सदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने से ‘इंडिया गठबंधन’ और मजबूत होता महसूस कर रहा है। विपक्षी नेताओं को लगता है संसद में अब उनकी आवाज नहीं दबाई जाएगी। महाराष्ट्र बारामती सांसद सुप्रिया सुले कहती हैं कि बीते दस सालों में केंद्र सरकार ने विपक्ष पर हर तरह के जुल्म किए। पर, अब उनके हिस्से में नेता विपक्ष की ताकत रहेगी, जिसके बूते हिसाब-किताब बराबर किया जाएगा। राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने और तमाम मुद्दों पर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने सांसद सुप्रिया सुले से गुफ्तगू की। बातचीत के मुख्य हिस्से।
प्रश्नः राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने के निर्णय को आप कैसे देखती हैं?
उत्तरः राहुल गांधी विपक्ष की मजबूत आवाज हैं। वह युवा नेता हैं और उर्जावान भी। देशवासियों को उनसे ढेरों उम्मीदें हैं। सदन में नेता विपक्ष का होना इसलिए भी जरूरी होता है, ताकि केंद्र सरकार अपनी मनमानी न कर सके, जो बीते 10 वर्षों में मोदी सरकार ने किया है। सरकार ने जितने भी निर्णय लिए सभी एकतरफा? शायद ये हमें बताने की जरूरत नहीं? जनता ने खुद से देखा है। तभी, भाजपा को जनता ने इस बार कायदे से सबक सिखा दिया है। मुझे याद है जब लोकसभा अध्यक्ष ने एक साथ विपक्ष के 150 सांसदों को सदन से निलंबित करके कुछ विधेयक चुपचाप तरीके से पास किए थे, जिनमें आईपीसी में बदलाव, कानूनों में संशोधन आदि थे। अगर तब नेता विपक्ष हम लोगों के बीच से कोई सांसद होता तो शायद ऐसी हिमाकत मोदी सरकार नहीं कर पाती? इस खेल में लोकसभा अध्यक्ष से लेकर उनकी सभी सांसद और मंत्री भी शामिल रहे थे। ऐसी हरकतें अब नहीं होने देंगे। राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने के बाद हमारी पैनी निगाहें रहेंगी।
प्रश्नः क्या इससे ‘इंडिया गठबंधन’ को भी संबल मिलेगा?
उत्तरः पूरा इंडिया गठबंधन एकजुट है। हम सभी नेता विपक्ष की ताकत बनकर उनके साथ चलेंगे। संसद में नेता विपक्ष और डिप्टी स्पीकर ये दोनों पद विपक्ष के पास होने चाहिए। नंबर के हिसाब से नेता विपक्ष को कांग्रेस को मिला है। लेकिन डिप्टी स्पीकर को लेकर अभी केंद्र सरकार आनाकानी कर रही है। विपक्षी दलों की संख्या डिप्टी पोस्ट के लिए संसदीय नियमानुसार सभी शर्तें पूरी करती हैं। इसलिए बिना देर किए सत्तापक्ष विपक्ष को ये पद दे। इंडिया गठबंधन इस मसले पर मंथन कर रही है। लोकसभा अध्यक्ष के लिए हमने ज्यादा विरोध नहीं किया। इसलिए हमारी सहजता और शालीनता का ख्याल रखते हुए डिप्टी पोस्ट के लिए हमें आमंत्रण देना चाहिए। देखिए, नेता विपक्ष के पास प्रधानमंत्री जैसी एक तिहाई शक्तियां होती हैं। उन शक्तियों का इस्तेमाल राहुल गांधी जनकल्याण के लिए करेंगे। हालांकि, सत्तापक्ष की आदत एकतरफा निर्णय लेने की पड़ी हुई है, ये सिलसिला आगे भी जारी रखने की वो कोशिशें करेंगे, लेकिन हम अब उनके मनमाने फैसले लेने नहीं देंगे। मुझे उम्मीद है कि नेता विपक्ष के रूप में राहुल गांधी मोदी सरकार की तानाशाही रोकने में कामयाब होंगे।
प्रश्नः ऐसा तो नहीं कि सत्ता पक्ष नेता विपक्ष की शक्तियों को इग्नोर करके फिर से अपने हिसाब से निर्णय लेते रहेंगे?
उत्तरः सरकार अब ऐसी कोई गलती नहीं करेगी। ऐसा करके दिखाए, फिर हम अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करेंगे। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति हो, चाहे अन्य संवैधानिक पदों को भरना हो, सभी में सरकार को नेता विपक्ष की राय लेनी होगी। देखिए, सरकार भी समझ गई है कि माहौल अब पहले जैसा नहीं रहा। सतर्क हैं, फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी प्रमुख नौकरशाहों की नियुक्ति में अपनी बात और राय रखेंगे। वह लोकलेखा, सार्वजनिक उपक्रम, प्राक्कलन, कई संयुक्त संसदीय समितियों आदि सहित महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य रहेंगे। ये ऐसी समितियां हैं जिनमें पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने अपने बंदों को सेट किया। लेकिन अब परिदृश्य बदला हुआ है। उनके मिजाज के बंदों को नहीं रखा जाएगा।
प्रश्नः सवाल ये भी है, सत्ता पक्ष की तरह विपक्ष को भी जिम्मेदार होना चाहिए?
उत्तरः विपक्ष अपनी जिम्मेदारियां से कभी पीछे नहीं हटा? सदैव जनता की हितो के लिए लड़ता रहा है। हमारी पार्टियां तक तोड़ी गईं, आपस में लड़ाया गया। संसद में हमारी आवाज दबाई गई, तमाम दुश्वारियां हमने बर्दाश्त की। पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने जो तानाशाही रवैया अपनाया उसे देश-दुनिया ने देखा। देखिए, विपक्ष की मुख्य भूमिका सरकार से सवाल पूछना और उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाना होता है। इससे सत्ताधारी पार्टी की गलतियों को सुधारने में भी मदद मिलती है। हम ये एहसास अच्छे से है कि जनता के सर्वोत्तम हितों को बनाए रखने में विपक्ष भी उतना ही जिम्मेदार होता है जितना की सत्ता पक्ष। विपक्ष का नेता अथवा नेता प्रतिपक्ष भारतीय संसद के दोनों सदनों में, प्रत्येक में आधिकारिक विपक्ष का नेतृत्वकर्ता होता है। मुझे उम्मीद है राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह अच्छे से करेंगे। राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाने की जब बात हुई, तो उस मीटिंग में मैं खुद शामिल थी। राहुल के नाम पर सभी ने एक सुर में निर्णय लिया। हम सबने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी लड़ाई में हम सभी साथ रहेंगे।
प्रश्नः सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी या नहीं?
उत्तरः आसार तो नहीं दिखते? नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। मंत्रियों के विभाग बंटवारे में तो उन्हें मोदी जी ने मना लिया है। लेकिन आगे की राहें कठिन हैं। अब देखने में आया है कि उन दोनों को प्रधानमंत्री ने इग्नोर करना शुरू कर दिया है। मुझे लगता है दोनों सुलझे हुए और समझदार नेता हैं। हो सकता है दोनों कभी न कभी ‘इंडिया गठबंधन’ का हिस्सा बन जाए। उनके हटते ही मोदी सरकार गिर जाएगी। फिलहाल इस संबंध में हम लोग ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। हमें देश और जनता की परवाह है। भाजपा से मुक्ति दिलवाना ही हमारा लक्ष्य है। भाजपा ने महाराष्टृ को जिस तरह से तोड़ा है, वैसा हम और कहीं नहीं होने देंगे।
बातचीत में जैसा सांसद सुप्रिया सुले ने पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर से कहा