By अंकित सिंह | Sep 29, 2022
सरकार ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संगठनों पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है। इसके बाद से कई राज्यों में पीएफआई की ओर से अपने संगठन को भंग कर दिया गया है। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर राजनीति भी जमकर हो रही है। कई विपक्षी दलों ने तो इसका स्वागत किया। लेकिन साथ ही साथ यह भी कह दिया कि आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे दक्षिणपंथी संगठन पर भी सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए। इसी के जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी का भी बयान सामने आया है। विपक्ष की इस सम्मान पर प्रल्हाद जोशी ने साफ तौर पर कहा है कि यह बचकानी बातें हैं। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कहा जा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि पीएफआई को प्रतिबंधित करने का फैसला अच्छा है, लेकिन आरएसएस के खिलाफ यही कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि केरल में बहुसंख्यकवदी सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यकवादी सांप्रदायिकता दोनों का विरोध होना चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को एक ‘‘हिंदू कट्टरपंथी संगठन’’ करार दिया और कहा कि उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। लालू को जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हमे आरएसएस का स्वयंसेवक होने पर गर्व है। क्या लालू यादव कह सकते हैं कि वह PFI के सदस्य हैं? बिहार में उनकी सरकार है, हिम्मत है तो बिहार में आरएसएस को बैन कर दो।
बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पीएफआई को आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित हुए 32 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन नीतीश कुमार की पुलिस ने अभी तक राज्य में पीएफआई पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पीएम का सपना देखने वाले नीतीश जी को बताना होगा कि क्या वह पीएफआई के एजेंडा "2047 तक भारत का इस्लामीकरण" का समर्थन करते हैं? इससे पहले सुशील कुमार मोदी ने आतंकी गतिविधियों में लिप्त पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के साहसिक फैसले का स्वागत किया और महागठबंधन सरकार को चुनौती दी कि यदि हिम्मत है, तो वह आरएसएस पर प्रतिबंध लगाये।