By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 29, 2023
मुंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी शिवसेना-भाजपा सरकार को शुक्रवार को एक साल पूरा हो जाएगा और इस बीच सत्तारूढ़ दलों की जहां उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले संगठन के साथ लगातार तीखी नोंक-झोंक जारी है, वहीं सत्तारूढ़ साझेदारों में भी कैमरों पर दिखती मुस्कराहट और सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच तनाव के संकेत स्पष्ट नजर आते हैं। पिछले साल शिंदे के विद्रोह के चलते शिवसेना के विभाजन के बाद शिंदे और उद्धव के नेतृत्व वाले धड़ों ने एक-दूसरे को ‘‘गद्दार’’ करार दिया, जबकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सार्वजनिक रूप से कहा कि यह उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए विश्वासघात का बदला है।
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की स्थिति में होने के बावजूद अविभाजित शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपने दशकों पुराने संबंधों को समाप्त कर दिया था। तब उद्धव ने मुख्यमंत्री बनने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, लेकिन बाद में शिंदे के विद्रोह के चलते उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अपने खेमे में लगभग 50 विधायक रखने वाले शिंदे ने 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद मिला जिसे एक अभूतपूर्व कदम के रूप में देखा गया।
फडणवीस और शिंदे के बीच कैमरे पर व्यापक मुस्कराहट एवं सौहार्दपूर्ण संबंध दिखने के बावजूद तनाव के स्पष्ट संकेत हैं, जो शब्दों और विज्ञापनों से उत्पन्न हुए हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन हालांकि सत्ता की अपनी पहली वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है। जो कुछ चल रहा है, उसे देखते हुए इसमें संदेह नजर नहीं आता कि इन महीनों में राजनीति शासन पर हावी हो गई है, हालांकि सरकार ने मुंबई में मेट्रो लाइन सहित कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को गति देने के लिए तेजी से काम किया है।
कल्याण लोकसभा क्षेत्र में, स्थानीय भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के बेटे और दो बार सांसद रहे श्रीकांत शिंदे पर निशाना साधा, जिससे शिवसेना और भाजपा के बीच तनाव सामने आ गया। बाद में, प्रमुख दैनिक समाचारपत्रों में एक विज्ञापन छपा जिसमें दावा किया गया कि फडणवीस की तुलना में शिंदे अधिक लोकप्रिय हैं, जिसने आग में घी डालने का काम किया। इसमें न तो फडणवीस और न ही शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की तस्वीर थी। भाजपा सांसद अनिल बोंडे ने शिंदे का संदर्भ देते मजाक उड़ाया और कहा कि मेंढक फूल जाने पर भी हाथी नहीं बन जाता, जिस पर शिवसेना के एक विधायक ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके मंत्रियों को केवल उनकी पार्टी के 50 बाघों के कारण ही कैबिनेट में जगह मिली।
शिंदे सरकार के एक साल बाद, ऐसे और भी क्षेत्र हैं जो संभावित रूप से शिवसेना और भाजपा के बीच मनमुटाव पैदा कर सकते हैं। राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार होना बाकी है। इसमें अभी केवल 20 मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शामिल हैं। इसमें अधिकतम 43 सदस्य हो सकते हैं। मंत्रिपरिषद में कोई राज्य मंत्री नहीं है और प्रत्येक कैबिनेट मंत्री के पास कई जिलों के संरक्षक मंत्री का प्रभार होने के साथ ही अन्य कई विभागों का भी प्रभार है। राज्य में मंत्रिपरिषद में अभी तक कोई महिला भी नहीं है। लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर हैं। इससे मंत्री पद के दावेदारों के और अधिक चिंतित होने की संभावना है। सहयोगी दलों के बीच असहज रिश्तों का पहला संकेत तब देखने को मिला जब भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को भारी मन से स्वीकार किया था।
बाद में, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने पार्टी की एक बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि वे लगभग 240 सीट पर चुनाव लड़ेंगे और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना 2024 के विधानसभा चुनाव में 48 सीट पर लड़ेगी। मुंबई के लिए एक विशेष पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के फैसले को शिंदे और फडणवीस के बीच एक और कटु मुद्दे के रूप में देखा गया। विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती को फडणवीस का करीबी माना जाता है। विवेक फणसलकर मुंबई पुलिस आयुक्त हैं। और यह पहली बार है जब देश की वित्तीय राजधानी में दो पुलिस आयुक्त हैं। मौजूदा गठबंधन सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की पहली श्रृंखला में मुंबई में मेट्रो कार शेड को आरे मिल्क कॉलोनी से कंजुरमार्ग में स्थानांतरित करने के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार के कदम को उलटना भी शामिल रहा।
मौजूदा सरकार ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों के समाधान में तेजी से प्रक्रिया को बढ़ाया। सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए पेंशन योजना फिर से शुरू की जिसे एमवीए सरकार ने बंद कर दिया था। वर्ष 2024 में विधानसभा और लोकसभा चुनावों तथा इस साल के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव से पहले एमवीए, विशेष रूप से ठाकरे के नेतृत्व वाले समूह और सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच विवाद और गहराने की उम्मीद है।