By नीरज कुमार दुबे | Jan 06, 2025
पाकिस्तान अक्सर भारत को चिढ़ाने के लिए अपनी मिसाइलों का नाम अफगान आक्रमणकारियों के नाम पर रखता रहा है। लेकिन अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के बढ़ते संघर्ष के चलते लगता है कि अब इस्लामाबाद अपनी नीति में बदलाव ला रहा है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने गजनी के महमूद को एक लुटेरा करार दिया है। एक टेलीविजन साक्षात्कार के दौरान की गई उनकी टिप्पणी ने पाकिस्तान में नयी बहस शुरू कर दी है क्योंकि वहां स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में लंबे समय से 1026 में भारत के सोमनाथ मंदिर पर हमले के लिए महमूद की सराहना की जाती रही है। पाकिस्तान की पाठ्य पुस्तकों में महमूद गजनी के भारत पर हमले की सराहना की जाती रही है। इसलिए रक्षा मंत्री के बयान के बाद सवाल उठ रहा है कि एक लुटेरे के नाम पर पाकिस्तानी मिसाइलों के नाम क्यों रखे जा रहे हैं। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान अपनी मिसाइलों का नाम गजनी के नाम पर रखता रहा है, जिसने सोमनाथ में पौराणिक शिव मंदिर पर हमला किया था और उसे नष्ट करने का प्रयास किया था। पाकिस्तान अपनी मिसाइलों का नाम अहमद शाह अब्दाली के नाम पर भी रखता है जिसने मराठों को हराकर और हजारों लोगों का नरसंहार करने के बाद पानीपत की तीसरी लड़ाई जीती थी। पाकिस्तान अपनी मिसाइलों का नाम मुहम्मद गोरी के नाम पर रखता है जिसने पृथ्वीराज चौहान को हराया था। देखा जाये तो अफगानिस्तान के आक्रमणकारियों के नाम पर अपनी मिसाइलों का नाम रखकर पाकिस्तान हमेशा भारत को चिढ़ाने का प्रयास तो करता ही है साथ ही वह यह स्पष्ट संदेश देने का प्रयास भी करता है कि उसका बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम भारत-केंद्रित है।
जहां तक पाकिस्तानी रक्षा मंत्री आसिफ़ की बात है तो वह ख़ुद एक कट्टरपंथी हैं। उनकी यह टिप्पणी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आई है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान में हवाई हमले किए। पाकिस्तान ने कहा कि उसने अफगान तालिबान द्वारा पनाह दिए गए पाकिस्तानी तालिबानियों को निशाना बनाया। जवाब में अफगान तालिबान ने भी पाकिस्तान पर कार्रवाई की थी।
इस बीच, विश्लेषकों का कहना है कि आसिफ की ओर से महमूद गजनी की आलोचना अफगान तालिबान पर निशाना साधने के लिए की गयी है। अफगान सरकार ने आसिफ के बयानों को लापरवाह बताते हुए इसकी जिस तरह निंदा की है उससे लगता है कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का तीर सही निशाने पर लगा है। हालांकि उनके बयान ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा भी दिया है। उधर, पाकिस्तान के भीतर भी रक्षा मंत्री की टिप्पणी ने ध्रुवीकरण वाली नयी बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों ने महमूद गजनी की विरासत के पुनर्मूल्यांकन का स्वागत किया है जबकि आसिफ़ की अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों ने रक्षा मंत्री को फटकार लगाई है। पाकिस्तान में सवाल उठ रहा है कि यदि गजनी के महमूद को अब नायक नहीं माना जाता है, तो क्या गजनवी मिसाइल का नाम बदल दिया जाना चाहिए?