By नीरज कुमार दुबे | Feb 26, 2024
देश इस समय 'विकसित भारत' के संकल्प को सिद्ध करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है लेकिन बड़े सुनियोजित तरीके से जनता को इस लक्ष्य से भटकाने की और भारत को पीछे धकेलने की कोशिश की जा रही है। किसानों को बहका कर आंदोलन खड़ा कराने के बाद अब सेना में भर्ती की योजना अग्निपथ पर सवाल उठाकर नौजवानों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा राहुल गांधी देशभर में घूम-घूमकर समाज में जातिवाद की भावना को उभारने का प्रयास पहले से कर ही रहे हैं। हो सकता है देशवासियों को सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतार कर और देश के संसाधनों को नुकसान पहुँचवा कर विपक्ष के नेताओं के हित सध जायें लेकिन इससे देश वो सब कुछ खो देगा जो पिछले 10 सालों में कड़ी मेहनत से अर्जित किया गया है। सत्ता की लालसा या महत्वाकांक्षा होना जायज है लेकिन देश के हितों की बलि देकर कुर्सी तक पहुँचने की योजना देश के लिए घातक है।
हम आपको याद दिला दें कि सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ जब पेश की गई थी तब भी विपक्ष ने इसके बारे में भ्रम और अफवाहें फैला कर देश को अशांति की आग में झोंक दिया था। लगता है वैसा ही कुछ एक बार फिर करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि अग्निपथ योजना के बारे में सेना और सरकार युवाओं के भ्रम और इस योजना की विसंगतियां दूर कर इसे दुनिया की सबसे पारदर्शी और उत्कृष्ट भर्ती नीति बना चुकी है। इस नीति से युवा कितने खुश हैं इसका अंदाजा तभी लग गया था जब तीनों सेनाओं में आवेदनों के पुराने सभी रिकॉर्ड टूट गये थे। जो लोग कह रहे हैं कि चार साल की सेवा के बाद नौजवान को फिर से नौकरी की खोज करनी होगी, दरअसल उन्हें पता ही नहीं है कि सरकार और निजी क्षेत्र ने अग्निवीरों के लिए क्या-क्या प्रबंध किये हैं।
देखा जाये तो अग्निपथ योजना का विरोध करने वाले हमारी सेना के आधुनिकीकरण के भी दुश्मन हैं। इसे उदाहरण के जरिये समझना है तो देखिये कि आज के दौर में बड़े-बड़े महारथियों को युद्ध क्षेत्र में एक एक दिन गुजारना भारी पड़ रहा है। सैन्य रूप से ताकतवर देशों में शुमार रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया मगर दो साल बाद भी यूक्रेन को पूरी तरह हरा नहीं पाया है। सर्वाधिक आधुनिक हथियारों से युक्त देश माने जाने वाले इजराइल ने एक आतंकवादी संगठन हमास के खिलाफ अभियान छेड़ा, मगर पांच महीने होने को आये लेकिन इजराइल को जीत नहीं मिली है। भारत में भी कारगिल युद्ध के समय अग्निपथ जैसी भर्ती योजना की आवश्यकता महसूस की गयी थी। लाल सागर में देख लीजिये कैसे हूती विद्रोहियों ने अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों की नाक में दम कर रखा है। आप नजर दौड़ाएंगे तो पाएंगे कि ऐसे ही अनेकों उदाहरण विश्व के कोने-कोने में भरे पड़े हैं। यह सब उदाहरण इस बात की आवश्यकता पर जोर देते हैं कि सैन्य मामलों में हर देश को आत्मनिर्भर होना चाहिए और सेना के जवान इस आधुनिक युग के युद्धों से लड़ने के अलावा भविष्य के युद्धों से लड़ने के योग्य और विशेष रूप से प्रशिक्षित होने चाहिए। अग्निपथ योजना पर सवाल उठा रहे विपक्षी दलों को समझना होगा कि अगर भविष्य की तैयारी करनी है तो हमें खुद में निरंतर बदलाव करते रहना होगा। देखा जाये तो भविष्य में हम ऐसे परिदृश्य की ओर बढ़ रहे हैं जहां अदृश्य दुश्मनों के खिलाफ संपर्क रहित युद्ध होगा और देश को एक चुस्त और सुप्रशिक्षित युवा सेना की आवश्यकता है।
बहरहाल, यहां इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने सेना से जुड़े मुद्दों को लेकर राजनीति शुरू की थी और माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया था। 2019 में पुलवामा हमले का जब भारतीय वायुसेना ने बदला लिया था तो विपक्षी दलों ने इसके सबूत मांगे थे। यही नहीं, राफेल लड़ाकू विमान सौदे में घोटाले का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां की गयी थीं और चुनावों के समय भरसक प्रयास किया गया था कि देश में इस विमान सौदे के खिलाफ माहौल बने ताकि सरकार इसे रद्द करे। अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव सामने हैं तो कांग्रेस ने अग्निपथ योजना को बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। विपक्ष को समझना चाहिए कि सेना से जुड़े मुद्दों को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। देश की सुरक्षा ऐसा मुद्दा है जिससे कतई समझौता नहीं किया जा सकता। देखा जाये तो भविष्य में भी देश को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सिर्फ आने वाली पीढ़ी की ही नहीं बल्कि आज की पीढ़ी की भी जिम्मेदारी है। भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मजबूत बुनियाद और अवसंरचना बनाने के लिए यदि आज की पीढ़ी को अपने हितों की कुछ तिलांजलि देनी भी पड़े तो यह भी एक प्रकार से देशसेवा ही है।
-नीरज कुमार दुबे