कश्मीरी युवकों का ‘आतंकी टट्टू’ के रूप में इस्तेमाल कर रहे भाड़े के पाकिस्तानी लोग: अधिकारी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 17, 2022

श्रीनगर| जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के लिए भाड़े पर काम कर रहे लोग कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं और उनका इस्तेमाल केवल ‘‘आतंकी टट्टू’’ के रूप में काम कर रहे हैं। यदि कश्मीरी युवा हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहें तो भाड़े पर काम कर रहे संबंधित तत्व उनकी हत्या भी कर सकते हैं। वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने रविवार को यह बात कही।

इस महीने की शुरुआत में, बडगाम में हुई मुठभेड़ और शहजादपुरा निवासी 24 वर्षीय वसीम कादिर मीर के फोन कॉल की विस्तृत जानकारी का संदर्भ देते हुए अधिकारियों ने बताया कि वह पाकिस्तानी आतंकवादियों के क्रूर व्यवहार का नवीनतम शिकार बना जिन्होंने उसे छह जनवरी को मध्य कश्मीर स्थित जिले के झोई गांव में उस समय मार दिया जब सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हो रही थी। उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान मीर अपने दो पाकिस्तानी साथियों के साथ घिर गया था जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई थी।

उन्होंने कहा कि सुबह तक यह सामान्य खबर थी कि सुरक्षाबलों ने एक और आतंकी समूह का खात्मा कर दिया है लेकिन जो असामान्य था वह रात को मुठभेड़ के दौरान हुआ घटनाक्रम था। इस मुठभेड़ में शामिल रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘मुठभेड़ के दौरान मीर हथियार डालना चाहता था और संभव था कि उसका उद्देश्य सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण करना था लेकिन साथ में मौजूद दो पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उसे गोलीबारी जारी रखने के लिए मजबूर किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाद में पोस्टमॉर्टम सहित अन्य जानकारियों से पुष्टि हुई कि मीर को उसके ही साथियों ने मार डाला, क्योंकि वे आत्मसमर्पण की मीर की कोशिश का विरोध करने में असफल हुए थे।’’

उल्लेखनीय है कि मीर ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और शुरुआत में वह आतंकवादी संगठनों के लिए ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ के तौर पर काम करता था तथा दिसंबर 2020 में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर और पाकिस्तानी आतंकवादी सैफुल्ला उर्फ ‘लंबू भाई’ ने उसे अपने संगठन में भर्ती कर लिया था।

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि मीर ने आतंकवादी के तौर पर लंबे समय तक काम नहीं किया लेकिन उसकी आतंकी गतिविधियों की सूची लंबी थी। वह पिछले साल 13 दिसंबर को जेवन में हुए हमले में भी शामिल था जिसमें तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे। उन्होंने बताया कि कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से संभवत: वह दोबारा मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पा रहा था लेकिन जब उसे सुरक्षाबलों द्वारा अपनी जिंदगी बचाने का मौका दिया गया तो वह उसका इस्तेमाल नहीं कर सका क्योंकि उसके अपने साथियों ने उसका इस्तेमाल ‘‘आतंकी टट्टू’’ के रूप में किया।

अधिकारियों ने कहा कि यह घटना कथित स्थानीय स्वतंत्रता आंदोलन के कुरूप चेहरे का खुलासा करती है और घाटी की बड़ी मानव त्रासदी को भी दिखाती है जिसका सामना वह पिछले तीन दशक से पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों की वजह से कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक कश्मीर का मामला है तो बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर और तीन-चार आतंकवादियों का समूह बनाकर उसमें एक स्थानीय युवक को रखना पाकिस्तान का वर्षों पुराना तरीका है।’’ अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान की रणनीति का लक्ष्य वैश्विक समुदाय को भ्रमित करना और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय युवकों के नेतृत्व वाले स्थानीय विद्रोह के रूप में प्रस्तुत करना है।

उन्होंने कहा कि वह यह काम कश्मीर टाइगर्स और रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे छद्म आतंकी गुट बनाकर कर रहा है जो क्रमश: जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के मुखौटा गुट हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वास्तविकता यह है कि गत वर्षों में स्थानीय लोगों की भर्ती केवल ‘आतंकी टट्टू’ की हैसियत से की गई है जो केवल पाकिस्तानी आतंकवादियों के गाइड के रूप में काम करें और पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार अभियान का भार संभाल सकें तथा घाटी में आतंकवाद की फैक्टरी को चालू रख सकें।

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