By नीरज कुमार दुबे | Jun 05, 2023
कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहने को तो अमेरिका यात्रा पर इसलिए गये हैं ताकि वह प्रवासी भारतीयों के बीच कांग्रेस की नीतियों का प्रसार करें और देश के लिए अपने विजन के बारे में उनको बता सकें लेकिन राहुल गांधी पूरी यात्रा के दौरान सिर्फ भाजपा-आरएसएस-मोदी पर हमला करने में ही जुटे हुए हैं। उनके हर संबोधन में मोदी पर पहले से बड़ा हमला होता है, उनके हर संबोधन में आरएसएस-भाजपा के खिलाफ पहले से ज्यादा नफरत प्रदर्शित होती है, उनके हर संबोधन में भारत के संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता के बारे में सवाल उठा कर भारत की लोकतांत्रिक देश की छवि पर सवालिया निशान लगाया जाता है। खास बात यह है कि राहुल गांधी भारत के लोकतंत्र पर उस जून महीने में सवाल उठा रहे हैं जिसमें उनकी दादी इंदिरा गांधी ने देश के लोकतंत्र को कुचलते हुए आपातकाल थोप दिया था।
राहुल गांधी पिछले दो लोकसभा चुनावों से अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं और दोनों ही बार उनकी पार्टी लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल करने लायक सीटें भी नहीं जीत सकी लेकिन राहुल गांधी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की गाड़ी चलाते हुए सामने देखने की बजाय पीछे के शीशे में देख रहे हैं जिससे देश की गाड़ी लड़खड़ा रही है। कांग्रेस सांसदों और पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में लेकर अमेरिका गये राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि वे भविष्य के बारे में कभी बात नहीं करते और हमेशा अपनी विफलताओं के लिए अतीत में किसी न किसी को दोषी ठहराते हैं। अमेरिका की यात्रा पर आए राहुल ने जेविट्स सेंटर में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने ओडिशा ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों की आत्मा की शांति के लिए 60 सेकंड का मौन भी रखा। अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कांग्रेस के मंत्री का नाम लिए बिना कहा, ''मुझे याद है कि कांग्रेस के शासन के दौरान एक ट्रेन हादसा हुआ था। उस समय कांग्रेस ने यह नहीं कहा था कि ‘ट्रेन हादसा अंग्रेजों की गलती की वजह से हुआ’। कांग्रेस के मंत्री ने कहा था, ''यह मेरी जिम्मेदारी है और मैं इस्तीफा दे रहा हूं''। उन्होंने कहा कि हमारे देश में यही समस्या है हम बहाने बनाते हैं, हम सच्चाई को स्वीकार कर उसका सामना नहीं करते। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस दूरदर्शी नहीं हैं।
राहुल ने कहा, ''वह (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) गाड़ी चलाने की कोशिश कर रहे हैं... भारत की गाड़ी और वह पीछे (शीशे में) देखकर गाड़ी चला रहे हैं। इसलिए उन्हें समझ नहीं आ रहा कि गाड़ी लड़खड़ा क्यों रही है और आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही है। भाजपा और आरएसएस के साथ भी यही है, सभी के साथ। आप मंत्रियों की बातें सुनें, प्रधानमंत्री की बात सुनें। आप उन्हें कभी भविष्य के बारे में बात करते नहीं पाएंगे। वे केवल अतीत की बात करते हैं।’’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ''भाजपा और आरएसएस केवल अतीत की बात करते हैं और अपनी विफलताओं के लिए हमेशा अतीत में किसी को दोषी ठहराते हैं।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में दो विचारधाराओं के बीच लड़ाई है- एक जिस पर कांग्रेस विश्वास करती है और दूसरी जिसे भाजपा तथा आरएसएस मानती है। राहुल ने कहा, ''इसे समझाने का सबसे सरल तरीका यह है कि एक तरफ आपके पास महात्मा गांधी हैं और दूसरी तरफ नाथूराम गोडसे।’’
राहुल ने कहा, ''जितने भी महान लोग भारत से हुए हैं, आप देख सकते हैं कि उन सभी में कुछ खास गुण हैं। उन्होंने सत्य की खोज की, उसका प्रसार किया और उसके लिए संघर्ष किया। वे सभी लोग विनम्र थे और उनमें किसी प्रकार का अहंकार नहीं था। अमेरिका में भारतीयों ने इसी तरह काम किया है और इसीलिए यहां भारतीय सफल हैं। मैं इसके लिए आपका बेहद सम्मान करता हूं।’’
विदेश मंत्री का राहुल गांधी पर पलटवार
दूसरी ओर, राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि जब कोई व्यक्ति देश से बाहर कदम रखता है, तो कभी-कभी ‘‘राजनीति से भी बड़ी चीजें’’ होती हैं। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है, जब राहुल गांधी ने अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर कई बार निशाना साधा। ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के बाद केपटाउन में प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि वह अपने बारे में बात कर सकते हैं और विदेश यात्रा के दौरान राजनीति नहीं करते। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘देखिये, मैंने कहा है कि मैं केवल अपने लिए बात कर सकता हूं, मैं कोशिश करता हूं कि जब मैं विदेश जाऊं तो राजनीति न करूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्वदेश में बहस करने और जोरदार तरीके से बहस करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहता हूं----लेकिन मुझे लगता है कि आप जानते हैं, एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की भी एक निश्चित सामूहिक जिम्मेदारी होती है। राष्ट्रीय हित होता है, सामूहिक छवि होती है। कभी-कभी राजनीति से भी बड़ी चीजें होती हैं और जब आप देश के बाहर कदम रखते हैं, तो मुझे लगता है कि यह याद रखना महत्वपूर्ण होता है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘तो मेरी किसी के साथ असहमति हो सकती है। मैं आपसे कह सकता हूं, मैं उनसे असहमत हूं। लेकिन, मैं इसका जवाब कैसे दे सकता हूं, मैं स्वदेश जाकर उसे करना चाहूंगा। और जब मैं वापस आऊंगा, तो मुझ पर नजर रखिएगा।’’
जयशंकर ने कहा कि आज भारतीय विदेश नीति का एक हिस्सा विदेशों में भारतीय नागरिकों के कल्याण को सुरक्षित करने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि आज भारतीयों के वैश्वीकरण को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे तंत्र स्थापित किए जाएं, जो कठिन परिस्थितियों में प्रतिक्रिया दे सकें। उन्होंन कहा, ‘‘कभी-कभी वे किसी देश के अनुसार हो सकते हैं। कुछ सप्ताह पहले हमारे समक्ष सूडान में बहुत खराब स्थिति थी। साथ ही तब भी जब यूक्रेन में लड़ाई शुरू हुई थी। वास्तव में, जब मैं इन पिछले नौ वर्षों को देखता हूं, लगभग हर साल, कहीं न कहीं हमारे समक्ष एक चुनौती वाली स्थिति रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तो, यह कुछ ऐसा है, जो होता रहेगा और काम करने वाले, रहने वाले, विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों की देखभाल करना आज हमारा मौलिक दायित्व है।''