कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री के फैसलों ने बताया, मोदी सरकार में है दम

By अंकित सिंह | May 25, 2020

मोदी सरकार पार्ट-2 31 मई को अपने 1 साल पूरे कर रही है। 2019 में 2014 के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा और भी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी सरकार ने पिछले 1 साल में कई बड़े फैसले लिए हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थिति मोदी सरकार के लिए इन 1 सालों में सबसे बड़ी चुनौती है। विश्व में कोरोनावायरस संकट जारी है। भारत में भी इस संकट का प्रकोप है। भारत में फिलहाल 31 मई तक लॉकडाउन जारी है। इस संकट के शुरूआत में ही भारत में लॉकडाउन लागू कर दिया था। इसी का नतीजा है कि बाकी देशों की तुलना में भारत में करोना महामारी का कहर थोड़ा कम दिखता है। लॉकडाउन का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लिया गया। उसके बाद समय-समय पर इसकी समीक्षा की गई और जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ाया भी गया। लॉक डाउन की ही वजह से आज भारत कोरोनावायरस संकट पर काबू कर पाया है।


सही समय पर पूरे देश को लॉकडाउन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर तरफ सराहना हो रही है। कोरोनावायरस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐसे कई फैसले लिए गए जिसने ना सिर्फ भारत को, बल्कि विश्व को भी इस महामारी से निपटने के लिए नई दिशा दी। शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के द्वारा लिए गए तीन फैसलों की वजह से आज भारत में कोरोनावायरस नियंत्रण में है। यह तीन फैसले है- समय पर देशव्यापी लॉकडाउन, अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट पर पाबंदी और कोरोना टेस्टिंग के साथ-साथ क्वारंटीन करने का निर्णय। जन जागरूकता के लिए मोदी सरकार ने आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप भी लॉन्च कर दिया। इस ऐप के जरिए लोगों को कोरोना वायरस को लेकर अहम जानकारी तो मिलती ही है। इसके साथ ही साथ सरकार को कोरोना संक्रमित मरीजों तक पहुंचने में भी मदद मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संकट में कठोर और गंभीर निर्णय लिए। साथ ही साथ तकनीक का भी खूब इस्तेमाल किया।


कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एकजुट करने में कामयाबी हासिल की। प्रधानमंत्री की एक अपील पर देश की जनता ने उनका पूरा सहयोग किया। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। उसके बाद कोरोना वारियर्स के लिए ताली और ताली बजाने की अपील की, जिसका जनता पर व्यापक असर हुआ। प्रधानमंत्री के इस अपील के कारण ही 22 मार्च को शाम 5:00 बजे कोरोना योद्धाओं के सम्मान में पूरा माहौल गुंजायमान था। कहीं शंख की ध्वनि सुनाई दे रही थी तो कहीं तालियों की गड़गड़ाहट, कहीं घंटियों की गूंज थी तो कहीं आरती की राग थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल को जनता से रात 9:00 बजे दीप जलाने का आह्वान किया जिसका नतीजा हम सब ने देखा। संकट की घड़ी में भी देश में दिवाली जैसा माहौल हो गया और हर तरफ लोग प्रधानमंत्री की अपील का पालन करने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन्हीं अपीलों का तो असर है कि देश की 93.5 फ़ीसदी जनता यह मानती है कि वर्तमान की सरकार कोरोनावायरस से असरदार तरीके से निपट रही है। लॉक डाउन से पहले 76.8 फ़ीसदी लोग मोदी सरकार पर भरोसा कर रहे थे लेकिन उसके 10 दिन बाद ही यह आंकड़ा 93.5 फ़ीसदी हो गया। यह सर्वे IANS-सी वोटर के द्वारा किया गया है।

 

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इतना ही नहीं, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सही समय पर किए गए अपील का ही असर है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के इस्तेमाल को अपने जीवन में डालने लगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगा कि लोगों तक मास्क पहुंचा पाना मुश्किल है और देश के वर्तमान हालात में हर कोई मास्क खरीदने की स्थिति में नहीं है तब उन्होंने गमछा मुंह पर लपेटने की अपील की जिसका खूब सकारात्मक असर देखने को मिला। मोदी के इस अपील के कारण गमछा की मांग एक बार फिर से बाजार में बढ़ गई और साथ ही साथ गमछा के इस्तेमाल के लिए लोग जागरूक होने लगे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन जागरण के साथ-साथ आधिकारिक तौर पर भी ऐसे कई कार्य किए हैं जो बाकी देशों के राष्ट्र अध्यक्षों की तुलना में उन्हें सबसे अलग खड़ा करता है। तभी तो हर देश के शीर्ष नेता भी मोदी की तारीफ कर रहे हैं। UNO और WHO भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की प्रशंसा कर रहा है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोनावायरस संकट के दौरान एक वैश्विक नेता के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी मोदी के निर्णय की चर्चा है। सारे नेता मोदी से सीखने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले सार्क देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ बैठक की और उन्हें एक मंच पर लाने की कोशिश की जिसकी खूब वाहवाही हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री जी-20 के राष्ट्रीय अध्यक्षों की बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में जहां विश्व के बाकी देश इस कोरोना काल में उत्पन्न आर्थिक संकट पर चर्चा कर रहे थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवता को बचाने पर जोर दिया। उन्होंने साफतौर पर कहा कि हमें फिलहाल आर्थिक चीजों को छोड़कर मानव जीवन के कल्याण के लिए काम करना है। जब विश्व के बड़े देशों ने भारत से हाइड्रोक्लोरिक दवा की मांग की तो भारत ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ दुनिया के बाकी देशों का भी ख्याल रखा। भारत ने अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, ब्रिटेन, ओमान, यूएई, मॉरीशस जैसे देशों के साथ साथ 55 अन्य देशों को हाइड्रोक्लोरिक दवा उपलब्ध कराई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम की प्रशंसा करते हुए ब्राजील के राष्ट्राध्यक्ष ने उन्हें संकटमोचक तक करार दिया।


इस कोरोना संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की है। इसी कोशिश का तो असर है कि उन्होंने हर क्षेत्र से आने वाले प्रमुख लोगों से बातचीत की और उनके द्वारा दिए गए सुझाव को अमल में लाते हुए किसी नतीजे पर पहुंचे। उनके द्वारा लिए गए फैसलों में विभिन्न क्षेत्र के लोगों द्वारा दिए गए सुझाव का असर भी दिखा। प्रधानमंत्री ने खेल, सिनेमा, उद्योग, सेवा, राजनीति, धर्म क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हर रोज चर्चा करते रहें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई भी फैसला लेने से पहले राज्य के मुख्यमंत्रियों को भी विश्वास में लिया। इस कोरोना संकटकाल में मोदी ने कई बार राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा वह व्यक्तिगत तौर पर भी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन कर बात करते रहते हैं।


नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने समय-समय पर लॉकडाउन की समीक्षा कर जनता को राहत देने की कोशिश की है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब आर्थिक गतिविधियों को किस तरीके से चालू किया जा सके, इसको लेकर नए एक्शन प्लान बनाने में जुटे हुए हैं। लगातार अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की संकल्प शक्ति का ही नतीजा है कि भारत जो कोरोना संकट के शुरुआती दौर में एन95 मास के और पीपीई किट के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, वह आज दुनिया में इसका मुख्य उत्पादक बन गया है। इस कोरोना संकट के समय में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के लिए भी सरकार ने कई कानून बनाए। इनमें सबसे बड़ा कानून उनकी सुरक्षा को लेकर था। दरअसल कोरोना काल के शुरुआती समय में कई ऐसी खबरें आ रही थी कि चेक करने वाले डॉक्टर और पुलिसकर्मियों पर लोग हमले कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 123 साल पुराने कानून में बदलाव की। केंद्र सरकार ने एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 में बदलाव के लिए अध्यादेश जारी कर दिए। राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद इसे लागू भी कर दिया गया। इस कानून के तहत मेडिकल टीम पर हमला करने वालों को 3 से 5 माह तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा उन पर ₹50000 से लेकर ₹200000 तक के जुर्माने भी लगाए जा सकते हैं। नए कानून के मुताबिक इस तरीके के अपराध को गैर जमानती माना जाएगा।

 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सब के बीच आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। यह पैकेज हमारे जीडीपी के 10 फ़ीसदी के बराबर है। सरकार ने कोविड-19 से मुकाबला, लॉकडाउन से प्रभावित लोगों और उद्योगों की सहायता तथा देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस पैकेज की घोषणा की है। प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किस क्षेत्र को कितना वित्तीय राहत दिया जा रहा है इसकी घोषणा की। कुल मिलाकर इस पैकेज के ऐलान के बाद हम एक बात तो जरूर कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर क्षेत्र को राहत देने के लिए आगे कदम बढ़ाया। इस वित्तीय पैकेज में रोजगार के नए अवसर प्रदान करने की क्षमता तो है ही साथ ही साथ देश के किसानों के लिए भी बहुत बड़ी बातें की गई है। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में MSME सेक्टर पूरी तरीके से अस्त व्यस्त हो गया था। ऐसे में इस पैकेज में सबसे ज्यादा घोषणा है एमएसएमई के लिए किया गया है। इतना ही नहीं प्रवासी कामगारों के लिए भी बहुत कुछ घोषित की गई है।


केंद्र सरकार ने इस कोरोना संकटकाल में आम लोगों को कैसे राहत पहुंचाया जाए, इस पर भी जोर दिया। लॉकडाउन के दौरान जनधन खाता धारक महिलाओं के खाते में 3 महीने तक लगातार ₹500-₹500 डालने का फैसला लिया गया है। उज्ज्वला योजना के तहत लाभार्थियों को मुक्त गैस सिलेंडर भरने की बात कही गई है जिसका आम लोगों को फायदा हो रहा है। जरूरतमंदों के लिए सस्ते दर पर अनाज की व्यवस्था की गई है। पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खाते में भी ₹2000- ₹2000 डाले गए हैं। लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे ज्यादा ध्यान किसानों पर था। रवी फसल की कटाई का यह वक्त था। ऐसे में सरकार किसी भी तरीके से किसानों पर इस कोरोनावायरस का असर नहीं पड़ने देना चाहती थी। अतः किसानों का कामकाज सुचारू रूप से चल सके इसके लिए शुरुआती दौर में ही उन्हें लॉकडाउन से कई प्रकार के राहत प्रदान कर दिए गए। भारत में फिलहाल मामले बढ़ते तो दिख रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार की नीतियों का भी असर दिखना शुरू हो गया है। धीरे-धीरे लोग कामकाज में जुट रहे हैं, जिंदगी पटरी पर लौट रही है और उम्मीद यही करते हैं कि पूरा देश एक होकर इस कोरोना संकट निपटेगा और हम सब विजयी होंगे, हम सब कामयाब होंगे।


- अंकित सिंह


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