नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली पारेषण कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन (पीजीसीआईएल) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने की अपील को देखते हुए ग्रिड की स्थिरता को लेकर काम कर रही है और उसने किसी प्रकार की समस्या नहीं आने को लेकर भरोसा जताया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संदेश में पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बिजली बंद करने और दीया जलाकर, टार्च या मोबाइल से रोशनी करने की अपील की। समझा जाता है कि इससे ग्रिड की स्थिरता को लेकर पावर ग्रिड के प्रबंधकों की चिंता बढ़ गयी है।सूत्रों के अनुसार बिजली मंत्री आर के सिंह ने पीजीसीआईएल और अन्य संबंधित पक्षों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की है।
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पीजीसीआईएल ने ग्रिड की स्थिरता को लेकर पूरा भरोसा जताया है। कुछ तबकों में इस बात को लेकर चिंता जतायी गयी है कि देश में ‘लॉकडाउन ’ (प्रतिबंध)के कारण बिजली की मांग पहले से कम है, ऐसे में अचानक से मांग ‘बंद’ होने से क्या ग्रिड स्थिति से निपट सकता है? पुन: नौ मिनट बाद मांग एकदम से बढ़ेगी तो क्या इस प्रकार के उतार-चढ़ाव से ‘ब्लैकआउट’ की स्थिति की आशंका नहीं है? बिजली मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि आपदा के समय भी उतार-चढ़ाव को ग्रिड झेलती है और स्थिर रहती है। और ये स्थिति तो पहले से पता है। ऐसे में पावर ग्रिड और दूसरी एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं और उन्हें ग्रिड को स्थिर बनाये रखने का पूरा भरोसा है।
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इस बीच, ग्रिड के एकीकृत संचालन के लिए जिम्मेदार पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (पीओएसओसीओ) यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि ग्रिड के संभावित ठप होने के कारण ग्रिड पर कोई दबाव नहीं आए और और देश भर में बिजली ठप ना हो। केंद्रीय विद्युत नियामक प्राधिकरण (सीईआरए) ग्रिड के सामान्य संचालन के लिए 49.95-50.05 हर्त्ज के फ्रीक्वेंसी बैंड की अनुमति देता है और बिजली संचरण में अचानक किसी तरह की कमी या वृद्धि होने की विसंगति पर ग्रिड ठप हो सकता है। सूत्र ने कहा, ‘‘पूरा बिजली क्षेत्र अभी दबाव में है। लॉकडाउन के कारण मांग पहले से ही कम है। कुछ मिनटों केलिये एकदम से बिजली बंद होने से कुछ दबाव हो सकता है लेकिन हमें समय का पहले से पता है, हम पहले से इसकी योजना बना सकते हैं।’’ बिजली मंत्रालय की ओर से जारी आंकडों के अनुसार दो अप्रैल को बिजली की मांग 25 प्रतिशत घटकर 1,25,810 मेगावाट रह गयी जो पिछले साल दो अप्रैल को 1,68,320 मेगावाट थी।