By अंकित सिंह | Nov 04, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के चाईबासा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया। चाईबासा में अपनी सार्वजनिक रैली के दौरान झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन और अन्य भाजपा नेताओं ने मोदी का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि झारखंड की ये भूमि, जनजातीय गौरव, जनजातीय मान-मर्यादा की साक्षी रही है। ये माटी उस आदिवासी शौर्य की साक्षी रही है, जिसने भारत की आजादी, भारत की संस्कृति और विरासत की रक्षा की है। इस धरा ने भगवान बिरसा मुंडा, चांद भैरव, तिलका मांझी, नीलाम्बर-पीताम्बर, सिदो-कान्हू जैसे अनगिनत वीरों को जन्म दिया है।
मोदी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि कैसे कोल्हान ने अत्याचारी अंग्रेजी सेना को टक्कर दी थी, आज फिर कोल्हान ने जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी की अत्याचारी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस ली है। हर कोई कह रहा है कि कोल्हान नया इतिहास रचने जा रहा है। जो सालों साल नहीं हुआ वो इस साल होने जा रहा है। इस चाईबासा की विशाल रैली का संदेश भी यही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए, आदिवासी भाई-बहनों की आकांक्षा, उनका स्वाभिमान हमेशा सर्वोपरि रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब पहली बार भाजपा सरकार बनी और दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी जी को सेवा करने का अवसर मिला, तब जाकर आदिवासी समाज को अलग राज्य मिले। छत्तीसगढ़ और झारखंड ये दो राज्य बनाने का सौभाग्य भाजपा को ही मिला है। उन्होंने कहा कि 80 के दशक में जब बिहार और दिल्ली दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी, झारखंड तब अलग नहीं हुआ था, ये बिहार का हिस्सा था। तब क्या हुआ था। अपने माता-पिता, दादा-दादी से पूछिए, उनको गुआ गोली कांड जरूर याद होगा। जिस तरह की बर्बरता अंग्रेजों ने की थी, वैसी ही बर्बरता यहां कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों का खून बहा कर की थी।
विपक्ष पर वार करते हुए मोदी ने कहा कि यहां कांग्रेस सरकार ने हमारे आदिवासी भाइयों को गोलियों से भून दिया था। हमारे वो आदिवासी पूर्वज सिर्फ अपना हक मांग रहे थे, वो अलग झारखंड राज्य मांग रहे थे। उस समय आरजेडी के नेता भी कहते थे कि झारखंड उनकी लाश पर बनेगा। आपके सपनों से इतनी नफरत है इन लोगों को। जो आरजेडी, झारखंड बनाने को सहमत नहीं था, आज जेएमएम उस आरजेडी की गोद में बैठ गई है। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए आदिवासी समाज का विकास की मुख्यधारा से जुड़ना बहुत जरूरी है।ये आदिवासी समाज की उचित भागीदारी के बिना संभव नहीं है, इसलिए भाजपा ने आदिवासी भागीदारी पर हमेशा बल दिया है।