By नीरज कुमार दुबे | May 20, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए दुनिया से एक समावेशी खाद्य प्रणाली बनाने का आह्वान किया जो दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान केंद्रित करे और उर्वरक संसाधनों पर कब्जा करने वाली ‘‘विस्तारवादी मानसिकता’’ पर रोक लगाए। हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र में मोदी ने प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण की भी जोरदार वकालत करते हुए कहा कि यह विकास और लोकतंत्र के बीच एक सेतु बन सकता है। मोदी जब बोल रहे थे तब दुनिया के सबसे अमीर लोकतंत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले देश अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान के राष्ट्र प्रमुख शांत होकर भारत के प्रधानमंत्री और दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता का भाषण बड़े ध्यान से सुन रहे थे।
मोदी के वैश्विक दोस्त
हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन से तो दुनिया का दिल जीता ही साथ ही यहां वैश्विक नेताओं में भी मोदी से मिलने की होड़ देखी गयी। इस शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री ने कई द्विपक्षीय मुलाकातें भी कीं। इस दौरान विभिन्न देशों के साथ भारत के अहम समझौते भी हुए। शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री की विश्व नेताओं के साथ गहरी दोस्ती भी नजर आई। खासतौर पर जब प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मिलने पहुँचे तो दोनों नेता बड़ी गर्मजोशी से मिले। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन से इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी मुलाकात की।
मोदी का भाषण
प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातों पर गौर करें तो आपको बता दें कि मोदी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के समग्र उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है और उपभोक्तावाद से प्रेरित विकास मॉडल को बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समावेशी खाद्य प्रणाली बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए जो दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर केंद्रित हो, विशेष रूप से ‘‘सीमांत किसान हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना होगा। इसमें राजनीतिक बाधाओं को दूर करना होगा। उर्वरक संसाधनों पर कब्जा करने वाली विस्तारवादी मानसिकता को रोकना होगा। यह हमारे सहयोग का उद्देश्य होना चाहिए।’’ हालांकि प्रधानमंत्री ने किसी देश का नाम नहीं लिया। मोदी ने खाद्यान्न की बर्बादी रोकने पर जोर देते हुए कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थायी वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है।’’
मोदी ने विकास, प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र पर एक साथ ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण आवश्यक है। प्रौद्योगिकी विकास और लोकतंत्र के बीच एक सेतु बन सकती है।’’ प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विकास के मॉडल को कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और विकासशील देशों की प्रगति में बाधा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आज की हमारी चर्चा जी-20 और जी-7 के एजेंडे के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाने में उपयोगी होगी...ग्लोबल साउथ की आशाओं और अपेक्षाओं को प्राथमिकता देने में सफल होगी।’’ प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया भर में उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती का एक नया मॉडल बना सकते हैं। मेरा मानना है कि हमें डिजिटल तकनीक का लाभ दुनिया के हर किसान तक पहुंचाना चाहिए।’’ मोदी ने कहा कि आर्गेनिक फूड को ‘चलताऊ बयानों और वाणिज्य’ से हटकर देखने की आवश्यकता है और इसके बजाय इसे पोषण और स्वास्थ्य से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने मोटे अनाजों के फायदों के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मोटे अनाज एक साथ पोषण, जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करता है। इस पर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए।''
प्रधानमंत्री की मुलाकातें
प्रधानमंत्री की अहम मुलाकातों की बात करें तो आपको बता दें कि मोदी ने ब्रिटेन के अपने समकक्ष ऋषि सुनक, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस से इस जापानी शहर में जी-7 शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात की। सुनक से मुलाकात के दौरान दोनों नेता गर्मजोशी से गले मिले। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक ने अपने ट्विटर हैंडल पर मोदी के साथ तस्वीर भी साझा की, जिसमें दोनों नेता गर्मजोशी से गले मिलते दिख रहे हैं। इंडोनेशियाई नेता के साथ मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति जोको और श्रीमती विडोडो से मिला। भारत इंडोनेशिया के साथ मजबूत संबंधों को बड़ी प्राथमिकता देता है।’’ बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘हिरोशिमा में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के साथ अच्छी बातचीत।’’ इससे पहले, मोदी ने अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल, वियतनामी समकक्ष फाम मिन्ह चिन्ह के साथ बातचीत की और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ से भी मुलाकात की। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-7 समूह के शिखर सम्मेलन से इतर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ भी बातचीत की। पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत की।’’
दक्षिण कोरिया से द्विपक्षीय भेंट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ सार्थक द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान दोनों नेता व्यापार एवं निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हार्डवेयर निर्माण तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में संबंध गहरे करने पर सहमत हुए तथा उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने को लेकर भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं ने भारत की जी20 अध्यक्षता तथा दक्षिण कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति पर भी चर्चा की। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वार्ता के दौरान उन्होंने भारत-कोरिया गणराज्य की विशेष रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की, खासकर व्यापार एवं निवेश, उच्च प्रौद्योगिकी, आईटी हार्डवेयर निर्माण, रक्षा, अर्धचालक और संस्कृति के क्षेत्रों में...। दोनों देश इस साल राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। दोनों नेता सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए। राष्ट्रपति यून सुक येओल ने जी-20 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की और अपना समर्थन व्यक्त किया। प्रधानमंत्री इस वर्ष सितंबर में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति यून की भारत यात्रा को लेकर उत्साहित हैं।
हम आपको याद दिला दें कि दक्षिण कोरिया ने दिसंबर 2022 में अपनी पहली व्यापक क्षेत्रीय रणनीति ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ शुरू की थी। भारत, अमेरिका और कई अन्य वैश्विक शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य दखलअंदाजी के मद्देनजर एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में लंबे अरसे से बात कर रही हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर दावा करता है। इस क्षेत्र में उसका ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सहित कई अन्य देशों के साथ विवाद है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कई कृत्रिम द्वीपों और सैन्य अड्डों का निर्माण भी किया है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय घटनाक्रम के मद्देनजर सार्थक बातचीत की।
उधर, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के प्रवक्ता ली डो-वून ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण कोरिया और भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करने वाले देशों के रूप में एकजुटता के साथ क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों से संयुक्त रूप से निपटना चाहिए।’’ यून ने मार्च में दक्षिण कोरिया और अमेरिका द्वारा आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी ‘योनहाप’ ने यून के हवाले से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देशों को रणनीतिक संचार और सहयोग को मजबूत करना चाहिए।’’ ली ने बताया कि यून और मोदी ने पहली बार व्यक्तिगत रूप से बातचीत की, दोनों देशों के बीच एक विशेष रणनीतिक साझेदारी विकसित करने पर सहमति व्यक्त की। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने के-9 स्व-चालित हॉवित्ज़र हथियारों के अलावा डिजिटल, जैव-स्वास्थ्य और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी अत्याधुनिक तकनीकों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।’’
दोनों नेताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप, हिंद-प्रशांत और अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा की। इस विचार को साझा किया कि दो समान विचारधारा वाले राष्ट्र लोकतांत्रिक एकजुटता के आधार पर सहयोग के लिए एक मजबूत रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। वे दक्षिण कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति और भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के बीच सामंजस्य बनाकर क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता में संयुक्त रूप से योगदान देने पर सहमत हुए। ली ने कहा कि यून और मोदी दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय माध्यमों को सक्रिय करते हुए सितंबर में भारत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर फिर से मिलने और चर्चा जारी रखने पर सहमत हुए।
जर्मनी से द्विपक्षीय भेंट
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा की और क्षेत्रीय घटनाक्रम एवं वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान प्रदान किया। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन एवं समीक्षा की तथा क्षेत्रीय घटनाक्रमों एवं वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’’ मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-यूरोपीय संघ कारोबार एवं निवेश समझौते एवं भारत की जी-20 समूह की अध्यक्षता को समर्थन देने के लिए जर्मनी का स्वागत किया। बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘हिरोशिमा में जी-7 शिखर बैठक से इतर अपने मित्र ओलाफ शोल्ज से मिलकर प्रसन्न हूं।’’ ज्ञात हो कि यूरोपीय संघ, भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबार सहयोगी है और 2021 में माल के रूप में कारोबार 88 अरब डालर रहा, जो भारत के कुल कारोबार का 10.8 प्रतिशत है। अमेरिका के साथ भारत का कारोबार कुल द्विपक्षीय व्यापार का 11.6 प्रतिशत और चीन के साथ 11.4 प्रतिशत है।
जापान से द्विपक्षीय भेंट
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के अपने समकक्ष फुमियो किशिदा के साथ समकालीन क्षेत्रीय विकास एवं हिंद प्रशांत क्षेत्र में मजबूत होते सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान, दोनों नेताओं ने हरित हाइड्रोजन, उच्च प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया। हिरोशिमा में जी7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर हुई इस बातचीत में मोदी और किशिदा ने द्विपक्षीय विशेष सामरिक एवं वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर सहमति जताई। इस दौरान, दोनों नेताओं ने जापान और भारत की जी7 और जी20 की अध्यक्षता के तहत विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए किए गए प्रयासों को समन्वित करने के तरीकों पर भी ध्यान केंद्रित किया। ज्ञात हो कि भारत अभी जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है, जबकि जापान जी7 का अध्यक्ष है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने जी20 और जी7 की अपनी-अपनी अध्यक्षता के तहत किए गए प्रयासों को समन्वित करने के तरीकों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर जोर देने की आवश्यकता का उल्लेख किया।’’ मंत्रालय ने बताया कि मोदी और किशिदा ने समकालीन क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचार साझा किए और हिंद-प्रशांत में सहयोग गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने विशेष द्विपक्षीय सामरिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर सहमति जताई।’’ बयान के मुताबिक, उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर भी चर्चा की। इसमें कहा गया है, ‘‘विचार-विमर्श में शिक्षा, कौशल विकास, पर्यटन, पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ), हरित हाइड्रोजन, उच्च प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’ हम आपको बता दें कि इस साल मार्च में प्रधानमंत्री किशिदा की भारत यात्रा के बाद, 2023 में यह दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात थी। प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2023 में उनके द्वारा उपहार स्वरूप दिए गए बोधि पौधे को हिरोशिमा में लगाने के लिए प्रधानमंत्री किशिदा का आभार जताया। किशिदा के निमंत्रण पर मोदी जी7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को हिरोशिमा पहुंचे थे। प्रधानमंत्री ने याद किया कि भारतीय संसद हर साल हिरोशिमा दिवस मनाती है और कहा कि इस अवसर पर जापानी राजनयिक हमेशा मौजूद रहे हैं।
वियतनाम से द्विपक्षीय भेंट
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वियतनाम के अपने समकक्ष फाम मिन्ह चिन्ह के साथ व्यापक बातचीत की और व्यापार, निवेश, रक्षा तथा ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘संबंधों को नए स्तर पर लेकर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह के बीच व्यापक चर्चा हुई।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, रक्षा, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाने, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास, संस्कृति तथा लोगों के बीच परस्पर संबंधों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के साथ ही क्षेत्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की गई।
महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण
इसके अलावा, मोदी ने हिरोशिमा में महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण भी किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत और जापान के बीच दोस्ती एवं सद्भावना के प्रतीक के रूप में हिरोशिमा शहर को भेंट की गई है। पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित राम वनजी सुतार ने 42 इंच लंबी इस कांस्य प्रतिमा को तैयार किया है। मोतोयासु नदी से सटे जिस स्थल पर यह प्रतिमा स्थापित की गई है, वह प्रतिष्ठित ए-बम डोम के करीब है, जिसे देखने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में स्थानीय एवं विदेशी पर्यटक हिरोशिमा पहुंचते हैं। मोदी ने आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करने के बाद पत्रकारों से बात की और कहा कि आज भी जब दुनिया हिरोशिमा शब्द सुनती है, तो डर जाती है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘हिरोशिमा में महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया। हिरोशिमा में यह प्रतिमा बहुत महत्वपूर्ण संदेश देती है। शांति और सौहार्द के गांधीवादी आदर्श दुनियाभर में प्रतिध्वनित होते हैं और लाखों लोगों को ताकत देते हैं।’’