By नीरज कुमार दुबे | Oct 11, 2023
पाकिस्तान में बैठे ऐसे आतंकवादी जोकि भारत में मोस्ट वांटेड हैं, उनकी मौत का सिलसिला जारी है। हम आपको बता दें कि ताजा खबर है कि पठानकोट हमले के आरोपी शाहिद लतीफ की पाकिस्तान के सियालकोट में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी है। इससे पहले भी हाल ही में कई ऐसे खूँखार आतंकवादियों की पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने हत्या की जिन्होंने भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था या वह सीमा पार बैठकर भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहे थे।
जहां तक शाहिद लतीफ का मामला है इस बारे में हम आपको बता दें कि यह वही आतंकवादी है जिसे पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने रिहा किया था। हम आपको याद दिला दें कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में जो सद्भावना मिशन शुरू किया था उसके तहत साल 2010 में पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शाहिद लतीफ को रिहा किया गया था। मगर सद्भावना के बदले में पाकिस्तान ने एक बार फिर धोखा दिया था और शाहिद लतीफ ने पठानकोट हमले की रणनीति बनाकर उसे अंजाम दिलवाया था। शाहिद लतीफ पठानकोट हमले का मास्टर माइंड था और राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानि एनआईए की मोस्ट वांटेड की लिस्ट में शामिल था।
हम आपको याद दिला दें कि शाहिद लतीफ आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के उन 25 आतंकवादियों में से एक था जिन्हें मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में सद्भावना के तहत रिहा किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार लाने के लिए 28 मई 2010 को जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी, नैनी और तिहाड़ जेल से 25 आतंकवादियों को रिहा करवा कर उन्हें वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया था।
हम आपको यह भी बता दें कि लगभग 11 साल तक भारत की जेल में बंद रहे शाहिद लतीफ को छुड़वाने के लिए पाकिस्तान की ओर से तब भी प्रयास किया गया था जब दिसंबर 1999 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर लिया था। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने विमान यात्रियों की जान बचाने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर और उसके दो साथी आतंकवादियों को तो रिहा कर दिया था मगर शाहिद लतीफ तथा अन्य 31 आतंकवादियों को रिहा करने से इंकार कर दिया था। रिपोर्टें बताती हैं कि शाहिद लतीफ चूंकि उस समय भी जैश-ए-मोहम्मद संगठन का मुख्य हैंडलर था इसलिए वाजपेयी सरकार को आशंका थी कि उसे छुड़ाने के लिए आतंकवादी कोई और बड़ी वारदात कर सकते हैं इसलिए 1999 के विमान अपहरण कांड और 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद उसे जम्मू-कश्मीर की जेल से निकाल कर वाराणसी सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था।
रिपोर्टों के मुताबिक शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुंजरावाला के अमीनाबाद कस्बे के मोर गांव का रहने वाला है। वह आतंकवादी मसूद अजहर का काफी करीबी माना जाता था। मसूद अजहर ने उसे भारत में जैश की गतिविधियों का प्रमुख बनाया हुआ था। पठानकोट हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने शाहिद लतीफ की पहचान उन चार प्रमुख आतंकवादियों के साथ की थी जिन्होंने इस हमले को करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि शाहिद लतीफ ने सियालकोट में बैठे-बैठे ही पठानकोट हमले को अंजाम दिलवा दिया था। हम आपको यह भी बता दें कि शाहिद लतीफ को नवंबर 1994 में Prevention of Unlawful (Activities) Act (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसे जब 2010 में रिहा किया गया तो उसने पाकिस्तान जाकर आतंकवादी पैदा करने की फैक्ट्री ही खोल दी थी लेकिन अब यह नया भारत है जो बार-बार यह संदेश दे रहा है कि हमें छेड़ोगे तो हम छोड़ेंगे नहीं।