सतपुड़ा की रानी के नाम से मशहूर इस हिल स्टेशन में पांडवों ने काटा था अपना अज्ञातवास !

By दिनेश शुक्ल | May 30, 2020

मध्य प्रदेश में अगर गर्मियों की तपिश से राहत लेनी है तो यहां का एक मात्र पर्वतीय पर्यटक स्थल (हिल स्टेशन) है पंचमढ़ी। जहां प्राकृतिक सुन्दरता के साथ ही आपको ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों तरह के स्थल मिल जाएगें। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पंचमढी अपने प्राकृतिक सौदर्य के लिए बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में भी पहचान रखता है। सतपुड़ा की पहाडियों में 1067 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह पर्वतीय पर्यटन स्थल सतपुड़ा की रानी के नाम से भी मशहूर है। मध्य प्रदेश के उच्चतम बिंदु 1352 मीटर ऊंचा धूपगढ़ यहीं स्थित है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। यहां घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहां आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहां के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंसा तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहां की गुफाएं पुरातात्विक महत्व की हैं, क्योंकि यहां गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं। जिसकी खोज का श्रेय डी एच गार्डन नामक विद्वान को जाता है। 

 

इसे भी पढ़ें: बैंगलोर में स्ट्रीट फूड का आनंद लेने के लिए जाएं इन जगहों पर

हरे-भरे और शांत पंचमढ़ी में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत सैलानियों में मंत्रमुग्ध कर देते हैं। पंचमढ़ी घाटी की खोज बंगाल लान्सर के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 की थी। जिसे अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया। पंचमढ़ी में आज भी ब्रिटिश काल के अनेक चर्च और इमारतें देखी जा सकती हैं। कैप्टन जेम्स फोरसिथ यहां सन् 1862 में, सतपुड़ा के इस भाग के अन्वेषण के लिए भेजा गया था। उन्होंने यहां एक फॉरेस्ट लॉज का निर्माण किया और द हाइलेंडस ऑफ सेंट्रल इंडिया नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, जिसमें सतपुड़ा पर्वत श्रेणी की उत्कृष्ट सुंदरता का चित्रण है। जब वे पंचमढ़ी आए तो इस क्षेत्र पर पंचमढ़ी के कोरकू जागीरदार का अधिकार था, किंतु हांडी खो के समीप मग्न झोपड़ियों के स्थलों के रूप में अति प्राचीन सभ्यता के चिन्ह विद्यमान थे। यह आरोग्य निवास के रूप में उपयोगी है। पंचमढ़ी सदाबहार सतपुड़ा पर्वत श्रेणी पर सुंदर पहाड़ियों से घिरा पठार है, जिसे पर्यटक प्यार से सतपुड़ा की रानी कहते हैं। इस पठार का वनक्षेत्र सहित कुल क्षेत्र लगभग 60 वर्ग किलोमीटर है। सामान्य मान्यता के अनुसार पंचमढ़ी नाम, पंचमढ़ी या पांडवों की पांच गुफा से व्युत्पन्न है, जिनके संबंध में माना जाता है कि, पांडवों ने इस क्षेत्र में अपने अज्ञातवास का अधिकांश समय यहीं बिताया था। अंग्रेजों के शासन काल में पंचमढ़ी मध्य प्रांत की राजधानी थी।


पंचमढ़ी होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील मुख्यालय से 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पंचमढ़ी एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होने के कारण यह सड़क, रेल और वायुमार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। किसी भी माध्यम से यहां सरलता से पहुंचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहां ठहरने के लिए भी कई विकल्प उपलब्ध हैं। प्रदेश की राजधानी  भोपाल से पंचमढ़ी की दूरी लगभग 206 किमी है, जहां से नियमित बसें चलती हैं। मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर मध्य रेलवे की इटारसी-जबलपुर शाखा पर स्थित पिपरिया रेलवे स्टेशन है। जहां से सड़क मार्ग द्वारा पंचमढ़ी पहुंचा जा सकता है। पिपरिया से टैक्सी भी उपलब्ध रहती हैं। जबकि सड़क मार्ग से पंचमढ़ी भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा जुड़ा है। वहीं हवाई मार्ग की बात करें तो भोपाल हवाई अड्डे के द्वारा दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, मुंबई, रायपुर और जबलपुर से यह जुड़ा है।


जलवायु की दृष्टि से देखें तो पंचमढ़ी का ठंडा सुहावना मौसम इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों के मौसम में यहां तापमान लगभग 4-5 डिग्री सेंटीग्रेट रहता है, लेकिन मई-जून के महीनों में जब मध्य प्रदेश के अन्य भागों में तापमान 40-45 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुँच जाता है उस समय भी पंचमढ़ी में पारा 35 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होता। इस कारण यहां गर्मियों में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। सतपुड़ा के घने जंगलों से घिरा यह रमणीय स्थल इसके मौसम के कारण ही अपने आप में विशिष्ट बन गया है। यहां की सदाबहार हरियाली घास और हर्रा, जामुन, साज, साल, चीड़, देवदारू, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर, जेकेरेंडा और अन्य छोटे-बडे सघन वृक्षों से आच्छादित वन गलियारों तथा घाटियों के कारण दृश्यावली मनमोहक बन पड़ती है। यहां तल भूमि की घास तथा जहां-तहां फर्न और पत्तों से हरी-भरी है। भांति-भांति के खिले फूल और उन पर मंडराती तितलियां नयनाभिराम दृश्‍य प्रस्‍तुत करते हैं। प्रहारियों के समान खड़ी पहाड़ियां मुलायम बलुआ पत्थर की है। पानी से वे विरूपित हो गई है किंतु भव्य दिखाई देती हैं।


पंचमढ़ी के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो हरे-भरे और शांत पंचमढ़ी में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत सैलानियों में मंत्रमुग्ध कर देते हैं। यहां महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सतपुड़ा राष्टीय पार्क 1981 में स्थापित सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क 524 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह पार्क असंख्य दुर्लभ पक्षियों का घर है। यहां बाइसन, टाइगर, तेन्दुए और चार सींग वाले हिरन जैसे वन्य प्राणियों को देखा जा सकता है। यह पार्क सदाबहार साल, टीक और बांस के पेड़ों से भरपूर है। पार्क के आसपास ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में रुकने के लिए उद्यान के निर्देशक से अनुमति लेना जरूरी है। इसके अलावा यहां कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं। इसके अलावा राजेंद्र गिरि पहाड़ी है इस पहाड़ी का नाम भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। सन 1953 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्वास्थ्य लाभ के लिए यहां आकर रुके थे और उनके लिए यहां रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।

 

इसे भी पढ़ें: कोलकाता में हैं तो इन जगहों का जरूर करें एक्सपीरियंस

पांडव गुफाः पौराणिक महत्व के रूप में यहां पांडव गुफा विद्यमान है। महाभारत काल की मानी जाने वाली ये पाँच गुफाएँ यहां हैं जिनमें द्रौपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख हैं। एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं। इन्हीं पांच गुफाएं के कारण की इस स्थान को पंचमढ़ी कहा जाता है। मान्यता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहर थे। सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कोठरी कहा जाता है जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है। पुरातत्वेत्ताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था। 


हांडी खोहः यह खाई पंचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहां कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता; पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहां एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है; यहां बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत सुंदर दिखता है।


जटाशंकर गुफा: पंचमढ़ी नगर से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटाशंकर एक पवित्र गुफा है। यहां तक पहुंचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। इसके ऊपर एक बिना किसी सहार का झूलता हुआ विशाल शिलाखंड रखा है। यहां भगवान शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है। जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है। जटाशंकर गुफा के नजदीक ही हारपर्स गुफा है। इस गुफा में वीणा बजाते हुए एक व्यक्ति का चित्र है।

 

इसे भी पढ़ें: पिथौरागढ़ आकर खुद को प्रकृति की गोद में पाते हैं पर्यटक

अप्सरा विहार: पांडव गुफाओं से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है। पांडव गुफा के साथ ही अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल चाल द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है। अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और गोताखोरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इस तालाब को पंचमढ़ी का सबसे सुन्दर ताल माना जाता है।


रजत प्रपात: यह अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊंचाई से गिरता इसका जल इसका जल एकदम दूधिया चाँदी की तरह दिखाई पड़ता है। झरने तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है। केवल साहसिक पर्यटक ही ट्रैकिंग के माध्यम से झरने तक पहुंच सकते हैं।


बी फॉलः यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगह है।


प्रियदर्शिनी प्वाइंटः यह सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की गई थी। इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद मनमोहक लगता है। चौरादेव, महादेव, धूपगढ़ नामक सतपुड़ा की तीन प्रमुख चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं। यहां से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही लुभावना लगता है। तीन पहाड़ी शिखर बायीं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दायीं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊंची चोटी है।


महादेव गुफाः पंचमढ़ी नगर से 10 किलोमीटर दूर स्थित महादेव हिन्दुओं के लिए पूजनीय स्थल है। यह पवित्र गुफा भगवान शिव को समर्पित है। यह गुफा 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिस के सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। गुफा के भीतर एक शिवलिंग बना हुआ है। शिवरात्रि पर यहां मेला लगता है भगवान शिव के भक्त शिवरात्रि को यहां पूरे जोश के साथ मनाते है। महादेव गुफा तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है।


चौरागढ़ः महादेव गुफा से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहाड़ी पर पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है, जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। यहां भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं। भक्तों के विश्राम के लिए करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनाई गई है।

 

इसे भी पढ़ें: आखिर क्यों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं भारत के यह खास संग्रहालय

मुधमक्खी झरनाः नगर से 3 किलोमीटर दूर स्थित मधुमक्खी झरना यमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। नदी में गिरते इस खूबसूरत झरने से पंचमढ़ी को पानी की आपूर्ति की जाती है। नहाने के लिए यह झरना काफी लोकप्रिय है। इस झरने तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।


मढईः यहां से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिए जाने का प्रवेश द्वार है। मढई भी प्राकृतिक स्थल के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए रिसार्ट बनाए गए है। मध्य प्रदेश पर्याटन विकास निगम ने यहां सैलानियों के ठहरने की उत्तम व्यस्था की है। यहाँ से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में प्रवेश कर सकते है। 


कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने सतपुड़ा के घने जंगल कविता के माध्यम से इसके सौंदर्य रेखांकित किया है उसी सतपुड़ा में पचमढ़ी बसता है। कवि भवानी प्रसाद मिश्र अपनी कविता में सतपुड़ा के जिन घने जंगलों की बात करते है आपको यह पंचमढ़ी पहुंचकर दृश्यमान होने लगेगें। कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने कविता में लिखा है कि, सतपुड़ा के घने जंगल नींद में डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल। मध्य प्रदेश के एक मात्र पर्वतीय पर्यटक स्थल (हिल स्टेशन) पंचमढ़ी ऐसा प्राकृतिक स्थल है, जहां व्यक्ति एक बार आने के बाद बार-बार आने की इच्छा रखता है। बरसात के दिनों में पंचमढ़ी की छटा देखते ही बनती है। लेकिन इस दौरान सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। पंचमढ़ी को मध्य प्रदेश का शिमला कहा जाए तो अतिशियोक्ति न होगी।


- दिनेश शुक्ल


प्रमुख खबरें

भाजपा स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव में विश्वास रखती है: अमित शाह

Maharashtra: फडणवीस के धर्मयुद्ध वाले बयान पर संजय राउत का पलटवार, बोले- आप तो धर्मद्रोही हो...

Delhi pollution: गंभीर AQI से निपटने के लिए BS-III पेट्रोल, BS-IV डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध, उल्लंघन करने वालों पर लगेगा ₹20,000 का जुर्माना

Kanguva Box Office Report: सूर्या, बॉबी देओल की फिल्म को दूसरे दिन लगा बड़ा झटका, इतनी कमाई