By अंकित सिंह | Sep 18, 2023
संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हुआ है। यह 5 दिनों तक चलेगा। आज संसद के दोनों सदनों में सकारात्मक चर्चा के बाद इसे कल दोपहर 2:15 पर नए संसद भवन में होने वाली कार्यवाही तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। आज की कार्यवाही पुराने संसद भवन में हुई। 75 सालों के इतिहास पर चर्चा किया गया। लोकसभा में इसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद शुरुआत की जबकि अन्य दलों के नेताओं ने भी अपने पक्ष रखें। इस दौरान संसद के इतिहास का भी जिक्र किया गया।
- मोदी ने लोकसभा में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा इसका एक बार पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का यह अवसर है। हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आज़ादी के पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था। आज़ादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में पहचान मिली। मोदी ने कहा कि इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन में रहे प्रत्येक व्यक्ति ने सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसे देखा भी है। हम भले नए भवन में जाएंगे लेकिन पुराना भवन यानि यह भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आपने एक स्वर से G-20 की सफलता की सराहना की है... मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। G-20 की सफलता देश के 140 करोड़ नागरिकों की सफलता है। यह भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं... यह हम सभी के लिए जश्न मनाने का विषय है। उन्होंने कहा कि इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है और हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है। मोदी ने कहा कि मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था, वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था।
- नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब आतंकी(संसद भवन पर) हमला हुआ यह आतंकी हमला किसी इमारत पर नहीं बल्कि एक प्रकार से लोकतंत्र की जननी, हमारी जीवित आत्मा पर हमला था। उस घटना को देश कभी नहीं भूल सकता। मैं उन लोगों को भी नमन करता हूं जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए संसद और उसके सभी सदस्यों की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं। उन्होंने कहा कि अनेक ऐतिहासिक निर्णय और दशकों से लंबित विषय का स्थाई समाधान भी इसी सदन में हुआ। अनुच्छेद 370 भी इसी सदन में हुआ। वन रैंक वन पेंशन, वन नेशन वन टैक्स, GST का निर्णय, गरीबों के लिए 10% आरक्षण भी इसी सदन में हुआ।
- राज्यसभा द्वारा देश के संसदीय लोकतंत्र में दिये गये योगदान को ‘महत्वपूर्ण’ बताते हुए सदन के नेता पीयूष गोयल ने सोमवार को उम्मीद जतायी कि सभी सदस्य नये संसद भवन में देश की 140 करोड़ जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक नये संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ जाएंगे। उच्च सदन में देश की संसदीय यात्रा के बारे में चर्चा की शुरुआत करते हुए गोयल ने यह बात कही। सदन के नेता ने गणेश चतुर्थी उत्सव की बधाई देते हुए कहा कि आज की चर्चा हम सभी को और उत्साह देगी और इस बात के लिए प्रेरित करेगी कि आगे भी हम देश के निर्माण में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि देश का लोकतंत्र प्रेरणादायी है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश का संविधान हम सभी को इच्छाशक्ति देता है तथा संसद देशवासियों के संकल्प और उमंग को साझा करने का सबसे सही संस्थान है।
- तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को सरकार से आग्रह किया कि संसद के नए भवन में महिला आरक्षण विधेयक बिना देर किए पेश किया जाए और पारित किया जाए। लोकसभा में पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए यह मांग उठाई। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय जब नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू होने जा रही है तो ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में भेद नहीं किया जाना चाहिए। बंदोपाध्याय का कहना था, ‘‘नए संसद भवन में जाने से पहले हमें अपने देश के नाम का सही मतलब समझने की जरूरत है कि ‘इंडिया जो भारत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें धर्मनिरपेक्षता और संघवाद की बुनियाद पर ‘नए भारत’ को बनाना होगा...विविधता में एकता की भावना को बनाए रखने की जरूरत है।’’
- राज्यसभा में सोमवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने देश के विकास में संसद के योगदान की सराहना करते हुए सरकार को संघवाद पर मंडरा रहे खतरों के प्रति आगाह किया तथा कई सदस्यों ने नये संसद भवन में महिला आरक्षण संबंधी विधेयक पारित करने की मांग की। उच्च सदन में ‘संविधान सभा से अब तक 75 वर्षों की संसदीय यात्रा-उपलब्धियां, अनुभव, स्मृतियां और सीख’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक ने कहा कि संविधान में संघवाद का एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया है फिर भी यह इस देश की आत्मा है। उन्होंने कहा कि यह राज्यों की सभा है और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे संघवाद की भावना प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि राज्यों को कोष से वंचित करना लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को 2021 से मजदूरी नहीं दी जा सकी है।
- राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को केंद्र सरकार पर एक ‘मजबूत विपक्ष’ को केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के जरिए कमजोर करने का आरोप लगाया और साथ ही यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा कि वह ‘कभी-कभार’ संसद में आते हैं और जब आते भी हैं तो उसे ‘इवेंट’ बनाकर चले जाते हैं। देश की संसदीय यात्रा के बारे में उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान किए गए विभिन्न कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने 70 सालों में लोकतंत्र को मजबूत किया और भारत को मजबूत बनाने की नींव डाली। प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए खरगे ने नेहरू की कार्यशैली का भी जिक्र किया और कहा कि एक तरफ वह जहां सभी को साथ लेकर चलते थे वहीं आज के प्रधानमंत्री ‘हमारी छाया’ भी नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू जी प्रमुख मुद्दों पर सभी से बात करते थे। विपक्ष के साथियों से भी बात करते थे, सबकी राय लिया करते थे लेकिन आज होता क्या है? हमारी बात सुनने को कोई नहीं आता।’’
- कांग्रेस ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि लोगों के मन में ‘एक दल की तानाशाही’, विपक्षी पार्टी शासित राज्यों को अस्थिर करने के प्रयासों और केंद्रीय एजेंसियों के ‘चुनिंदा’ उपयोग को लेकर आशंकाएं व्याप्त हैं। कांग्रेस ने मौजूदा सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने की भी सत्ता पक्ष से मांग की। सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा- उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए दावा किया कि वर्तमान में, संसद ही नहीं, समाज के विभिन्न पहलुओं में समावेशिता का अभाव है। उन्होंने सभी के लिए अभिव्यक्ति की व्यापक स्वतंत्रता की मांग की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चर्चा की शुरुआत की। अतीत में विपक्षी सदस्यों के संबोधनों के कई हिस्सों को कार्यवाही से हटाने का उल्लेख करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता ने कहा कि राष्ट्र के संस्थापकों ने हमेशा सभी सांसदों के लिए समान अवसरों और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के मन में एक पार्टी की तानाशाही थोपे जाने का डर है। विपक्ष (पार्टी) शासित राज्यों को अस्थिर करने की कोशिशों और केंद्रीय एजेंसियों के चुनिंदा इस्तेमाल को लेकर भी भय का वातावरण है।’’ चौधरी ने बहुलता को भारतीय सभ्यता का सार करार देते हुए कहा कि भारत अनंत बहुलवाद का देश है और सभी की राय का सम्मान किया जाना चाहिए।