा' में प्रमोद महाजन चाय पी रहे थे। तभी दरवाजे की घंटी बजी और उनके भाई प्रवीण महाजन अंदर आकर सोफे पर बैठे। इस दौरान प्रमोद और प्रवीण महाजन थोड़ी देर तक बात करते रहे औऱ यह बात तकरार में बदल गई। इस दौरान प्रवीण महाजन ने अपनी 32 बोर की पिस्टल निकालकर प्रमोद महाजन पर फायरिंग कर दी। प्रमोद महाजन के सीने में तीन गोलियां लगीं, जिसके बाद उनकी पत्नी ने प्रमोद को हॉस्पिटल पहुंचाया। आखिरकार 03 मई 2006 में उनकी मृत्यु हो गई।


भाई प्रमोद महाजन पर फायरिंग करने के बाद प्रवीण महाजन ने यह दावा किया कि यह कैसे हुआ और किसने किया। यह लोग कभी नहीं जान पाएंगे। हालांकि यह कभी सामने नहीं आया कि प्रवीण महाजन ने अपने भाई प्रमोद महाजन की हत्या क्यों की।

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