PM मोदी ने कहा- 2022 तक भारत के पास 220 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता होगी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 09, 2020

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के 2022 तक अपनी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 134 गीगावाट से बढ़ाकर 220 गीगावाट कर लेने का भरोसा जताया। साथ ही उन्होंने प्रौद्योगिकी उन्नयन के जरिए आगे दरों में और कमी लाने की आवयकता पर बल दिया। मोदी पहले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के प्रथम विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन का उद्घाटन संबोधन देने वाले थे, लेकिन अन्य व्यस्तताओं के चलते ऐसा नहीं हो सका। नवीन और नवीकरणीय मंत्री आर. के. सिंह ने इस वर्चुअल सम्मेलन के उद्धाटन सत्र में मोदी का संदेश पढ़ा। मोदी का संदेश पढ़ते हुए सिंह ने कहा, ‘‘ हमने अपने गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर 134 गीगावाट किया है। यह हमारे कुल बिजली उत्पादन का करीब 35 प्रतिशत है। हमें पूरा विश्वास है कि 2022 तक हम इसे बढ़ाकर 220 गीगावाट कर लेंगे।’’ प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ प्रौद्योगिकी ने सौर ऊर्जा के उपयोग के स्तर को बढ़ाया है। उन्नत प्रौद्योगिकी ने सौर ऊर्जा की कीमतों में पहले ही कमी लायी है। लागत में आगे और कमी करने से नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार और उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।’’ मोदी ने ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ परियोजना का भी उल्लेख किया। इसका मकसद विभिन्न देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति की बड़ी व्यवस्था से है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएसए इस परियोजना का हिस्सा है जो पूरी मानवता के लिए बड़ा लाभकारी परिवर्तन ला सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत अपने भारतीय प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के माध्यम से आईएसए को सदस्य देशों में क्षमता निर्माण के लिए सहयोग कर रहा है। हमने एक परियोजना की तैयारी करने वाली सुविधा भी बनायी है, ताकि आईएसए के सदस्य देशों में वित्तपोषण करने लायक सौर परियोजनाओं को भारत के निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम) बैंक की मदद से विकसित किया जा सके।’’ 

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मोदी ने कहा कि 2018 में भारत ने 15 देशों में 27 सौर परियोजनाओं के लिए 1.4 अरब डॉलर की ऋण सुविधा देने की घोषणा की थी। अब ये परियोजना विकास के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा को देश के सभी गांवों तक ले जाना चाहती है और कृषि क्षेत्र में डीजल के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच साल पहले वैश्विक नेताओं ने जीवाश्म ईंधन पर धीरे-धीरे निर्भरता कम करके धरती के तापमान में वृद्धि को रोकने की प्रतिबद्धता जतायी थी। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन सबसे कम है। लेकिन नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाकर यह इसे और कम करने की दिशा में बढ़ रहा है। मोदी ने कहा कि भारत ने अपनी स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को ढाई गुना बढ़ाया है, जबकि सौर ऊर्जा क्षेत्र में 13 गुना से अधिक वृद्धि की है। ‘नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में अब भारत का दुनिया में चौथा स्थान है।’ कार्यक्रम में पेट्रोलियम एवं गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सक्रियता से काम कर रही है। विशेषकर तेल एवं गैस कंपनियों को इस सौर बदलाव में भागीदार बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी तेल और गैस कंपनियां अपनी पूरी आपूर्ति श्रृंखला में सौर पैनलों को लगा रही है। अभी उनकी स्थापित उत्पादन क्षमता 270 मेगावाट है। आने वाले साल में 60 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता और जोड़ी जाएगी।’’ प्रधान ने कहा, ‘‘हमने अगले पांच साल में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनियों के 50 प्रतिशत पेट्रोल पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने का मिशन रखा है।’’ मंत्रालय के तहत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की पांच तेल एवं गैस कंपनियां आईएसए के सतत जलवायु कार्रवाई के लिए गठबंधन में कॉरपोरेट सहयोगी के तौर पर शामिल होंगी। प्रधान ने कहा कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और गेल इंडिया लिमिटेड आईएसए के कॉपर्स कोष में योगदान दे रही हैं। आईएसए संधि आधारित बहुराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है। जलवायु परिवर्तन पर सीओपी21 बैठक के दौरान संयुक्तराष्ट्र के महासचिव की मौजूदगी में भारत और फ्रांस ने संयुक्त तौर पर इसकी पेशकश की थी। आईएसए का गठन जलवायु परिवर्तन पर पेरिस घोषणा के आधार पर हुआ है। इसका मकसद सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। इसका मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में है।

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