By रेनू तिवारी | Oct 22, 2021
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापस जाने के बाद जब तालिबान का सिर उठा तो सबसे ज्यादा जश्न पाकिस्तान ने मनाया। भले ही पाकिस्तान ने उसका खुलकर समर्थन नहीं किया लेकिन देश की तरफ से जारी बयानों से साफ हो रहा था कि मानों पाकिस्तान को उसका सदियों बिछड़ा यार मिल गया हो। चीन और पाकिस्तान ने मिलकर तालिबान का समर्थन किया। अब अफगानिस्तान में तालिबानी हूकूमत है जिसके जुल्मों की गवाही समय-समय पर सामने आ रही है। खैर आज आपकों तालिबान के जुल्मों की दास्तान नहीं, बल्कि तालिबान के सामने आये आर्थिक संकट के बारे में बताएंगे। आफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए पाकिस्तान जो खुद कर्ज में डूबा हुआ है, मदद कर रहा है। पाकिस्तान की तरफ से ऐलान किया गया है कि वो अफगानिस्तान को 5 अरब रुपये की मानवीय सहायता देगा। मीडिया से बात करते हुए विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, 'अगर उन्हें अस्पतालों में दवाओं की जरूरत है या उनकी प्राथमिकता कुछ और है, तो वे हमें बताएंगे और हम उन्हें मानवीय सहायता देने के लिए तैयार रहेंगे।'
अफगानिस्तान को 5 अरब की सहायता देगा पाकिस्तान
आफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए पाकिस्तान 5 अरब रुपये की मानवीय सहायता देगा। तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के साथ वार्ता करने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख फैज हमीद बृहस्पतिवार को काबुल पहुंचे है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के मुताबिक, एक दिवसीय यात्रा के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के साथ वार्ता की। साथ ही प्रतिनिधिमंडल काबुल की अंतरिम सरकार के नेतृत्व और अन्य अफगान नेताओं से मुलाकात भी हुई है। मुत्तकी ने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। विदेश कार्यालय ने कहा, वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच व्यापक द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हो रही है और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के मुद्दों पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण को भी साझा किया गया है। यह यात्रा मॉस्को में हाल में हुई चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस के अधिकारियों की बैठक के बाद हुई है। इसके अलावा, इस यात्रा को तेहरान में अगले सप्ताह होने वाली अफगानिस्तान और रूस के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले अहम माना जा रहा है।
भारत ने अफगानिस्तान के विषय पर सम्मेलन में पाकिस्तान को न्यौता दिया है : कुरैशी
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान को भारत से अफगानिस्तान पर सम्मेलन में हिस्सा लेने का न्यौता मिला है और इस बारे में समय पर फैसला किया जाएगा। कुरैशी ने काबुल की एक दिन की यात्रा से लौटने के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। वह एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काबुल गये थे जहां उन्होंने अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद से भेंट की। उन्होंने कहा, ‘‘ फिलहाल भारत एवं पाकिस्तान के बीच संबंधों में गर्मजोशी नहीं है। हम परामर्श के बाद सम्मेलन में हिस्सा लेने के मुद्दे पर फैसला करेंगे।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने विश्व समुदाय से अफगानिस्तान में मानवीय संकट टालने की अपील की
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में चल रहे मानवीय संकट को रोकने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया, जहां अब तालिबान का शासन है। सेना ने एक बयान में कहा कि जनरल बाजवा नेरावलपिंडी में सेना मुख्यालय में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के वरिष्ठ असैन्य प्रतिनिधि स्टेफानो पोंटेकोर्वो के साथ हुई मुलाकात के दौरान यह अपील की। बयान में कहा गया है कि उनकी बैठक के दौरान क्षेत्र में आपसी हित, शांति और स्थिरता और अफगानिस्तान की स्थिति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। जनरल बाजवा ने कहा, मानवीय संकट से बचने के लिए अफगानिस्तान पर वैश्विक तालमेल की जरूरत है।
पोंटेकोर्वो ने सफल निकासी अभियानों और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रयासों सहित अफगान स्थिति में पाकिस्तान की भूमिका की सराहना की। उन्होंने अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने और सभी द्विपक्षीय मुद्दों के लिए नाटो देशों द्वारा नियमित जुड़ाव का भी आश्वासन दिया। पाकिस्तान दुनिया को अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ जुड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उसे पड़ोसी देश में भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण मानवीय संकट पैदा होने का डर है।
एफएटीएफ ने कहा, पाकिस्तान निगरानी सूची में बना रहेगा
पाकिस्तान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की निगरानी सूची में बना रहेगा। वह तब तक इस सूची में शामिल रहेगा जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। वैश्विक धन शोधन-निरोधक और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। यह निर्णय पेरिस स्थित एफएटीएफ की ‘ऑनलाइन’ बैठक के बाद आया।
बैठक में इस वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा संयुक्त राष्ट्र सहित कई पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पूर्ण बैठक के बाद एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने घोषणा की कि पाकिस्ताननिगरानी सूची में बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था। उसे अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने के लिये कार्य योजना सौंपी गयी थी। लेकिन उसे पूरा करने में विफल रहने के कारण वहएफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है।