महाराष्ट्र सरकार को हमारा समर्थन अस्थायीः शिवसेना

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 20, 2017

मुंबई। शिवसेना ने आज कहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को उसका समर्थन ‘अस्थायी’ किस्म का है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भविष्य ‘अब भी अनिश्चित’ है। शिवसेना ने मुख्यमंत्री पर यह ताजा हमला अहम निकाय चुनावों से महज एक ही दिन पहले बोला है। इन चुनावों के लिए प्रचार के दौरान राज्य के सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच भारी तौर पर कीचड़ उछाला गया था।

 

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री एक ऐसे समय पर सभी को मुंबई को लेकर आश्वासन देते घूम रहे हैं, जबकि उनकी खुद की कुर्सी शिवसेना के समर्थन के आधार पर टिकी है। उनका अपना भविष्य अनिश्चित है, फिर भी वह मुंबई का भविष्य बदलना चाहते हैं। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि शिवसेना की ओर से अस्थायी समर्थन सिर्फ इसलिए दिया जा रहा है ताकि महाराष्ट्र स्थिर बना रहे।’’

 

संपादकीय में कहा गया कि मुख्यमंत्री को शहर की गलियों में ‘वोट मांगने’ जाने के लिए विवश होना पड़ रहा है जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा पहले ही इस दौड़ में हार चुकी है। इसमें कहा गया, ‘‘यदि पिछले ढाई साल में (जब सरकार सत्ता में आई) विकास कार्य किए गए होते तो उन्हें वोट मांगने के लिए मजबूर न होना पड़ता।’’ इसमें कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री भ्रष्ट लोगों की आंतड़ियां निकाल लेने की बात करते हैं। ऐसे में, उनके अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि वह अनियंत्रित तरीके से उनके पीछे पड़ सकते हैं।’’

 

इसी बीच, युवा सेना के प्रमुख आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर अप्रत्यक्ष तौर पर हमला बोलते हुए कहा कि एक पार्टी विशेष के कुछ उम्मीदवारों ने झूठा एग्जिट पोल चलाकर और ट्रोल के जरिए गलत सूचना के प्रचार का अभियान चलाया था। यह हताशा में किया गया प्रयास था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हताशापूर्ण कदम। शर्मनाक। उम्मीद करता हूं कि चुनाव आयोग फर्जी एग्जिट पोल से जुड़े झूठ फैलाने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कदम उठाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ तो इतना नीचे गिर गए कि नकली लेटरहेड और एक सांसद के नकली हस्ताक्षर वाला एक अन्य एग्जिट पोल दिखा दिया। ऐसे जुमले शर्मनाक हैं।’’

 

मुंबई और महाराष्ट्र के नौ अन्य शहरों में निकाय चुनावों के लिए चले प्रचार अभियान में भाजपा-शिवसेना के तनाव के चलते तल्खी आ गई। इससे फडणवीस सरकार की स्थिरता पर संदेह के बादल मंडराने लगे। छोटे विधानसभा चुनाव कहलाने वाले इन निकाय चुनावों में राज्य के 1.94 करोड़ से अधिक मतदाता मतदान के अधिकारी हैं। 21 फरवरी को होने वाले चुनाव में ये मतदाता 10 शहरों के नगर निगमों के लिए प्रतिनिधि चुनेंगे। इसी दिन 11 जिला परिषदों के भी चुनाव होंगे। 15 जिला परिषदों के पहले चरण के चुनाव 16 फरवरी को हुए थे। भाजपा और शिवसेना द्वारा एक-दूसरे पर कीचड़ उछाले जाने के कारण अंतिम चरण में प्रचार अभियान में तल्खी बनी रही। पिछले दो दशक में यह पहली बार है, जब ये दोनों दल निकाय चुनाव को अलग-अलग लड़ रहे हैं। कांग्रेस, राकांपा और मनसे भी चुनावी दौड़ में शामिल हैं।

 

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