संसदीय समिति ने सरकार को पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर पुन: विचार विमर्श का सुझाव दिया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 06, 2021

नयी दिल्ली। संसद की एक समिति ने वर्तमान सिंधु जल संधि में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव जैसे विषयों के शामिल नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ इस जल संधि पर पुन: विचार विमर्श करना चाहिए। लोकसभा में बृहस्पतिवार को पेश डा. संजय जायसवाल की अध्यक्षता वाली, जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

इसे भी पढ़ें: विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के तहत लगभग 12,500 लड़कियों को मिल रहा है लाभ: सरकार

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति यह पाती है कि यद्यपि सिंधु जल संधि समय की कसौटी पर खरी उतरी है, फिर भी उसका विचार है कि संधि को वर्ष 1960 में समझौते के समय मौजूद जानकारी और प्रौद्योगिकी के अनुसार बनाया गया था। ’’ इसमें कहा गया है कि उस समय दोनों देशों का दृष्टिकोण बांधों, नहरों के निर्माण, विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के माध्यम से नदी प्रबंधन तथा पानी के उपयोग तक ही समिति था। समिति ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन आदि अहम विषय हैं जिन्हें उस समय संधि में शामिल नहीं किया गया था, इसलिये संधि पर पुन: विचार विमर्श करने की आवश्यकता है।

इसे भी पढ़ें: वैश्विक आर्थिक मंदी एवं कोविड के कारण वाहनों के निर्यात में गिरावट आयी : सरकार

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ इसको ध्यान में रखते हुए समिति इस जल संधि पर भारत सरकार सेपाकिस्तान के साथ पुन: विचार विमर्श करने के लिये कूटनीतिक उपाय करने का आग्रह करती है।’’ समिति ने यह भी कहा कि यद्यपि भारत को सिंधु जल संधि के अनुसार पश्चिम नदियों पर 36 लाख एकड़ फीट (एमएएफ) तक पानी का भंडारण करने का अधिकार है लेकिन भारत द्वारा अब तक कोई भंडारण क्षमता नहीं बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि पश्चिम नदी विद्युत परियोजनाओं से लगभग 20 हजार मेगावाट की अनुमानित विद्युत क्षमता को हासिल किया जा सकता है लेकिन अभी तक केवल 3482 मेगावाट क्षमता का ही निर्माण किा जा सका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संधि भारत के लिये यह उपबंध करती है कि वह पश्चिमी नदियों के पानी से 13,43,477 एकड़ सिंचित फसल क्षेत्र को विकसित कर सकता है।

फसल वर्ष 2019-20 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी नदियों से संबंधित, भारत द्वारा विकसित सिंचित फसल क्षेत्र 7,59,859 एकड़ है। समिति ने यह देखते हुए सिफारिश की है कि संधि के प्रावधानों के अनुसार पानी के भंडारण सहित पश्चिमी नदियों से सिंचाई और विद्युत ऊर्जा क्षमता के अधिकतम उपयोग और पानी का पूर्ण उपयोग करने के लिये सिंधु जल संधि के प्रावधानों की व्यवहार्यता की जांच करनी चाहिए।

प्रमुख खबरें

हर राज्य में लेकर आएंगे, राज्यसभा में खड़े होकर UCC पर अमित शाह ने किया बड़ा ऐलान

बीजेपी ने सबकी सरकारें गिरा दीं, संजय सिंह बोले- 3 घंटे के लिए ED-CBI दे दो, सबको जेल भेज दूंगा, नड्डा ने कहा- दिल्ली में भी...

विजय हजारे ट्रॉफी से ड्रॉप होने पर टूट गए पृथ्वी शॉ, सोशल मीडिया पर अपना दुख व्यक्त किया

बेटी के जन्म के बाद एक्टिंग छोड़ने वाली थी Nicole Kidman, मां की सलाह से बच गया करियर