By अभिनय आकाश | Dec 08, 2022
पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और उत्तर प्रदेश में 10 मार्च को हुई चुनावी हार के विपरीत सबसे पुरानी पार्टी के पास हिमाचल प्रदेश के रूप में उम्मीद की एक किरण मिली है। कांग्रेस ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनावों को 2017 में अपने हाई प्रोफाइल अभियान के विपरीत शैली में लड़ने की कोशिश की थी। लेकिन एक क्षेत्रीय क्षत्रप की अनुपस्थिति के कारण क्षेत्रीय नेताओं के लिए राज्य पार्टी के भाग्य और भाग्य को छोड़ने का विचार गलत था। वहीं कांग्रेस ने गुजरात के चुनावी इतिहास में अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए 16 सीटें जीती।
कांग्रेस ने गुजरात के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया। चुनाव की पूरी जिम्मेदारी गहलोत के कंधों पर टिकी थी। गुजरात के रण को जीतने के लिए अशोक गहलोत ने अपने 15 से ज्यादा मंत्रियों को मैदान में उतार दिया था। सीएम गहलोत ने खुद भी राजकोट से लेकर अन्य गुजरात के इलाकों का दौरा भी किया। कांग्रेस के राजस्थान मॉडल को गुजरात में भी लागू करने के दावे भी किेए। लेकिन नतीजा जब आया तो उसका अंदाजा कांग्रेस को भी नहीं था।
अशोक गहलोत सियासी संकट छाया?
जयपुर में 25 सितंबर को हुए बगावत के बाद से ही अशोक गहलोत की कुर्सी को लेकर लगातार अटकलें लगाई जाती रही हैं। सचिन पायलट खेमे के निशाने पर पहले से ही अशोक गहलोत हैं। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों राजस्थान में ही है। इसके अलावा गुजरात चुनाव की वजह से भी आलाकमान ने इस मामले में चुप्पी साध रखी थी। लेकिन अब गुजरात के नतीजे आ चुके हैं। वहीं राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान के एग्जिट होते ही राजस्थान पर फैसला हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान के पास पहले से ही गहलोत के दो मंत्रियों समेत 3 नेताओं की अनुशासनहीनता की रिपोर्ट भी है। अब माना जा रहा है कि गहलोत पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।