By अभिनय आकाश | Dec 26, 2024
अभी हाल ही में हमने देखा कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चीन गए। पीएम मोदी और शी जिनपिंग की रूस में मीटिंग हुई। यानी देशों के संबंधों में सुधार हो रहा है। वर्ष 2024 भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि यह चार वर्षों से अधिक समय तक चले गतिरोध का समाधान लेकर आया। गौरतलब है कि भारत और चीन की सरकारों के बीच हाल फिलहाल में कई उच्च स्तरीय मुलाकातें हुई हैं। इसके जरिए दोनों देशों के रिश्ते में साल 2020 से आए तनाव को कम करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच अमेरिका ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में अमेरिका ने चीन की मिलिट्री को एक्सपोज किया है। इसके साथ ही बताया है कि दुनिया के किन किन देशों को चीन के सैन्य विस्तार से बड़ा खतरा है। पेंटागन ने चीन को एक्सपोज करते हुए कहा है कि एक लाख 20 हजार के करीब सैनिक अभी भी भारतीय सीमा के निकट तैनात हैं।
भारत चीन संबंधों के लिए अहम रहा 2024 का साल
जयशंकर ने नवंबर में ब्राजील में जी-20 बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की, जहां वे इस बात पर सहमत हुए कि विशेष प्रतिनिधि (एसआर) और विदेश सचिव स्तर की प्रणाली के तहत बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा के जटिल विवाद पर व्यापक रूप से ध्यान देने के लिए 2003 में गठित विशेष प्रतिनिधि व्यवस्था का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और विदेश मंत्री वांग करते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नवंबर में लाओस के वियनतियाने में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में अपने चीनी समकक्ष दोंग जुन से मुलाकात की।
छह सूत्री सहमति
दिसंबर में डोभाल और वांग के बीच 23वीं एसआर वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि व्यापक वार्ता सीमा पार सहयोग के लिए एक सकारात्मक दिशा पर केंद्रित थी, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीमा व्यापार को फिर से शुरू करना शामिल था, जबकि चीनी पक्ष ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय करना जारी रखने सहित छह सूत्री सहमति बनी। चीन की ओर से इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं थी कि उसने 2020 में एलएसी के पास अपने सैनिकों को क्यों भेजा, वहीं दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने से कुछ महीने पहले समझौता होने के समय ने भी लोगों के मन में जिज्ञासाएं पैदा कीं। हाल के महीनों में बीजिंग अपनी अर्थव्यवस्था में मंदी को दूर करने के संघर्ष के बाद नरम पड़ता दिखाई दिया। उसकी अर्थव्यवस्था संपत्ति संकट और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ग्रस्त थी।
अमेरिकी रिपोर्ट ने चीनी प्लान का किया खुलासा
पेंटागन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी पर्याप्त सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है। कुछ क्षेत्रों में कुछ सैनिकों की वापसी के बावजूद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी स्थिति या संख्या में कोई कमी नहीं की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएलए ने 2020 की झड़प के बाद से अपनी स्थिति या सेना की संख्या में कोई कमी नहीं की है और एलएसी पर कई ब्रिगेड की तैनाती बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे और समर्थन सुविधाओं का निर्माण किया है।
LAC पर निर्माण-बुलेट से लेकर ड्रोन तक का विस्तार
पेंटागन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी पर्याप्त सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है। कुछ क्षेत्रों में कुछ सैनिकों की वापसी के बावजूद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी स्थिति या संख्या में कोई कमी नहीं की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएलए ने 2020 की झड़प के बाद से अपनी स्थिति या सेना की संख्या में कोई कमी नहीं की है और एलएसी पर कई ब्रिगेड की तैनाती बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे और समर्थन सुविधाओं का निर्माण किया है। पेंटागन के वार्षिक मूल्यांकन से संकेत मिलता है कि चीन ने 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर लगभग 120,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है, जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। सैनिकों के अलावा, पीएलए ने भारी हथियार प्रणालियां तैनात की हैं, जिनमें टैंक, हॉवित्जर, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और अन्य उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 20 से अधिक संयुक्त हथियार ब्रिगेड (सीएबी) एलएसी के पश्चिमी, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में आगे के स्थानों पर बने हुए हैं।
वेस्टर्न थिएटर कमांड पर रणनीतिक फोकस
पेंटागन की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चीन की वेस्टर्न थिएटर कमांड, जो भारत के साथ सीमा की निगरानी करती है, भारत के साथ अपनी सीमा की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा निर्धारण के संबंध में भारत और चीन के बीच अलग-अलग धारणाओं ने कई झड़पों, बल निर्माण और सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ावा दिया है। कुछ सीएबी बेस पर वापस आ जाने के बावजूद, भारी मात्रा में वहीं बने हुए हैं, जो दर्शाता है कि चीन इस क्षेत्र में मजबूती से कायम है।
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