1971 में पाक के 'ऑपरेशन चंगेज खान' को भारत ने किया नाकाम, 300 महिलाओं के साथ स्क्वाड्रन लीडर ने 72 घंटे में बना लिया एयरस्ट्रिप

By अभिनय आकाश | Jul 17, 2021

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर, 

खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।

16 दिसंबर 1971 पाकिस्तान ने 92 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। सरेंडर की वो तस्वीरें इतिहास के पन्नों में एक अहम अध्याय की तरह दर्ज हैं। 1971 की वो जीत भारतीय सेना की सबसे खास जीत थी। उस लड़ाई में भारतीय सेना के तीनों अंगों- नेवी, आर्मी और एयरफोर्स ने पाकिस्तानी हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया था। एक ऐसा जवाब जिसमें 14 दिनों के अंदर ही पाकिस्तान को सरेंडर करना पड़ा था। जिससे सृजन हुआ था एक नए राष्ट्र का जिसका नाम है-बांग्लादेश। भारतीय सेना ने केवल 14 दिनों में उस लड़ाई का अंत कर दिया जिसकी शुरुआत पाकिस्तान ने की थी। 

"कुछ ही घंटे पहले पाकिस्तानी हवाई जहाजों ने हमारे अमृतसर, पठानकोट श्रीनगर, अवन्तीपुर, उत्तर लाई, जोधपुर, अंबाला और आगरा की हवाई पट्टी पर बमबारी की है। जो पश्चिमी पाकिस्तान की लड़ाई थी वो अब भारत पर आ गई है।" 

दोनों देशों के बीच जंग होने के आसार घोषित तौर पर युद्ध शुरू होने के पहले ही बन गए थे। इसकी वजह थी भारत के पूर्व में स्थित पूर्वी पाकिस्तान, यानी पाकिस्तान का वो हिस्सा जिसे आज बांग्लादेश कहा जाता है। पूर्वी पाकिस्तान में बंग-बंधु के नाम से जाने-जाने वाले नेता शेख मुजीबुर्रहमान को 1970 के चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल हुई थी। लेकिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहिया खान और चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने शेख मुजीबुर्रहमान को पाकिस्तान की कमान सौंपने से इनकार कर दिया। इस रवैये से नाराज शेख मुजीबुर्रहमान ने 7 मार्च 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान की हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। पूर्वी पाकिस्तान गुस्से से उबल रहा था और मुजीबुर्रहमान समर्थक सड़कों पर उतर आए।  आजादी के आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह पर आमादा लोगों पर जमकर अत्याचार किए। लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और अनगिनत महिलाओं की आबरू लूट ली गई। पाकिस्तान के अत्याचार से भाग-भाग कर लोग भारत आने लगे और शरर्णार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही थी। तब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ से पूर्वी पाकिस्तान में कार्रवाई करने को कहा लेकिन मानेकश़ॉ ने इससे साफ इनकार कर दिया। जिसका फायदा ये हुआ कि भारतीय सेना को युद्ध में उतरने के लिए तैयारी करने का अतिरिक्त समय मिल गया। नतीजा जब पाकिस्तान ने हवाई हमला किया तो उसका मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी की जा चुकी थी। 

 3 दिसंबर 1971 को  5 बजकर 47 मिनट पर ऑपरेशन चंगेज खान के जरिए पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भारतीय वायु सेना के कई अग्रणी बेसों पर लगातार आक्रमण शुरु कर दिया। भारत के 11 एयरबेसों अमृतसर, अंबाला, आगरा, अवंतीपुर, बीकानेर, हलवाड़ा, जोधपुर, जैसलेमर, पठानकोठ, भुज, श्रीनगर को निशाना बनाया गया। रनवे के पास बम गिरने से गहरे गड्ढे हो गए थे। लोगों ने इसे आतिशबाजी समझा था, लेकिन दूसरे दिन अखबारों से उन्हें पाकिस्तान द्वारा हमला करने की जानकारी हुई थी। 

भुज एयरबेस पर 14 दिनों में 35 बार 92 बम और 22 रॉकेट से हुआ हमला

1971 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन चंगेज़ ख़ान लॉन्च किया था। आठ दिसंबर 1971 की रात के दरमियान भारत-पाक युद्ध का बिगुल बज चुका था और भारतीय वायुसेना के एयरस्ट्रिप पर पाकिस्तान ने 14 दिनों में 35 बार भुज एयरफील्ड पर 92 बमों और 22 रॉकेटों से हमला किया था। इसकी चपेट में भुज स्थिक एयरस्ट्रिप आ गई और इसके असर से भारतीय लड़ाकू विमानों का उड़ान भरना नामुमकिन हो गया। इस एयरबेस के कमांडर स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक थे। 

भारत पाक युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई एयरस्ट्रिप और फिर... 

एयरस्ट्रिप की मरम्मत के लिए सीमा सुरक्षा बल के जवानों को बुलाया गया। लेकिन वक्त की बेहद कमी थी। स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक ने भुज के गांव की 300 महिलाओं के साथ मिलकर एयरस्ट्रिप की मरम्मत की थी ताकि इंडियन आर्मी को लेकर आ रही फ्लाइट को लैंडिंग कराई जाए। इसे भारत का पर्ल हार्बर मूमेंट भी कहा जाता है। कहा जाता है कि भुज के माधापुर गांव से 300 गांव वाले अपने घरों से निकलकर भारतीय वायुसेना की मदद के लिए आगे आये। इनमें ज्यादातर महिलाएं थी। वायु सेना के रिकॉर्ड में कहा गया है कि बमबारी के कारण, हवाई पट्टी पूरी तरह से नष्ट हो गई थी और हमारे लड़ाकू विमानों को उतारना मुश्किल हो गया था। हवाई पट्टी की मरम्मत के लिए जनशक्ति की कमी थी। रक्षाकर्मी माधापर के पास एक गाँव से पानी लाने के लिए जाते थे और जब ग्रामीणों को हवाई पट्टी की मरम्मत में हो रही कठिनाई के बारे में पता चला, तो उन्होंने मदद करने की पेशकश की। गांव के सरपंच जाधवजीभाई हिरानी ही थे जिन्होंने उन्हें सशस्त्र बलों की मदद करने के लिए कहा।

ऐसे किया जाता था महिलाओं को पाकिस्तानी हमलावर से बचने के लिए आगाह

जब कोई पाकिस्तानी हमलावर का एयरस्ट्रिप की मरम्मत कर रही महिलाओं के पास आने का संकेत आता तो एक लंबा सायरन शुरू हो जाता। वे तुरंत दौड़कर झाड़ियों में छिप जाते। उन्हें हरे रंग की साड़ी पहनने के लिए कहा गया था। एक संक्षिप्त सायरन संकेत था कि काम फिर से शुरू कर सकते हैं।  दिन के उजाले का अधिकतम उपयोग करने के लिए सुबह से शाम तक जम कर मेहनत की जाती। क्षतिग्रस्त एयरस्ट्रिप को ठीक करना एक मुश्किल काम था क्योंकि इन नागरिकों की जान को लगातार खतरा था। एक इंटरव्यू में विजय कुमार कार्णिक ने बताया कि, 'हम जंग लड़ रहे थे इसमें अगर महिला को नुकसान हो जाता तो ये हमारा सबसे बड़ा नुकसान होता। हमने महिलाओं को पहले ही बताया कि उन्हें कहां छिपना है। जब भी भारतीय वायु सेना को पाकिस्तानी बॉम्बर के अपनी तरफ बढ़ने की शंका होती तो ये एक सायरन बजा कर इन नागरिकों को सावधान कर दिया जाता। जिसके बाद दो अफसर, 50 एयरफोर्स जवानों और 60 सुरक्षा कर्मियों के साथ शानदार काम के चलते पाकिस्तानी की बमबारी के बाद भी वह एयरबेस ऑपरेशनल रह सका। आगे चलकर महज दो हफ्ते के भीतर ही पाकिस्तान की 92 हजार फौज ने सरेंडर कर दिया। पाकिस्तान आर्मी के चीफ नियाजी ने अपने बिल्ले को उतारा और प्रतीक स्वरूप अपनी रिवॉल्वर लेफ्टीनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को सौंप दी। 

अब बन रही है फिल्म

अब विंग कमांडर की बहादुरी पर एक फिल्म बनने जा रही है। इस फिल्म का नाम Bhuj: The Pride of India रखा गया है, जिसका का ट्रेलर आ गया है। इस फिल्म में विंग कमांडर विजय कार्णिक का रोल एक्टर अजय देवगन निभा रहे हैं। विंग कमांडर कार्निग उस घटना पर फिल्म बनने से खुश हैं। -अभिनय आकाश

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