उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह का शनिवार को निधन हो गया।उनका अंतिम संस्कार बुलंदशहर के नरोरा राजघाट पर किया गया। उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री -अमित शाह, रक्षा मंत्री- राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल थे।
उनके निधन के बाद यूपी सरकार ने उनकी स्मृति में कई ऐलान किए हैं ,जिनमें अयोध्या के राम मंदिर की तरफ जाने वाली सड़क का नाम और इसके अलावा लखनऊ, प्रयागराज ,बुलंदशहर और अलीगढ़ में एक -एक सड़क कल्याण सिंह के नाम से जानी जाएगी।
इसके अतिरिक्त राज्य के मेडिकल कॉलेज बुलंदशहर और सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान लखनऊ का नाम भी कल्याण सिंह के नाम पर करने का फैसला हुआ है। कल्याण सिंह का निधन ऐसे मौके पर हुआ जब यूपी के चुनाव में महज 6 महीने बचे हुए हैं। इस वजह से हर एक कदम को राजनीतिक नजरिए से आंका जा रहा है ।
बीएसपी चीफ मायावती का कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने आना भी एक राजनीतिक अचंभे के रूप में देखा जा रहा है ।वहीं दूसरी और मुलायम सिंह यादव परिवार से किसी भी सदस्य का श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए न आना भी एक चौकाने वाला कदम है।
वहीं बीजेपी के लिए यह भी कहा जा रहा है कि वह कल्याण सिंह के जरिए उपजी सहानुभूति को अपने हक में करने का कोई भी मौका गवाना नहीं चाहती।
कल्याण सिंह ने जब बीजेपी में वापसी की थी तो उन्होंने कहा था कि जो दो बार हुआ वह उनके जीवन की भूल थी ।अब वह अंतिम सांस तक बीजेपी को समर्पित रहेंगे और वह अंतिम सांस तक बीजेपी के ही रहे।
ऐसे में सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी के लिए ही देखने को मिल सकता है। कल्याण सिंह की छवि एक प्रखर हिंदूवादी नेता की रही है ऐसे में कल्याण सिंह से प्रभावित रहने वाला एक खास विचारधारा का वोट बैंक पहले से कहीं ज्यादा शिदत्त से बीजेपी के साथ जुड़ सकता है।