Prajatantra: Manipur को लेकर फ्रंटफुट पर विपक्षी दल, क्या PM के बयान के बाद कुछ बदलेगा?

By अंकित सिंह | Jul 21, 2023

देश में फिलहाल मणिपुर को लेकर चर्चा जबरदस्त तरीके से गर्म है। जहां देखो, जिसे देखो हर कोई मणिपुर से आए एक वीडियो की चर्चा कर रहा है। वाकई इस वीडियो ने ना सिर्फ हमारे संस्कार और संस्कृतियों का गला घोटा है बल्कि दुनिया में हमारे देश को भी शर्मसार किया है। मणिपुर लगभग ढाई महीने से ज्यादा समय से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच के हिंसा की वजह से उथल-पुथल का दौर देख रहा है। इसी कड़ी में 19 जुलाई को 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का एक वीडियो सामने आया। यह मामला 4 मई का है। अब तक 4 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, बड़ा सवाल यही है कि आखिर मामला अगर 4 मई का है तो इतने दिनों बाद तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब वीडियो वायरल हुआ और देशभर में इसकी आलोचना हुई तब जाकर राज्य सरकार सक्रिय हुई। दिल्ली में संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने पूरे मामले को लेकर अपना गुस्सा व्यक्त किया और साफ तौर पर कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी। कोर्ट ने भी इस मामले को लेकर सरकार से कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। 

 

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मोदी का बयान

संसद में फिलहाल मणिपुर को लेकर संग्राम जारी है। विपक्षी मणिपुर मामले पर चर्चा की मांग कर रहा है। वही सरकार भी चर्चा को तैयार है। बावजूद इसके सहमति नहीं बन पा रही है। दूसरी ओर पिछले 2 महीनों से प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दल मोदी के बयान पर अलग-अलग तरह से टिप्पणी कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता में ही धकेल दिया है। मणिपुर वीडियो को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा ह्रदय दुख से भरा है। यह शर्मसार करने वाली घटना है। अपराध करने वाले कितने हैं, कौन हैं, वह अपनी जगह है पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है।


मणिपुर में इसका क्या है रिएक्शन

वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर के लोगों में इसको लेकर भी आक्रोश है। पकड़े गए एक दोषी के घर में महिलाओं ने आज तक लगा दी है। दोनों समुदायों से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद जमीन पर सकारात्मक असर होगा। लोगों को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और उनके कहने का असर जरूर होगा। मैतेई समुदाय के लोगों का दावा है कि उनके पास भी इस तरह के वीडियो है लेकिन वह शेयर नहीं हुए हैं। उनके समुदाय के महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया है। इसके साथ ही दोनों समुदाय के लोग राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह पर अपने अपने तरीके से भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन मोदी के बयान के बाद से उनका साफ तौर पर कहना है कि स्थिति में सुधार हो सकती है।


नेताओं ने क्या कहा

वीडियो सामने आने के बाद हर पक्ष के नेताओं ने अपने-अपने बयान दिए। विपक्षी दल जबरदस्त तरीके से मोदी सरकार पर हमलावर हो गया। 


- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम आज मणिपुर का मुद्दा उठा रहे हैं। मैंने और अन्य पार्टियों ने भी इस विषय पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है। देखना होगा कि मुद्दा उठाने दिया जाता है या नहीं। 80 दिन से वहां घटना घट रही है। प्रधानमंत्री इसपर चुप हैं, वे विभिन्न देशों से आ गए पर उनके पास मणिपुर जाने के लिए समय नहीं है। वहां रेप हो रहे हैं। प्रधानमंत्री के पास 38 पार्टियों को बुलाने का समय है पर आप वहां नहीं जा रहे हैं। राहुल गांधी के पास कोई साधन नहीं था फिर भी वे मणिपुर गए और लोगों से मिलकर आए। 


- NCP प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट किया कि मणिपुर से परेशान करने वाले दृश्य, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, जो घृणित है, को देखकर व्यथित हूं। यह एकजुट होने, अपनी आवाज उठाने और मणिपुर के लोगों के लिए न्याय की मांग करने का समय है। गृह विभाग और PMO को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए तुरंत आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है।


- शिवसेना(उद्धव ठाकरे गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कल देश के सामने मणिपुर से दो महिलाओं के साथ जघन्य अपराध का वीडियो आया...ऐसी घटना देश को शर्मसार करती है...एक महिला सांसद होने के नाते मैं मणिपुर पर चर्चा चाहती हूं। महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कभी इस पर बात नहीं की, लेकिन अब जब उन पर दबाव है तो वह कहती हैं कि उन्होंने सीएम से बात की...देश की सबसे अक्षम मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। 


- बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि मणिपुर से शर्मिंदा करने वाली वीडियो आई है। वहां के मुख्यमंत्री क्या-क्या बयान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री अभी तक खामोश थे। राहुल गांधी जा रहे हैं तो प्रधानमंत्री क्यों नहीं जा सकते है...हमने बेंगलुरु में भी इस मुद्दे को उठाया था। अगर ऐसी कोई घटना विपक्ष शासित किसी राज्य में होती तो पता नहीं कौन-कौन सी एजेंसियां घुस जाती। 


- सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि यह मई महीने की घटना है लेकिन किसी ने संवेदना के लिए एक शब्द नहीं कहा। मैं तो सदन में खड़ी हुई थी लेकिन किसी ने नहीं कहा कि आप क्यों खड़ी हैं? यह बहुत दुखद है। यूपी में तो क्या-क्या हो रहा है, पूरे देश में महिलाओं के साथ क्या हो रहा है। 


पश्चिम बंगाल CM ममता बनर्जी ने कहा कि वीडियो देखकर ऐसा लगा कि यह कैसा देश है, जहां माताओं-बहनों की इज्ज़त के साथ खिलवाड़ हो रहा है। मेरा दिल व्यथित है और भाजपा के नेता इसपर बात करने की बजाय हमें गाली दे रहे हैं। यह बहुत शर्मनाक बात है। 



मणिपुर मुद्दा क्यों

मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है। अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। उसको देखते हुए हर राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से लाभ उठाने की कोशिश में जुटा हुआ है। लगातार पूर्वोत्तर के विकास का दावा करने वाली मोदी सरकार मणिपुर को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है। यही कारण है कि मणिपुर को मोदी सरकार की नाकामयाबी के तौर पर विपक्ष देश की जनता के सामने पेश करने को तैयार है। विपक्ष इसे चुनावी एजेंडा बनाने की कोशिश में है ताकि वह बता सके कि भाजपा सरकार किस तरीके से एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लड़वाती है और किसी राज्य में नफरत फैलाती हैं। क्योंकि चुनाव 2024 का नजदीक है और मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल चुका है, ऐसे में विपक्षी दल मणिपुर को लेकर पीछे नहीं हटना चाहते हैं। विपक्षी दलों की ओर से अलग-अलग चुनाव में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाया गया। बावजूद इसके भाजपा के परफॉर्मेंस पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा। यही कारण है कि मणिपुर हिंसा और खासकर के पूर्वोत्तर को विपक्षी दल चुनावी लाभ के लिए बड़ा एजेंडा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

 

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि मणिपुर में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन यह बात भी सच है कि मणिपुर में पिछले कई सालों से शांति की स्थिति देखी गई थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी नीति में पूर्वोत्तर को महत्व देते नजर आ रहे हैं। हालांकि मणिपुर हिंसा ने विपक्षी दलों को चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार दे दिया है। यही कारण है कि विपक्षी दल उसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मणिपुर को लेकर किसके दिल में क्या है और कौन इस पर राजनीति कर रहा है, इसको जनता भली भाँति जानती और समझती है। इसी के बाद वह अपना फैसला भी लेती है। यही तो प्रजातंत्र है।

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