By अभिनय आकाश | Feb 01, 2022
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता एसके सुपियन द्वारा दायर याचिका का विरोध किया है, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में हिरासत में पूछताछ के खिलाफ राहत मांगी थी। सुपियां नंदीग्राम में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी एजेंट थे। सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज करने का आग्रह करते हुए, सीबीआई ने अपने तर्क में कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पूरी तरह से उचित थी और एक व्यापक और बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए हिरासत में जांच आवश्यक थी। यह ध्यान देने योग्य है कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है जिसमें नंदीग्राम में भाजपा नेता अभिजीत सरकार की हत्या भी शामिल है।
हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए रची गई साजिश
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पोलिंग एजेंट ने 2021 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर हार के बाद हिंदुओं से बदला लिया। दरअसल इस सीट से ममता बनर्जी बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं। सुपियां ने हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। हिंसा में उन लोगों को ही निशाना बनाया गया जिन्होंने भाजपा को वोट दिया, जिसके परिणामस्वरूप नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) उम्मीदवार (बनर्जी) को हार का सामना करना पड़ा।
सुपियां राहत के पात्र नहीं: सीबीआई
सीबीआई ने कहा, "पूर्ववृत्त और आरोपी के आचरण को देखते हुए जैसा कि ऊपर बताया गया है, याचिकाकर्ता / आरोपी सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अपेक्षित अग्रिम जमानत की राहत के लायक नहीं है। इसलिए वर्तमान याचिका खारिज किए जाने योग्य है। जांच एजेंसी की तरफ से गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए सुपियं पर 5 मई, 2021 को एक साजिश रचने का आरोप लगाया है। जहां वो अपने परिचितों के साथ 'हिंदुओं को सबक सिखाने' के लिए निकल पड़ा, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ मतदान किया था।