By अभिनय आकाश | Jul 24, 2024
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा साल फरवरी में पंजाब-हरियाणा सीमा पर दिल्ली मार्च कर रहे पंजाब के किसानों को रोकने के लिए वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक के लिए छह पुलिस अधिकारियों की सिफारिश ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब हरियाणा से सभी अनुशंसित लोगों भारतीय पुलिस सेवा के तीन सहित छह पुलिस अधिकारियों और वीरता पदक के लिए आवेदनों में आंदोलनकारियों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निपटान की स्थिति का विवरण मांगा है। राज्य सरकार ने हमेशा कहा है कि शंभू और खनौरी सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने से रोकने के लिए कोई पुलिस फायरिंग नहीं हुई।
पंजाब सरकार ने पीएम को लिखा पत्र
पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर हरियाणा सरकार के उस हालिया फैसले पर आपत्ति जताई है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में विधानसभा अध्यक्ष संधवान ने लिखा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को बदनाम किया जा रहा है और उनके साथ बेहद अनुचित व्यवहार किया जा रहा है, जबकि वे लंबे समय से लंबित अपनी मांगों के लिए पंजाब में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए उन्होंने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक द्वारा उन छह पुलिस अधिकारियों को वीरता पदक देने की सिफारिश की कड़ी निंदा की गई है।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने हाल में केंद्र को भेजी अपनी सिफारिश में वीरता पदक से सम्मानित करने के लिए छह पुलिस अधिकारियों के नाम दिये हैं, जिनमें से तीन आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) और तीन अन्य हरियाणा पुलिस सेवा से हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसानों को फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने से रोक दिया गया था। हालांकि हरियाणा के गृह विभाग के एक सूत्र ने कहा कि अधिक जानकारी मांगने वाले मंत्रालय के जवाब ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली सरकार को असमंजस में डाल दिया है क्योंकि किसान संगठनों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं, जिससे एक की मौत हो गई। 21 साल का किसान, लेकिन सरकार ने इस दावे को सिरे से नकार दिया है