By अभिनय आकाश | Aug 08, 2023
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज उस जनहित याचिका (पीआईएल) को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को वाराणसी कोर्ट के एएसआई सर्वेक्षण आदेश को प्रभावित किए बिना पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका जितेंद्र सिंह बिसेन, राखी सिंह व अन्य की तरफ से दाखिल की गई थी। ये वहीं राखी सिंह थीं, जिन्होंने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह जनहित याचिका चल रहे एएसआई सर्वे को प्रभावित किए बिना प्लॉट 9 को सील करने के लिए दायर की गई है ताकि हिंदू तीर्थस्थल को कोई नुकसान न हो। जस्टिस ने पूछा कि आप क्या चाहते हैं? वकील ने कहा कि जो भी हिंदू प्रतीक हैं, उनकी रक्षा की जानी चाहिए। जज ने पूछा कि आप एएसआई का काम रोकना चाहते हैं?
याचिकाकर्ता ने कहा कि नहीं, महाराज। प्रार्थना में हमने एएसआई सर्वे को न रोकने का अनुरोध किया है। हम विवादित स्थल पर गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकना चाहते हैं। चीफ जस्टिस ने पूछा कि गैर-हिंदू को नुकसान होगा, लेकिन हिंदू को नहीं? याचिकाकर्ता ने कहा कि 1993 से वैसे भी हिंदुओं के प्रवेश पर रोक है। न्यायमूर्ति श्रीवास्तव ने जनहित याचिका में की गई घोषणा को पढ़ा। जे श्रीवास्तव ने कहा कि जनहित याचिका में जिस राहत की प्रार्थना की गई है, उसका दावा मुकदमे में ही किया जा सकता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वादपत्र में (वाराणसी कोर्ट के समक्ष) और यहां (पीआईएल याचिका में) प्रार्थनाएं अलग-अलग हैं। हम यहां सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। जे श्रीवास्तव ने कहा कि आप वहां वादी में संशोधन कर सकते हैं, आप वहां निषेधाज्ञा दायर कर सकते हैं। आप पहले से ही एक उपाय का लाभ उठा रहे हैं।