आज बंगाल में पहले चरण का मतदान हो रहा है और पीएम मोदी बांग्लादेश के दौरे पर हैं। ढाका से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ओरकांडी में मतुआ समाज का का सबसे बड़ा धाम है। मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद ठाकुर का मंदिर है। बंगाल में दो करोड़ मतुआ समुदाय के लोग हैं। यह पहली बार है कि भारत का कोई प्रधानमंत्री हरिचंद ठाकुर स्मृतिस्थल का दौरा किया। जिससे वोटिंग वाले दिन मतुआ धर्म के अनुयायियों में बड़ा संदेश जाएगा। कुछ ऐसा ही संदेश लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी ने फरवरी 2019 में हरिचंद ठाकुर की प्रपौत्र वधू बीनापाणि देवी से मुलाकात कर देने की कोशिश की थी। बीनापाणि देवी वह पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने बांग्लादेश से भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता देने की मांग की थी।
बीजेपी के सांसद शांतनु ठाकुर हैं सूत्रधार
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री मोदी की मतुआ समाज के धाम की यात्रा के सूत्रधार बीजेपी के सांसद शांतनु ठाकुर हैं जो बंगाल में बंधगांव से सांसद हैं। शांतनु ठाकुर मतुआ समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। शांतनु ठाकुर मतुआ के धर्मगुरु हरिचंद ठाकुर के खानदान से आते हैं। ठाकुरबाड़ी के शांतनु ठाकुर बीजेसी से सांसद हैं। मतुआ वोटर 3 जिलों की 81 सीटों पर असर डालते हैं। उत्तर 24 परगना मतुआ समुदाय का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। ठाकुनगर की ठाकुरबाड़ी की मतुआ समाज में माव्यता। ठाकुरबाड़ी जिधर कहता है मतुआ उसे वोट देते हैं।
दो करोड़ आबादी
1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद मतुआ समुदाय के लोग पश्चिम बंगाल आ गए और यहीं बस गए। 2011 की जनगणना के अनुसार इस समुदाय की बंगाल में करीब 2 करोड़ आबादी है। वहीं कुछ लोग इनकी आबादी 3 करोड़ तक होने का दावा करते हैं। ज्यादातर मतुआ उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नदिया और जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूच बिहार और बर्धमान जिलों में फैली है।
मतुआ यानी जो जाति-धर्म से ऊपर उठ हैं
मतुआ यानी जो मतवाले हैं, जो जाति, धर्म, वर्ण से ऊपर उठे हैं। हरिचंद ने अपना पूरा जीवन अनुसूचित व पिछड़ी जातियों और जनजातियों को अपने मतुआ धर्म में शामिल कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने में लगाया। हरिचंद ठाकुर ने मुख में नाम, हाथ में काम और सबको शिक्षा के अधिकार का नारा दिया और दलितों के लिए अनेक स्कूलों की स्थापना की।
पहले लेफ्ट, फिर ममता के साथ रहा मतुआ वोटर, अब भाजपा की ओर झुकाव
1977 के पहले तक मतुआ समुदाय कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता था। लेकिन 1977 के बाद स्थितियां बदली और वाम दलों के प्रति इस समुदाय का झुकाव बढ़ा। लेकिन 2009 के चुनाव के वक्त से ही ममता बनर्जी को मतुआ का समर्थन मिलने लगा। 2011 में जब ममता सत्ता में आईं तो ठाकुरनगर में इस समुदाय को पवित्र कामोनासागर को बनाने किए ग्रांट भी दिया। 2019 में बीजेपी ने ममता के इस वोट बैंक में सेंधमारी कर दी।