By अभिनय आकाश | Jul 28, 2021
देश की राजधानी दिल्ली सियासत की भी राजधानी मानी जाती है। बंगाल जीतने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री दिल्ली पर नजरें गड़ाए बैठीं हैं। ममता बनर्जी आज दिल्ली में विपक्ष के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगी। दीदी ने कल दिल्ली में दस्तक दी और अब वो 30 जुलाई तक अलग-अलग मोर्चे पर नजर आएंगी। पांच दिन के दिल्ली दौरे में ममता ने पहले तो दोपहर के दो बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ से मुलाकात की और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर करीब 40 मिनट तक मुलाकात की।
बंगाल में खेला के बाद ममता ने दिल्ली में डाला डेरा
मेल-मुलाकातों की लंबी-चौड़ी लिस्ट ये बता रही है कि बंगाल में खेला जीतने के बाद दीदी ने अब अपने कदम दिल्ली की ओर बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में दीदी समाजवादी पार्टी, आरजेडी, एनसीपी, आम आदमी पार्टी, शिवसेना और डीएमके के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगी। आज ही यानी 28 जुलाई को ममता सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगी।
ममता के रणनीतिकार ने क्या फॉर्मूला तैयार किया
अपने दिल्ली दौरे पर ममता बनर्जी ने सियासत के चाणक्य प्रशांत किशोर से मुलाकात की। प्रशांत किशोर ने ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। ममता के दिल्ली दौरे के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और इसे 2024 की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि इस तमाम रणनीति के पीछे प्रशांत किशोर की भूमिका का भी जिक्र हो रहा है। बंगाल में ममता के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले पीके ने शरद पवार समेत विपक्ष के कई नेताओं से बीते एक महीने में मुलाकात की। इसके साथ ही कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधीऔर प्रियंका गांधी से भी उनकी मुलाकात हुई। अनुमान लगाया गया कि यह किसी बड़ी योजना की तैयारी का हिस्सा है। जिसे ये संकेत माना गया कि प्रशांत किशोर 2024 के लोक सभा चुनावों के लिए मोदी विरोधी मोर्चा तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ममता का 28 जून का पूरा शेड्यूल
इन मुलाकातों के क्या हैं मायने?
ममता की इन मुलाकातों के मायने निकाले जा रहे हैं कि ममता पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनना चाहती हैं। ममता बनर्जी के सियासी हमले और एक्शन भी बता रहे हैं कि वो 2024 की लड़ाई को बंगाल स्टाइल में लड़ने को तैयार हैं। दिल्ली आने से पहले ममता बनर्जी ने बंगाल में हुंकार भरी। कथित जासूसी मामले को लेकर केंद्र सरकार पर सबसे बड़ा हमला किया। इसके साथ ही ममता सरकार ने पेगासस जासूसी मामले पर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। पेगासस जासूसी कांड पर फैसला लेना वाला पश्चिम बंगाल देश का पहला ऐसा राज्य बना। जांच आयोग की टाइमिंग भी दिलचस्प है। दिल्ली आने से पहले ममता का ये फैसला लेना बता रहा है कि वो इस मुद्दे को मोदी विरोध का हथियार बनाने जा रही हैं।