इस्लामाबाद। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने, पनामा मामले की जांच समिति द्वारा मामले में उनके खिलाफ रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों की मांग के बावजूद आज अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। जांच समिति ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ घूसखोरी का मामला दर्ज करने की अनुशंसा की है। डान ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक यहां बुलाई गई एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक में शरीफ ने संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की रिपोर्ट को ‘‘आरोपों और कयासों’’ का पुलिंदा बताया।
रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ही प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांग रहे विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुये शरीफ ने कहा, ‘‘मुझे पाकिस्तान के लोगों ने निर्वाचित किया है और सिर्फ वे ही मुझे पद से हटा सकते हैं।’’ शरीफ ने दावा किया कि उनके परिवार ने ‘‘राजनीति में आने के बाद कमाया कुछ नहीं, गंवाया बहुत कुछ।’’ उन्होंने कहा कि जेआईटी की रिपोर्ट में इस्तेमाल भाषा दुर्भावनापूर्ण इरादे दिखाती है। शरीफ ने कहा, ‘‘जो लोग अनावश्यक और झूठे दावों पर मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं उन्हें पहले अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिये।’’
उन्होंने कहा कि वह वह साजिशकर्ताओं की मांग पर इस्तीफा नहीं देंगे। अखबार के मुताबिक, मंत्रिमंडल के सदस्यों ने सुझाव दिया कि शरीफ को खुद को साबित करने के लिये पनामा पेपर मामले में कानूनी जंग लड़नी चाहिये। छह सदस्यों वाली जेआईटी ने शरीफ परिवार के कारोबारी लेनदेन की जांच की और इसके बाद 10 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय को 10 खंडों वाली अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जेआईटी ने अनुशंसा की थी कि शरीफ उनके बेटे हसन और हुसैन तथा बेटी मरियम के खिलाफ राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश 1999 के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जाना चाहिये।
प्रधानमंत्री आवास पर हुई एक ‘‘अनौपचारिक बैठक’’ के दौरान आज की बैठक बुलाने का फैसला लिया गया। सभी प्रमुख विरोधी दलों ने उनसे पद से इस्तीफा देने और नाम बेदाग साबित होने तक सत्ता से दूर रहने की मांग की है।