By अंकित सिंह | Jun 11, 2022
भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल द्वारा कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी के बाद देश में राजनीतिक बवाल लगातार जारी है। विपक्ष जबरदस्त तरीके से भाजपा पर हमलावर है। इन सबके बीच असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने साफ तौर पर कहा है कि नूपुर शर्मा के खिलाफ कानून के तहत ही कार्रवाई की जानी चाहिए। दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कि 1 दिन पहले ही उनके पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील ने कहा था कि नूपुर शर्मा को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने साफ तौर पर कहा है कि हमने पार्टी का स्टैंडर्ड ट्वीट किया है और इसमें स्पष्ट है कि देश के कानून के अनुसार ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। यही पार्टी का अधिकारिक स्टैंड है। जो उनके बयान से अलग है और सभी को इसका पालन करना होगा।
ओवैसी ने कहा कि नूपुर शर्मा के उन टिप्पणियों के 2-3 दिन बाद भिवंडी में एक भाषण में मैंने जो कहा था, पीएम मोदी ने नहीं सुना। लेकिन जब विदेशी देशों ने प्रतिक्रिया देना शुरू किया तो वह तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने कहा कि देश का क़ानून सर्वोच्च है, क़ानून के तहत सरकार को एक्शन लेने की जरूरत है। पहले उनकी गिरफ़्तारी अमल में लाई जाए। लोकतंत्र में हिंसा नहीं होनी चाहिए। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि हिंसा न होने दे। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली पुलिस पर ‘द्विपक्षवाद’ और ‘संतुलनवाद’ से ग्रस्त होने का आरोप लगाया था। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा एवं नवीन कुमार जिंदल, एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी, विवादास्पद पुरोहित यति नरसिंहानंद और अन्य के विरूद्ध सोशल मीडिया पर जन शांति के खिलाफ कथित रूप से पोस्ट करने या संदेश साझा करने तथा लोगों को विभाजनकारी आधार पर भड़काने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी।
ओवैसी ने कहा कि मेरे मामले में प्राथमिकी तो यह भी नहीं बता रही है कि क्या आपत्तिजनक/अपमानजनक था। हैदराबाद के सांसद ने कहा कि प्राथमिकी के अंश में यह जिक्र नहीं है कि अपराध क्या है और पुलिस ने ‘‘हथियार या पीड़ित के खून बहकर दम तोड़ देने’ का उल्लेख नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यति, ‘नरसंहार संसद गैंग’, नुपुर, नवीन और अन्य की ऐसा करने (आपत्तिजनक बयान देने) की आदत-सी हो गयी थी क्योंकि ऐसा करने का कोई दुष्परिणाम नहीं था तथा कमजोर कार्रवाई भी तब की गयी जब हफ्तों तक असंतोष बना रहा या अंतरराष्ट्रीय छिछालेदार हुई या अदालत ने पुलिस की खिंचाई की। ओवैसी ने आरोप लगाया कि मुस्लिम विद्यार्थियों, पत्रकारों एवं कार्यकर्ताओं को बस इस्लामिक आस्था से संबंध रखने के गुनाह में जेल में डाल दिया गया।