By नीरज कुमार दुबे | Mar 02, 2023
देश में एक चलन बढ़ता जा रहा है कि यदि कोई किसी मामले में फँसता है तो आरोप लगाने लगता है कि उसे उसके धर्म या समाज के कारण निशाना बनाया जा रहा है। दिल्ली के शराब मंत्री रहे मनीष सिसोदिया को ही लीजिये, शराब घोटाला मामले में वह फँसे तो कहने लगे कि मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूँ और झुकुँगा नहीं। सिसोदिया पर सीबीआई कार्रवाई के चलते उनके समर्थक सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं कि भाजपा राजपूत समाज के खिलाफ है। कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में जब गैंगस्टर विकास दुबे मारा गया था तब आरोप लगाया गया कि भाजपा ब्राह्मणों के खिलाफ है। दिल्ली दंगा तथा अन्य मामलों में उमर खालिद और शरजील इमाम जेल गये तो आरोप लगाया गया कि भाजपा के राज में मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है।
आपको ऐसे ही अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई को उसके समाज या धर्म से जोड़ दिया गया। जब आप कोई गलत काम कर रहे होते हैं तब आपको अपने वंश, समाज या धर्म की प्रतिष्ठा की कोई चिंता नहीं होती इसलिए सवाल उठता है कि जब चोरी पकड़ी जाती है तो धर्म, समाज या वंश की आड़ में छिपने का प्रयास क्यों होता है? आज जो लोग महाराणा प्रताप का नाम लेकर उनके पीछे छिपने का प्रयास कर रहे हैं उनको पता होना चाहिए कि महाराणा प्रताप जी ने भी काफी संघर्ष किये लेकिन कभी कोई आड़ नहीं ली।
यदि हमारे देश के महान योद्धा और महापुरुष अपने संघर्षों के दौरान जाति, समाज या धर्म की आड़ लेते तो वह कभी महान नहीं बन पाते। महापुरुष किसी एक जाति या समाज के नहीं बल्कि पूरे देश के होते हैं और हर देशवासी को उन पर गर्व होता है। इसलिए चोरी पकड़े जाने पर अपने वंश, जाति या धर्म की दुहाई देने का चलन बंद होना चाहिए। कानून भी यही कहता है कि अपराधी या आरोपी की कोई जाति या धर्म नहीं होता।
-नीरज कुमार दुबे