योगी मॉडल अपना कर ही अन्य राज्य कानून व्यवस्था की स्थिति को सही कर सकते हैं

By मृत्युंजय दीक्षित | May 06, 2022

आजकल देश भर में हर जगह योगी मॉडल की चर्चा है। भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश हो या विरोधी दलों द्वारा शासित राजस्थान और महाराष्ट्र या देश की राजधानी दिल्ली सभी जगह में बुलडोजर, लाउडस्पीकर, सड़क पर अजान को लेकर फसाद और राजनीति दोनों ही रही हैं। इन हंगामों के बीच उत्तर प्रदेश का योगी मॉडल पूरे भारत में लोकप्रिय होता जा रहा है तथा देश के कई राज्यों में जन सामान्य योगी मॉडल को लागू करने की मांग कर रहा है। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तो इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए है लेकिन राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले शासक इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं और इसे मुस्लिम समाज पर अत्याचार बता रहे हैं।

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नया उत्तर प्रदेश अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सधे हुए कदमों के कारण सही दिशा में चल पड़ा है। आज प्रदेश में वह सभी काम शांति पूर्वक संपन्न हो रहे हैं जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सभी प्रदेशवासी अपने अपने पर्वों को शांति के साथ मना पा रहे हैं। प्रदेश में सभी धर्मों और सभी की आस्था का सम्मान किया जा रहा है लेकिन किसी को भी धर्म व आस्था का भोंडा प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर को या तो उतार दिया गया है या फिर उनकी आवाज को सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप कम कर दिया गया है। प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर लगे हुए अवैध लाउडस्पीकरों के लिए चलाये गये एक सप्ताह के विशेष अभियान में कानून का पालन करते हुए एक लाख से अधिक लाउडस्पीकर उतरवाये गये या फिर उनकी ध्वनि कम की गई। ऐसा पहली बार हुआ कि जब ऐसे अभियान में पुलिस को कहीं भी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा हर जगह धर्म गुरुओं को विश्वास में लेकर नियम व कानून का पालन कराया गया। प्रदेश में यह एक वृहद अभियान था इसमें हर धर्म, जाति, वर्ग और समुदाय के लोगों ने पूरा सहयोग किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस अभियान की सफलता की सराहना पूरे देश में हो रही है। महाराष्ट्र में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने योगी की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि दुर्भाग्य से आज महाराष्ट्र में कोई योगी नहीं अपितु सभी भोगी हैं।


उधर नई दिल्ली के सभी नगर निगम भी बुलडोजर चलाने लग गये हैं। वहीं दिल्ली के सांसदों ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली की मस्जिदों से भी लाउडस्पीकर हटाने व आवाज कम करने की मांग की है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जोकि इफ्तार राजनीति के पोस्टर ब्वॉय हैं उन्होंने बुलडोजर, समान नागरिक संहिता, लाउडस्पीकर आदि का विरोध शुरू कर दिया है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार कहीं भी ईद की नमाज सड़कों पर नहीं अदा की गयी है। यह योगी मॉडल की एक बड़ी ऐतिहासिक सफलता है। साथ ही प्रदेश भर में ईद के दिन ही अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती का पर्व भी उसी धूमधाम के साथ मनाया गया। जबकि उसी दिन राजस्थान के जोधपुर में साम्प्रदायिक हिंसा हो गयी और कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया।


उत्तर प्रदेश के हापुड़ और (लोनी) गाजियाबाद सहित कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद और ईदगाहों में जगह कम पड़ी वहां लोगों ने अलग-अलग शिफ्ट में नमाज पढ़ी। विगत वर्षों में 50 हजार से एक लाख तक लोग सड़कों पर नमाज पढ़ते थे। प्रदेश के बड़े मुस्लिम बहुल जिलों में भी नमाज सड़क पर नहीं पढ़ी गयी। प्रदेश से कहीं भी किसी भी प्रकार के तनाव की खबर नहीं आयी। मेरठ में पहले तनाव होता था लेकिन इस बार वहां पर भी शांति के साथ नमाज अदा की गयी। ईद ही नहीं अलविदा के नमाज के समय में भी ऐसी ही अभूतपूर्व व्यवस्था देखी गई थी।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि ईद के अवसर पर आज पूरे प्रदेश में कहीं भी सड़कों पर नमाज नहीं पढ़ी गई। एक अच्छी पहल को प्रदेशवासियों ने सहर्ष स्वीकार किया है। धर्मगुरुओं ने आगे आकर लोगों का मार्गदर्शन किया। इसके लिए सभी का अभिनन्दन। स्वस्थ समाज के लिए लोगों की आस्था का सम्मान व कानून का शासन साथ-साथ चलेगा। यह काम इतना आसान नहीं था लेकिन यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम करने का ही तरीका है कि वह अगर फैसला कर लेते हैं तो वह हर स्थिति को आगे बढ़कर लागू करवाते और उसकी निगरानी करते रहते हैं, तभी आज सरकार सफल हो रही है।

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एक ओर जहां सरकार ने यह सभी काम सफलतापूर्वक पूरे कर दिखाए हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश के तथाकथित सेकुलर दलों को सरकार व समाज की ओर से चलाये जा रहे ये स्वस्थ अभियान पसंद भी नहीं आ रहे हैं। इन सभी दलों को यह लगने लग गया है कि ऐसे तो प्रदेश में उनकी राजनीति का बंटाधार ही हो जायेगा और अस्तित्व पर ही सवाल उठने लग जायेंगे। यही कारण है कि सपा गठबंधन में शामिल सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने मुस्लिम समाज को भड़काने के लिए बयान दिया है कि नमाज तो केवल दो मिनट की होती है केवल दो मिनट से ही सड़क पर कब्जा नहीं हो जाता। यह है सेकुलर जमात की विकृत सोच। इसी विकृत सोच का परिणाम है कि आज राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक हिंदू पर्वों पर भी हिंसा हो रही है और ईद के दिन भी तुष्टिकरण के कारण दंगे हो रहे हैं।


दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत ही सधे कदमों से आगे बढ़ रहे हैं और प्रदेश का कायाकल्प करने का अभियान चला रहे हैं। प्रदेश में समान नागरिक संहिता की तैयारी भी सरकार की ओर से की जा रही है। प्रदेश सरकार में पसमांदा मुस्लिम प्रतिनिधि मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बयान दिया है कि समान नागरिक संहिता के लाभ से मुस्लिम समाज को अवगत कराने के लिए पूरे प्रदेशभर में कौमी चौपाल लगायी जायेगी। प्रदेश सरकार को पता है कि समान नागरिक संहिता का मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनैतिक दल मुस्लिम समाज को भड़काने के लिये बयानबाजी करेंगे और माहौल खराब करने का पूरा प्रयास किया जायेगा लेकिन मुख्यमंत्री हर प्रकार से सतर्क हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक नयी छवि सामने आ रही है। उनकी कार्यशैली को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह अब एक वृहद दायरे की राजनीति को साध रहे हैं। अब वह अनुशासित और निर्णायक होने के साथ-साथ समावेशी भी दिख रहे हैं। आज प्रदेश में शांति, सद्भाव, प्रगति और विकास का वातावरण बन रहा है लेकिन अभी भी कुछ अराजक तत्व रामराज्य में बाधक हैं और वह अपनी घृणित कोशिशों  में लगे हुए हैं जिसमें ललितपुर व चंदौली की दुर्भाग्यपूर्ण घटना भी शामिल है लेकिन प्रशासन भी अपना काम कर रहा है। यही कारण है कि आज योगी मॉडल की चर्चा पूरे भारत में ही नहीं अपितु ब्रिटिश संसद तक में हो रही है।


-मृत्युंजय दीक्षित

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