By एकता | Jun 18, 2024
पादहस्तासन (Padahastasana), जिसे हाथ से पैर की मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, सूर्य नमस्कार में किया जाने वाला एक आसन है। खड़े होकर आगे की ओर झुकने वाला ये योग आसान लचीलेपन और ताकत पर जोर देता है। इसका नाम संस्कृत के शब्दों "पाद" (पैर), "हस्त" (हाथ), और "आसन" (मुद्रा) से लिया गया है। इस आसन में, अभ्यासकर्ता खड़े होकर आगे की ओर झुकते हैं, अपने हाथों को अपने पैरों के नीचे रखने का लक्ष्य रखते हैं, जिससे शरीर के पिछले हिस्से में गहरा खिंचाव पैदा होता है। यह मुद्रा अपने असंख्य लाभों के लिए जानी जाती है, जिसमें रीढ़, हैमस्ट्रिंग मांसपेशियां और निचले पैर के पिछले भाग के लचीलेपन को बढ़ाना शामिल है। इसके साथ ही पाचन अंगों को उत्तेजित करना भी शामिल है, जो पाचन में सुधार कर सकता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिला सकता है।
पादहस्तासन कैसे करते हैं?
पैरों के बीच 2 इंच की दूरी रखकर सीधे खड़े होकर इस आसान का अभ्यास शुरू करें। धीरे-धीरे साँस लेते हुए अपनी बाहों को ऊपर उठाएँ और अपने शरीर को कमर से ऊपर की ओर खींचें। साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें, अपनी पीठ को सीधा रखते हुए अपनी हथेली को ज़मीन से छूने की कोशिश करें। सामान्य रूप से साँस लेते हुए 10-30 सेकंड तक इस स्थिति में रहें। धीरे-धीरे साँस लेते हुए वापस सीधे खड़े हों, अपनी बाहों को सिर के ऊपर फैलाएँ। फिर, धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए वापस शुरुआती स्थिति में आएँ और शरीर को आराम करने के लिए छोड़ दें।
पादहस्तासन करने के लाभ?
पादहस्तासन को मन को शांत करने, तनाव को कम करने और हल्के अवसाद को कम करने के लिए माना जाता है। यह मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को भी बढ़ाता है, जो एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता में सुधार करने में मदद कर सकता है। नियमित रूप से पादहस्तासन करने से दिल का दौरा या दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। 2014 में, एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि पादहस्तासन शरीर में कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रख सकता है।
इस आसन से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और श्वसन तंत्र में सुधार होता है। यह आसन अवसाद और थकान को दूर करने में सहायक है। यह शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्ति प्रदान करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो लंबे समय तक बैठने के प्रभावों का प्रतिकार करना चाहते हैं, क्योंकि यह शरीर के पूरे पिछले हिस्से को फैलाता है और उसमें लचीलापन बढ़ाता है। लगातार अभ्यास से बेहतर शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है, जिससे पादहस्तासन किसी भी योगाभ्यास का एक मूल्यवान हिस्सा बन जाता है।