By रेनू तिवारी | Apr 05, 2025
देश में बाघों की संख्या अब दिन प दिन कम होती जा रही है। बाघों को देने के लिए आज जनता जो एडवेंचर और वाइल्ड लाइफ की शौकीन है वह जंगलों की सफारी के लिए जाते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो आप पन्ना टाइगर रिजर्व जा सकते हैं। यह जगह सर्दियों में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगती। घने जंगल और बेहतरीन आलीशान रिजॉर्ट पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाते हैं। पन्ना आकर आप सफारी राइड तो कर ही सकते हैं साथ ही यहां एक रहस्यमय जगह है जिसका नाम हैं पांडव की गुफाएं एवम् जलप्रपात (Pandav Falls) यह जगह जंगल के अंदर बीचोबीच में हैं। यह स्थान पन्ना टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत जगह है। यह स्थान प्राकृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों से युक्त है। यहां एक खूबसूरत झरना है। पांडव जलप्रपात की ऊंचाई 30 मीटर है। बारिश के मौसम में यहां का नजारा बेहद मनोरम होता है। जैव विविधता की दृष्टि से यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। यहां कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं। जो मानव जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
पांडव जलप्रपात की खूबसूरती
पांडव जलप्रपात झरने का पानी मध्य प्रदेश में स्थित केन नदी की एक सहायक नदी से आता है। यह एक बारहमासी झरना है, बारिश के मौसम में झरने का वेग बढ़ जाता है। पांडव जलप्रपात का पानी नीचे स्थित एक विशाल जलकुंड में गिरता है, जलकुंड का आकार दिल जैसा दिखता है। जलकुंड का पानी साफ होने के कारण मछलियां साफ दिखाई देती हैं। पांडव जलप्रपात हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। पांडव गुफा और पांडव जलप्रपात की शांति, पवित्रता और यहां का मनोरम वातावरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
पांडव जलप्रपात की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
पांडव जलप्रपात मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में स्थित सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में से एक है, जहाँ दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। सर्दियों और मानसून के मौसम को पांडव जलप्रपात की यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान यह क्षेत्र स्वस्थ जल प्रवाह के साथ घनी हरियाली से भरा रहता है। नीचे मौसमी विवरण दिया गया है जो पर्यटकों को पांडव जलप्रपात की यात्रा की योजना बनाने में मदद करेगा।
प्रचलित कथा:- पांडव गुफा के बारे में जब जुए में पराजित होने के बाद पांडवों को हस्तिनापुर से निकाल दिया गया था। तब वे अज्ञातवास के समय यहां गुप्त रूप से निवास करते थे। उन्होंने इस झरने के पास एक गुफा में शरण ली थी और आपने हथियार रखे थे। इस घटना के बाद से इसका नाम पांडव फॉल और पांडव गुफा पड़ा।
देश की आजादी में पांडव फॉल का महत्वपूर्ण योगदान:- 4 सितंबर 1929 को चंद्रशेखर आजाद की पाटरा जिले में पांडव फॉल और पांडव गुफा नामक स्थान पर क्रांतिकारियों के साथ बैठक हुई थी, वे पांडव को अपना आदर्श मानते थे, इसलिए उन्होंने भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने का निर्णय लिया और भगत सिंह के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (एचएसआरए) की स्थापना की। 90 साल तक गुलाम रहे भारत को आजादी दिलाने के लिए देश में आजादी की अलख जगाई।
पांडव फॉल के आसपास खजुराहो जैसे अन्य पर्यटन स्थल भी हैं जहां दुनिया भर से लोग घूमने आते हैं